निपाह वायरस जैसी घटनाएं मानव निर्मित समस्याएं नहीं : जेपी नड्डा
डिजिटल डेस्क, रायपुर। केरल में निपाह वायरस की वजह से अबतक 17 लोगों की जान जा चुकी है और दर्जन भर से ज्यादा मरीजों का इलाज चल रहा है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों में निपाह वायरस के मद्देनजर सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। पहले तो निपाह वायरस फैलने का कारण चमगादड़ को बताया गया था, जबकि हाल में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित प्रयोगशाला में जानवरों के खून के नमूनों की जांच में साबित किया गया है कि यह वायरस चमगादड़ या सुअर से नहीं फैल रहा है। अब वायरस फैलने के लिए मानव को ही जिम्मेदार माना जा रहा है।
इसी बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा का निपाह वायरस को लेकर एक बयान सामने आया है। छत्तीसगढ़ के दौरे पर पहुंचे जेपी नड्डा ने रायपुर में एक कार्यक्रम को दौरान कहा कि निपाह वायरस प्रकोप जैसी घटनाएं मानव निर्मित समस्याएं नहीं थीं। मंत्रालय ने राज्य सरकारों के समन्वय में सक्रिय कदम उठाए हैं। राज्य सरकार के साथ समन्वय करने के लिए पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के वैज्ञानिक और रोग नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय केंद्र के डॉक्टर्स को तुरंत केरल के प्रभावित क्षेत्र में भेजा गया था।
All such incidents were the result of tampering with nature. Nipah Virus wasn"t a man-made problem. There were natural reasons. Every person suffering from the virus has been mapped those in contact with such patients have been detected: JP Nadda, Union Min on #NipahVirus pic.twitter.com/BQjowbzsg7
— ANI (@ANI) June 4, 2018
वायरस से पीड़ित हर व्यक्ति की जांच की गई थी। यह वायरस से पीड़ित ऐसे रोगियों के संपर्क में रहने वालों व्यक्तियों से पता चला था। ऐसी सभी घटनाएं प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का परिणाम थीं। उन्होंने कहा कि डरने की बजाय जागरूक होने की आवश्यकता है। लोगों को धैर्य रखने की जरूरत है। मंत्रालय स्थिति पर निरंतर निगरानी रख रहा है। निपाह वायरस पीड़ितों के पास केंद्र की टीम 12 घंटे में पहुंच रही है। सभी तरह के बेहतर इंतजाम किए जा रहे हैं।
निपाह वायरस के लक्ष्ण
निपाह वायरस एक तरह का संक्रमित रोग है। मेडिकल टर्म में इसे NiV भी कहा जाता है। निपाह वायरस की चपेट में आने वाले इंसान में एन्सेफलाइटिस सिड्रोम के जरिए यह वायरस तेजी से फैलता है। जिससे तेज बुखार, दिमाग या सिर में तेज जलन, दिमाग में सूजन और सांस लेने में परेशानी होती है। संक्रमण बढ़ने से मरीज कोमा में भी जा सकता है, इसके बाद इंसान की मौत हो जाती है। इस बीमारी का दुनिया में अभी कोई इलाज नहीं है।
Created On :   5 Jun 2018 9:16 AM IST