Lucknow Girl: गंभीर मानसिक बीमारी की शिकार हो सकती है लखनऊ गर्ल, सुनिए मनोचिकित्सक ने इस बारे में क्या कहा?
- जान का खतरा महसूस होना
- हो सकती है गंभीर मानसिक बीमारी
- पढ़िए वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी से खास बातचीत
डिजिटल डेस्क, भोपाल। भरी सड़क पर सरेआम कैब ड्राइवर को बेतहाशा चांटें जड़ने वाली लखनऊ गर्ल आपको याद ही होगी। नाम है प्रियदर्शनी। लखनऊ की सड़क पर चटाचट चांटे जड़ रही प्रियदर्शनी का अगले ही दिन एक और वीडियो वायरल होता है। जिसमें वो अपने पड़ोसियों के खिलाफ मोर्चा खोले नजर आती हैं। इस वीडियो में प्रियदर्शनी इस बात पर चिल्लाचोट कर रही हैं कि उनके पड़ोसियों ने घर को काले रंग से पोत दिया है। जिससे ड्रोन अटैक का खतरा हो सकता है।
लखनऊ गर्ल का एक और विडियो इन्टरनेट पर तेजी से वायरल हो रहा है। आप भी देखिये #ArrestLucknowGirl #justiceforcabdriver #lucknowgirl #lucknowgirlarrest #lucknowgirlsorry #UPPolice #UttarPradesh #Lucknow pic।twitter।com/lD6mpClApl
— Dainik Bhaskar Hindi (@DBhaskarHindi) August 5, 2021
इससे पहले कैब ड्राइवर को पीटने की हरकत को जस्टिफाय करते हुए प्रियदर्शनी ने कुछ निजी चैनल्स के इंटरव्यू में कहा कि उनकी जान को खतरा है। उन पर पहले भी इस तरह के हमले होते रहे हैं। प्रियदर्शनी का ये तर्क क्या महज बीच सड़क पर की गई अपनी शर्मनाक हरकत को जस्टिफाय करना है या बात कुछ और है। क्योंकि इससे पहले भी प्रियदर्शनी जान पर खतरे को लेकर कंसर्न रही हैं। ये वीडियो में साफ नजर आ रहा है। उनके इस फियर को समझने के लिए भास्कर हिंदी ने जाने माने मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी से चर्चा की। और कुछ सवाल के जवाब जानने चाहे। जानिए इस मामले पर वरिष्ठ मनोचिकित्सक ने क्या कहा:
भास्कर हिंदी- बार बार जान पर खतरे की बात करने वाली प्रियदर्शनी क्या किसी तरह की मानसिक तकलीफ का शिकार हो सकती हैं?
डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी, मनोचिकित्सक- बार बार जान पर खतरे का डर बना रहने की मानसिक स्थिति को वैज्ञानिक भाषा में साइकोसिस (Psychosis) कहा जाता है। ये एक ऐसी मानसिक अवस्था है जिसमें व्यक्ति को बार बार ये डर सताता है कि उन पर कभी भी हमला हो सकता है। और वो उससे बचने के तरीके ढूंढने लगता है। इस काल्पनिक हमले से बचने के लिए कई बार वो इस तरह की हरकतों को अंजाम देता है। हालांकि प्रियदर्शनी वाकई किसी ऐसी मानसिक स्थिति का शिकार हैं या नहीं ये उन्हें बिना एग्जामिन किए नहीं कहा जा सकता।
भास्कर हिंदी- साइकोसिस क्या अलग अलग तरह की होती है?
डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी, मनोचिकित्सक- साइकोसिस दो तरह की होती है। इसकी एक अवस्था को हैल्यूसिनेशन्स कहा जाता है। इसमें पीड़ित को अलग अलग तरह की आवाजें सुनाई देती है। अक्सर वो खुद से बात करते हुए भी नजर आते हैं। पर दरअसल वो किसी काल्पनिक आवाज से बातें कर रहे होते हैं जो उनके लिए रियल हैं।
डिल्यूजन- इस प्रकार की मानसिक अवस्था में पीड़ित को ये भ्रम हो जाता है कि कोई उन्हें लगातार नुकसान पहुंचाना चाहता है। उन्हें अपने आसपास के लोगों पर भी ये शक होने लगता है कि वो किसी से मिले हुए हैं। और उन्हें नुकसान पहुंचाने पर ही बातचीत रहे हैं। अक्सर ऐसे लोगों को दूसरे देश या दूर कहीं से कोई मैसेज मिलने का भ्रम भी हो जाता है। मसलन किसी ने अमेरिका से टेलिपैथी करके कहा कि उनकी जान को फलां व्यक्ति से खतरा है। इस संबंध में उनके ईमेल हैक हो रहे हैं।
भास्कर हिंदी- इसके क्या परिणाम हो सकते हैं
डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी, मनोचिकित्सक- ऐसी मानसिकता होने पर खुद को बचाने के लिए पीड़ित अक्सर दूसरों से बचने की कोशिश करते हैं। और कभी कभी उन पर प्रहार भी कर देते हैं। इसे एक्टिंग आउट बिहेवियर कहा जाता है। बच्चे ऐसी हरकतें क्यों कर रहे हैं ये घर वालों को भी समझ नहीं आता। जागरूकता का अभाव होने की वजह से घर वाले बच्चों की तकलीफ नहीं समझ पाते। या तो उनकी बातों से चिड़ने लगते हैं या उन्हें डांट देते हैं। ऐसे हालात में ये मानसिक पीड़ा और बढ़ सकती है।
भास्कर हिंदी- घर वाले कैसे पहचानें कि उनके बच्चे ऐसी मानसिक बीमारी के शिकार हैं?
डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी, मनोचिकित्सक- इस बीमारी के लक्षण 20 से 30 साल की उम्र के बीच नजर आते हैं। अगर इस उम्र में बच्चे अचानक बड़बड़ाने लगें, अजीब सी बातचीत करने लगें और अपनी जान की फिक्र करने लगें तो समझना चाहिए कि वो इस तरह कि किसी परेशानी का शिकार हो चुके हैं। ऐसे होने पर पेरेंट्स को तुरंत मनोचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
भास्कर हिंदी- इस मानसिक बीमारी से ठीक होने की कितनी संभावना है?
डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी, मनोचिकित्सक- इस मानसिक बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं और सामान्य जिंदगी जी सकते हैं। बमुश्किल 1 प्रतिशत लोग ही इस मानसिक अवस्था से गुजरते हैं। जरूरी है कि सही समय पर उनका इलाज शुरू हो। इलाज में प्रोपर काउंसलिंग के साथ साथ दवाओं का होना भी जरूरी है।
नोट- ये इंटरव्यू भास्कर हिंदी की संपादक जूही वर्मा की वरिष्ठ मनोचिकित्सक सत्यकांत त्रिवेदी की बातचीत पर आधारित है। भास्कर हिंदी ये दावा नहीं करता कि लखनऊ गर्ल के नाम से ट्रेंड कर रही प्रियदर्शनी ऐसी किसी मानसिक अवस्था का शिकार हैं। ये इंटरव्यू सिर्फ रीडर्स की जागरूकता बढ़ाने के लिए है।
Created On :   6 Aug 2021 5:20 PM IST