मद्रास हाईकोर्ट ने सीएसआई के आदेश पर लगाई रोक

Madras High Court stays the order of CSI
मद्रास हाईकोर्ट ने सीएसआई के आदेश पर लगाई रोक
तमिलनाडु मद्रास हाईकोर्ट ने सीएसआई के आदेश पर लगाई रोक
हाईलाइट
  • अन्य बुनियादी अधिकारों से वंचित करने की धमकी दी गई

डिजिटल डेस्क, चेन्नई। मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने चर्च ऑफ साउथ इंडिया (सीएसआई), थूथुकुडी-नाजरेथ डायोसीज के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें डायोकेसन को सीधे अदालतों में जाने से रोका गया था। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी. राजा और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै खंडपीठ ने सीएसआई थूथुकुडी-नाजरथ सूबा के आदेश पर रोक लगा दी। यह आदेश क्रिश्चियन रिफॉर्मेशन सोसाइटी, मदुरै के देवसहायम की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई के बाद आया है।

अदालत ने सूबा को नोटिस जारी कर मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी। थूथुकुडी में रहने वाले तमिलनाडु सरकार के सेवानिवृत्त इंजीनियर सत्यनेसन ने आईएएनएस से कहा, यह एक अच्छा निर्णय है, इससे सूबा के सैकड़ों सदस्यों को लाभ होगा, जिन्हें सीएसआई चर्च के पदाधिकारियों द्वारा अदालत जाने पर कब्रिस्तान और अन्य बुनियादी अधिकारों से वंचित करने की धमकी दी गई थी।

देवसहायम द्वारा दायर जनहित याचिका में उन्होंने बताया कि चर्च द्वारा 16 सितंबर को जारी सकरुलर में चर्च के सदस्यों को सूबा से संबंधित किसी भी मुद्दे के संबंध में सीधे अदालत जाने से रोक दिया था। वादी ने बताया कि सकरुलर में यह भी कहा गया है कि यदि सदस्यों को कोई समस्या है तो उसे केवल सूबा बिशप द्वारा नियुक्त स्थानीय पंचायतों जैसी आंतरिक व्यवस्थाओं के माध्यम से उठाया जाना चाहिए।

याचिकाकर्ता ने कहा कि इस परिपत्र का इस्तेमाल सूबा द्वारा चर्च से कई लोगों को बहिष्कृत करने के लिए एक उपकरण के रूप में किया गया था और लोगों को उनके मानवाधिकारों से भी वंचित किया गया था। चर्च के एक अन्य सदस्य ने आईएएनएस से बात करते हुए नाम न छापने की शर्त पर कहा, अगर हम सूबा से संबंधित कुछ मुद्दों के खिलाफ अदालत का रुख करते हैं तो वे दफनाने के अधिकारों सहित हमारे मूल अधिकारों का हनन करते हैं। स्थगन आदेश एक सकारात्मक कदम है और अदालत का एक अच्छा आदेश है।

(आईएएनएस)

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Created On :   4 Nov 2022 11:30 AM GMT

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