तमिलनाडु : 18 विधायकों को अयोग्य करार देने का मामला अब तीन सदस्यीय बेंच सुनेगी
- तमिलनाडु के 18 विधायकों को अयोग्य करार देने के मामले में मद्रास हाईकोर्ट गुरुवार को किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच पाया।
- अब तीन सदस्यीय बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी।
- इस मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस एम सुंदर की दो सदस्यीय बेंच ने केस में विभाजित फैसला दिया
- जिसके बाद इस मामले को हाईकोर्ट की बड़ी बेंच द्वारा सुना जाना तय हुआ है।
डिजिटल डेस्क, चेन्नई। तमिलनाडु के 18 विधायकों को अयोग्य करार देने के मामले में मद्रास हाईकोर्ट गुरुवार को किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच पाया। इस मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस एम सुंदर की दो सदस्यीय बेंच ने केस में विभाजित फैसला दिया, जिसके बाद इस मामले को हाईकोर्ट की बड़ी बेंच द्वारा सुना जाना तय हुआ है। अब तीन सदस्यीय बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। इससे पहले यह कहा जा रहा था कि आज इस मामले में हाईकोर्ट अपना फैसला सुना देगा।
Split verdict as Chief Justice of Madras High Court upholds disqualification of 18 MLAs who were disqualified by the Assembly Speaker last year ahead of trust vote, other judge disagrees. Case referred to 3 judge bench
— ANI (@ANI) June 14, 2018
तमिलनाडु की राजनीति से जुड़ा यह एक बड़ा मामला है। यह मामला AIADMK के उन 18 विधायकों की विधानसभा सदस्यता का है, जिन्हें पिछले साल विधानसभा स्पीकर पी धनपाल ने अयोग्य ठहरा दिया था। ये सभी विधायक, टी. टी दिनाकरण गुट के हैं। सभी ने पिछले साल अपनी ही पार्टी की सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। स्पीकर द्वारा विधानसभा के लिए अयोग्य ठहराए जाने के बाद इन विधायकों ने मद्रास हाईकोर्ट में अपील की थी। लम्बे समय से चल रही इस मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने गुरुवार दोपहर करीब 1 बजे अपना विभाजित फैसला दिया।
इस मामले में फैसला न आ पाने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि फिलहाल तमिलनाडु की पलानीस्वामी सरकार पूरी तरह सुरक्षित है। जब तक इस मामले पर फैसला नहीं आ जाता तब तक ये 18 विधायक अयोग्य ही रहेंगे। ऐसे में न तो पलानीस्वामी सरकार को बहुमत साबित करने के लिए फ्लोर टेस्ट का सामना करना पड़ेगा, न ही 18 सीटों पर उपचुनाव होंगे।
(दिनाकरण गुट के विधायक)
आज फैसला आता तो क्या होता?
आज अगर कोर्ट अपना फैसला सुना देता तो इस फैसले का सीधा असर राज्य सरकार पर पड़ता। अगर कोर्ट स्पीकर के फैसले को गलत ठहराती तो 18 विधायकों की सदस्यता बहाल हो जाती। ऐसे में पलानीस्वामी सरकार विधानसभा में अल्पमत में आ जाती। इस स्थिति में सरकार को सदन में बहुमत साबित करना होता। वहीं अगर कोर्ट स्पीकर के फैसले को सही मानती है तो सभी विधायकों की सदस्यता खत्म हो जाती। ऐसे में तमिलनाडु में 18 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होते। उपचुनाव में भी AIADMK को कम से 4 से 5 सीटें जीतनीं होती, तब जाकर पलानीस्वामी सरकार बचती। गौरतलब है कि तमिलनाडु में विधानसभा की 234 सीटें हैं। यहां बहुमत के लिए 118 सीटों की दरकार होती है। एआईएडीएमके के पास फिलहाल 114 विधायक हैं, वहीं डीएमके के पास 98 और टीटीवी के पास एक विधायक हैं। AIADMK के 18 विधायक यहां स्पीकर द्वारा अयोग्य करार दिए गए हैं। AIADMK के पास बहुमत से चार विधायक कम हैं।
इन विधायकों पर होना है फैसला
थंगा तमिल सेलवन, आर मुरुगन, मारियुप कन्नेडी, वी सेंथिल बालाजी, सी मुथैया, पी वेत्रिवेल, के काथीरकमू, सी जयंती पद्मनाभन, पी पलनिअप्पन, एन जी पार्थीबन, एम कोठांदपानी, टीए एलुमलै, एम रंगासामी, आर थंगादुराई, आर बालासुब्रमणी, एसजी सुब्रमण्यम, आर सुंदरराज और के उमा महेरी।
Created On :   14 Jun 2018 10:10 AM IST