एमएचआरडी की कोशिशों के बावजूद जेएनयू में नया सत्र शुरू नहीं हो सका

New session could not start in JNU despite MHRDs efforts
एमएचआरडी की कोशिशों के बावजूद जेएनयू में नया सत्र शुरू नहीं हो सका
एमएचआरडी की कोशिशों के बावजूद जेएनयू में नया सत्र शुरू नहीं हो सका
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  • एमएचआरडी की कोशिशों के बावजूद जेएनयू में नया सत्र शुरू नहीं हो सका

नई दिल्ली, 13 जनवरी (आईएएनएस)। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन ने सोमवार से शीतकालीन सत्र शुरू करने की घोषणा की थी। लेकिन छात्रों और अध्यापकों के कड़े विरोध के कारण जेएनयू का नया शिक्षण सत्र प्रारंभ नहीं हो सका।

जेएनयू परिसर में शीतकालीन सत्र का बहिष्कार कर रहे छात्रों को अध्यापकों ने भी अपना समर्थन दिया। छात्रों और अध्यापकों का कहना है कि जेएनयू प्रशासन पहले फीस वृद्धि का फैसला वापस ले, उसके बाद ही विश्वविद्यालय में नया शैक्षणिक सत्र शुरू किया जाएगा।

जेएनयू के कुलपति एम. जगदीश कुमार ने सोमवार 13 जनवरी से नया शीतकालीन सत्र शुरू करने का फैसला किया था। उन्होंने शीतकालीन सत्र के पंजीकरण की तिथि 12 जनवरी से बढ़ाकर 15 जनवरी कर दी। जेएनयू प्रशासन का कहना है कि अभी तक 5000 से अधिक छात्रों ने पंजीकरण करा लिया है। कुलपति ने जेएनयू के सभी छात्रों से अपील की थी कि वे शीतकालीन सत्र को शुरू करने में सहयोग दें। लेकिन जेएनयू छात्रसंघ सोमवार को भी हड़ताल पर रहा। छात्र ही नहीं अध्यापकों ने भी इस हड़ताल का समर्थन किया और अधिकांश प्रोफेसर सोमवार को कक्षाओं में नहीं गए।

जेएनयू छात्रसंघ का कहना है कि शीतकालीन सत्र के लिए पंजीकरण को लेकर बहिष्कार जारी रहेगा। हालांकि छात्रसंघ के नेताओं ने छात्रों से कहा है कि वे शीतकालीन सत्र के लिए 120 रुपये का देय शुल्क ऑनलाइन जमा करवा दें। छात्रसंघ ने शुल्क जमा कराने के उपरांत जारी किए जाने वाले फॉर्म को न भरने की अपील की है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि छात्रों की ओर से फीस तो जमा करा दी जाए, लेकिन नए सत्र को मंजूरी न मिल सके।

गौरतलब है कि जेएनयू में फिलहाल बढ़ी हुई फीस नहीं वसूली जा रही है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव अमित खरे ने यूजीसी से इस विषय पर चर्चा की है। खरे के मुताबिक, फिलहाल यूजीसी फीस वृद्धि का बोझ वहन करेगा। खरे ने छात्रों से हड़ताल समाप्त कर सामान्य शैक्षणिक गतिविधियों में शामिल होने की अपील की थी।

जेएनयू छात्रसंघ का कहना है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारियों से हुई चर्चा के आधार पर ही उन्होंने फीस भरने का फैसला किया है। लेकिन मंत्रालय ने अभी तक कोई स्थाई समाधान नहीं सुझाया है, और न ही फीस वृद्धि वापस ली गई है, जिसके कारण छात्र अभी भी नए सत्र का बहिष्कार कर रहे हैं।

Created On :   13 Jan 2020 2:30 PM GMT

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