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शिवसेना ने आखिर क्यों आदित्य ठाकरे को वर्ली से बनाया उम्मीदवार, समझें पूरा गणित

हाईलाइट
- वर्ली से आदित्य ठाकरे शिवसेना के उम्मीदवाद
- पहली बार ठाकरे परिवार से कोई लड़ रहा चुनाव
- वर्ली सीट से शिवसेना के सुनील शिंदे हैं विधायक
डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं। भाजपा-शिवसेना गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतर रही है। इस बार महाराष्ट्र चुनाव नया इतिहास रचने जा रहा हैं। शिवसेना के 52 सालों के सफर में पहली बार ठाकरे परिवार का कोई सदस्य राजनीतिक मैदान में उतर रहा है। शिवसेना ने इस बार वर्ली सीट से उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे को उतारा है। गुरुवार को आदित्य ने वर्ली विधानसभा सीट से नामांकन भी दाखिल कर दिया। बालासाहब के पोते आदित्य को वर्ली विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाना शिवसेना की एक बड़ी राजनीति का हिस्सा है। शिवसेना के मौजूदा विधायक सुनील शिंदे ने आदित्य के लिए अपनी दावेदारी छोड़ दी। आइए जानें वर्ली सीट का पूरा गणित :
शिवसेना का गढ़ वर्ली सीट
मुंबई की वर्ली सीट शिवसेना का गढ़ है। 1990 से 2004 तक लगातार यहां शिवसेना का कब्जा रहा है। साल 2009 के चुनाव में एनसीपी ने जरूर जीत दर्ज की, लेकिन 2014 में शिवसेना ने दोबारा कब्जा कर लिया। वर्ली विधानसभा क्षेत्र के सभी 6 पार्षद भी शिवसेना का है। यह सबसे बड़ा कारण है कि आदित्य को वर्ली सीट से उतारा गया।
सांसद भी शिवसेना से
वर्ली विधानसभा सीट मुंबई दक्षिण सीट में आती है। यहां से सांसद शिवसेना के अरविंद सांवत है। सांवत ने 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के नेता मिलिंग देवड़ा को एक लाख से ज्यादा मतों से हराया था। अरविंद सांवत केंद्रीय मंत्री भी है। ऐसे में अरविंद सांवत का पूरा साथ भी आदित्य को मिलेगा।
विरोधी भी हुआ साथ
वर्ली विधानसभा सीट फिलहाल शिवसेना के सुनील शिंदे विधायक है। 2014 के विधानसभा चुनाव में शिंदे को 60 हजार 625 वोट मिले थे। उन्होंने एनसीपी के नेता सचिन अहीर,भाजपा के सुनील दत्तात्रेय राणे और मनसा के विजय भाऊ को हराया था। 2009 के विधानसभा चुनाव में यहां से एनसीपी से जीतने वाले सचिन अहीर ने जीत दर्ज की थी। खास बात यह है कि सचिन अहीर अब शिवसेना में शामिल हो गए हैं। जिसके बाद वर्ली सीट पर जीत आदित्य के लिए आसान हो गई है।
मनसे ने नहीं उतारा उम्मीदवार
वहीं आदित्य के चाचा राज ठाकरे ने अपने भांजे के सामने मनसे (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना) से किसी को नहीं उतारा है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने कुल 104 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी हैं। ऐसे में आदित्य को अपना चाचा का भी आशीर्वाद मिल रहा है।
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कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।