आज के दिन 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्में डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम, आज बेशक हम उन्हें एक चहेते शिक्षक, देश के सबसे बेहतरीन राष्ट्रपति, एक शानदार वैज्ञानिक और सबसे खास एक बेहतरीन इंसान के तौर पर याद करते हैं, लेकिन उनकी जिंदगी का सफर इतना आसान नहीं रहा। अपने सपनों को पूरा करने के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की। तब कहीं जाकर सफलता का स्वाद चखा। वे हमेशा कहते थे कि यदि आप सूर्य की तरह चमकना चाहते हो तो पहले सूर्य की तरह जलवा सीखो।
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दैनिक भास्कर हिंदी: Birth Anniversary: डॉक्टर कलाम ने अपनी सफलता से कायम की मिसाल, लोगों को सिखाया सपने देखना
हाईलाइट
- डॉक्टर कलाम की बर्थ एनिवर्सरी आज
- मुश्किलों से भरा रहा उनका जीवन
- अपने संघर्ष से पेश की सफलता की नई मिसाल
डिजिटल डेस्क, मुम्बई। ''इंतजार करने वालों को केवल उतना ही मिलता है, जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं'' ऐसे ही कुछ विचार दुनिया को देकर भारत के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम साहब 27 जुलाई 2015 हमेशा के लिए अलविदा कह गए। आज कलाम साहब की 88वीं बर्थ एनिवर्सरी है। 5 अक्टू्बर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में पैदा हुए कलाम साहब का पूरा जीवन देश सेवा और मानवता को समर्पित रहा। सबसे पहले एक बड़े वैज्ञानिक फिर भारत के राष्ट्रपति बने कलाम ने बच्चों के बीच अपनी एक अलग ही पहचान बनाईं। कलाम साहब ने लोगों का न केवल सपने देखना सिखाया बल्कि उन्हें सच करने का रास्ता भी बताया। कलाम साहब ने कहा था, ''सपने वो नहीं होते जो आप सोने के बाद देखते हैं, सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीं देते''
डॉक्टर अब्दुल पाकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम का जीवन बहुत ही प्रेरणादायक रहा है। कलाम साहब एक ऐसी शख्सियत हैं। उन्हें जब जो भूमिका निभाने के लिए कहा गया, उन्होंने उसे बखूबी निभाया। वे देश के राष्ट्रपति, एक महान विचारक, लेखक और वैज्ञानिक भी रहे। हर क्षेत्र में उनका योगदान रहा और यह मिसाइन मैन दुनिया को सफलता की एक नई मिसाल देकर हमेशा के लिए अलविदा कह गया।


कलाम के पिता नाव बनाने का काम करते थे। वे मछुआरों को अपनी नाव किराए पर देते थे। नावों को पानी पर तैरते हुए देख, कलाम की आंखों में भी ख्याब तैरने लगे। हालांकि उस वक्त उनकी परिस्थितयां इतनी अच्छी नहीं थी कि वे अपने ख्याबों को पूरा कर सकें। वह स्कूल से आने के बाद कुछ देर तक अपने बड़े भाई मुस्तफा कलाम की दुकान पर भी बैठते थे, जो कि रामेश्वरम रेलवे स्टेशन पर थी। कुछ समय बाद वहां ट्रेन का रुकना बंद हो गया। इसके बाद अखबार के बंडन ट्रेन में ही फेक दिए जाते थे। उस वक्त कलाम के भाई को ऐसे इंसान की जरुरत थी, जो स्टेशन पर अखबारों का समेट सकें। तब कलाई ने यह जिम्मेदारी निभाई।

कलाम अच्छी शिक्षा के लिए शहर से दूर जाकर पढ़ना चाहते थे। जब उन्होंने पिता से इस बारे में बात की तो उनके पिता ने कहा कि हमारा प्यार तुम्हें बांधेगा नहीं और न ही हमारी जरूरतें तुम्हें रोकेंगी। इस जगह तुम्हारा शरीर तो रह सकता है, लेकिन तुम्हारा मन नहीं।इसके बाद कलाम ने 1950 में इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए त्रिची के सेंट जोसेफ कालेज में दाख़िला लिया। इसके बाद उन्होंने बीएससी की। फिर अचानक उन्हें लगा कि उन्हें बीएससी नहीं करना चाहिए था। उनका सपना कुछ और था। वह इंजीनियर बनना चाहते थे। बीएससी करने के बाद उन्होंने ठान लिया कि अब वह किसी भी तरह मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग में एडमीशन लेकर रहेंगे।

कलाम ने खुद से किया वादा पूरा किया और एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया। उस वक्त एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की फीस 1000 रुपये थी। फ़ीस भरने को उनकी बड़ी बहन ने अपने गहने गिरवीं रखे और उन्होंने गिरवीं गहनों को अपनी कमाई से ही छुड़ाने की बात मन में ठानी। जैसे जैसे कॉलेज का वक्त बीतता जा रहा था, विमानों में उनकी दिलचस्पी बढ़ती जा रही थी। उस वक्त पायलट बनने का ख्याल उनके दिल में आया। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद उनके पास दो रास्ते थे। पहला एयरफ़ोर्स में पायलट बनने का ख़्वाब जो कलाम ने देखा था तो वहीं दूसरा रक्षा मंत्रालय के वैज्ञानिक बनने का।

अपने सपने को पूरा करने के लिए कलाम एयरफ़ोर्स में पायलट के इन्टरव्यू के लिए दक्षिण भारत से उत्तर भारत रवाना हो गए। इंटरव्यू में कलाम साहब ने हर प्रश्न का जवाब दिया लेकिन जब इंटरव्यू के परिणाम आए तो उनको मालूम हुआ कि जिंदगी अभी और कठिन परीक्षा लेग। आठ लोग चुने गए और कलाम साहब का नंबर नौवां था। वह समझ गए हालात अभी मुश्किल होने वाले हैं। कलाम दिल्ली आकर एक जगह वैज्ञानिक के पद पर काम करने लगे तब उनका मासिक वेतन दो सौ पचास रूपये मात्र था। यहां वह विमान बनाने का काम करते थ। फिर तीन साल बाद 'वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान' का केन्द्र बंगलुरू में बनाया गया और उन्हें इस केन्द्र में भेज दिया गया।

इसके बाद उन्हें उन्हें स्वदेशी हावरक्राफ़्ट बनाने की ज़िम्मेदारी दी गई जो काफी मुश्किल मानी जाती थी। लेकिन कलाम ने यह भी कर दिखाया। उन्होंने और उनके सहयोगियों ने हावरक्राफ़्ट में पहली उड़ान भरी। रक्षा मंत्री कृष्णमेनन ने कलाम की खूब तारीफ की और कहा कि इससे भी शक्तिशाली विमान अब तैयार करो। उन्होंने वादा किया कि वह ऐसा करेंगे लेकिन जल्द कृष्णमेनन रक्षा मंत्रालय से हटा दिए गए और कलाम साबह उन्हें दोबारा कमाल कर के नहीं दिखा पाए।

इसके बाद कलाम ने इंडियन कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च के लिए इंटरव्यू दिया। विक्रम साराभाई ने उनका इंटरव्यू लिया और चुन लिया। यहां उन्हें रॉकेट इंजीनियर का पद दिया गया। इसी जगह पर उनके ख्याबों को पंख मिले। उन्हें नासा भेजा गया। वहां से आने के बाद उन्हें भारत का पहला रॉकेट बनाने की जिम्मेदारी मिली। डॉक्टर कलाम ने पूरी शिद्दत से इस जिम्मेदारी को निभाया। रॉकेट को पूरी तरह से तैयार कर लेने के बाद उसकी उड़ान का समय तय कर दिया गया, लेकिन उड़ान से ठीक पहले उसकी हाईड्रोलिक प्रणाली में कुछ रिसाव होने लगा।

फिर असफ़लता के बादल घिर कर आने लगे, मगर कलाम ने उन्हें बरसने न दिया। रिसाव को ठीक करने का वक़्त न हो पाने की वजह से कलाम और उनके सहयोगियों ने रॉकेट को अपने कंधों पर उठाकर इस तरह सेट किया कि रिसाव बंद हो जाए। कलाम ने रॉकेट को कंधों पर नहीं उठाया था, बल्कि उस ज़िम्मेदारी को अपने कंधों पर उठाया था जो उन्हें नासा से लौटने के बाद दी गई थी। फिर भारत के सबसे पहले उपग्रह ‘नाइक अपाची’ ने उड़ान भरी। रोहिणी रॉकेट ने उड़ान भरी और स्वदेशी रॉकेट के दम पर भारत की पहचान पूरी दुनिया में बन गई। इसके बाद डॉक्टर कलाम को पूरी दुनिया पहचानने लगी। जिंदगी में इतना बड़ा मुकाम हासिल करने के बाद भी डॉक्टर कलाम एक साधारण व्यक्ति की तरह ही जिंदगी जीते रहे और 25 जुलाई साल 2015 में इस दुनिया को छोड़कर चले गए।
क्लोजिंग बेल: सेंसेक्स में 303 अंकों की गिरावट, निफ्टी 16,100 के नीचे बंद हुआ
डिजिटल डेस्क, मुंबई। देश का शेयर बाजार कारोबारी सप्ताह के तीसरे दिन (25 मई 2022, बुधवार) भी गिरावट के साथ बंद हुआ। दिनभर के उतार- चढ़ाव के बाद सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही लाल निशान पर बंद हुए। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 303.35 अंक यानी कि 0.56% नीचे 53,749.26 के स्तर पर बंद हुआ।
वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 99.40 अंक यानी कि 0.62% नीचे 16,025.80 के स्तर पर बंद हुआ।
जबकि बैंक निफ्टी 49.35 अंकों की सामान्य बढ़त के साथ 34339.50 पर बंद हुआ। अमेरिकी शेयर बाजार में कमजोरी तथा बढ़ती मुद्रास्फिति का प्रभाव पूरे विश्व के शेयर बाजारों में पड़ रहा है जिससे भारतीय शेयरों के लिए भी आकर्षण कम हो रहा है। इंडिया विक्स में 25.28 अंकों की बढ़त सूचकांकों के दिन के दौरान बड़े उतारचढ़ाव का कारण बना। क्षेत्र विशेष में अधिकांश नकारात्मक बंद हुए। निफ्टी आईटी तथा निफ्टी मीडिया 3 प्रतिशत से भी अधिक गिरे। निफ्टी फाइनेंसियल सर्विस में 0.68 प्रतिशत की बढ़त रही।
निफ्टी शेयरों में एनटीपीसी, एचडीएफसी लाइफ, एसबीआई लाइफ में सर्वाधिक बढ़त रही। एशियन पेंट, अडानी पोर्ट तथा टेक महेंद्रा सबसे अधिक गिरे। ओपन इंटरेस्ट डेटा में कॉल में सर्वाधिक ओपन इंटेरेस्ट 16200, उसके बाद 16300 पर है। पुट में सबसे अधिक ओपन इंटरेस्ट 15800 पर है। तकनीकी के रूप से निफ्टी ने दैनिक चार्ट थ्री ब्लैक क्रो पैटर्न बनाया है जो मंदी के बने रहने का संकेत हैं। हमारा अनुमान है कि फ्यूचर ऑप्शन सौदे की मासिक कटान के दिन उतारचढ़ाव में और भी अधिक वृद्धि हो सकती है।
लघु अवधि के निवेशकों के लिए ट्रेंड के विरुद्ध ट्रेड करना लाभदायक नहीं होगा। सभी प्रमुख मूविंग एवरेज 16300 निफ्टी के ऊपर ही हैं। आरएसआई तथा स्टॉकिस्टिक दैनिक समयावधि में ओवेरसोल्ड क्षेत्र से बाहर आने को अभी भी संघर्ष के रहे हैं। निफ्टी का सपोर्ट 15800 है, तेजी में 16300 लघु अवधि में अवरोध हो सकता है।बैंक निफ्टी का सपोर्ट 33500 तथा अवरोध 35200 है।
आपको बता दें कि, सुबह बाजार बढ़त के साथ खुला था। इस दौरान सेंसेक्स 288 अंक की बढ़त के साथ 54,340 के स्तर पर खुला था। वहीं निफ्टी 89 अंक की तेजी के साथ 16214 के स्तर पर खुला था।
ओम मेहरा
रिसर्च एसोसिएट
चॉइस ब्रोकिंग (Choice Broking)
Source: Choice India
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एक मुफ्त रिज्यूम-बिल्डिंग टूल, जो कि हर उम्मीदवार की जरूरत है, अब Resumod.co पर उपलब्ध है। Resumod एक फ्री ऑनलाइन रिज्यूमे बिल्डर प्रदान करता है जो लगातार नौकरी खोजने वालों के लिए रिज्यूमे बनाने के तरीके को बेहतर बनाता है। हमने हाल ही में अपनी वेबसाइट पर निःशुल्क टूल लॉन्च किया है। नीचे विवरण है|
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