सुप्रीम कोर्ट को बताया गया, जीएम सरसों के पर्यावरण में रिलीज का प्रभाव कोई नहीं जानता

No one knows the impact of release of GM mustard into the environment, Supreme Court told
सुप्रीम कोर्ट को बताया गया, जीएम सरसों के पर्यावरण में रिलीज का प्रभाव कोई नहीं जानता
नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट को बताया गया, जीएम सरसों के पर्यावरण में रिलीज का प्रभाव कोई नहीं जानता
हाईलाइट
  • मामले में सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) सरसों को पर्यावरण में रिलीज किए जाने का विरोध करने वाले एक याचिकाकर्ता ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बीजों के पौधे कुछ ही हफ्तों में फूलने लगेंगे और इससे पहले कि पर्यावरण दूषित हो, उन्हें नष्ट कर देना चाहिए।

कार्यकर्ता अरुणा रोड्रिग्स का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील प्रशांत भूषण ने जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और बीवी नागरत्ना की पीठ के समक्ष कहा कि जीएम सरसों के पर्यावरणीय रिलीज के प्रभाव के बारे में कोई नहीं जानता है, जिसमें देश में सभी सरसों के बीजों में पर्यावरण को दूषित करने की क्षमता है।

भूषण ने कहा कि इस समय जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) का कहना है कि जीएम सरसों का उपयोग अधिक हाईब्रिड बनाने के लिए किया जाएगा। उन्होंने तर्क दिया कि हाईब्रिड बनाना कोई नई तकनीक नहीं है और गैर-जीएम हाईब्रिड के बीज जीएम फसलों से बेहतर होते हैं।

भूषण ने कहा, भारत में सरसों की 4,000 से अधिक किस्मों की खेती की जा रही है और देश में लगभग हर घर में इसका सेवन किया जाता है।

भूषण ने कहा कि संबंधित अधिकारी नियंत्रित ग्रीनहाउस वातावरण में जीएम सरसों का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन इसे खुले वातावरण में नहीं छोड़ा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत की तकनीकी विशेषज्ञ समिति ने बीटी ट्रांसजेनिक्स के फील्ड ट्रायल पर 10 साल की मोहलत की सिफारिश की थी और अंतिम रिपोर्ट में हर्बिसाइड-रेजिस्टेंट फसलों पर अनिश्चितकालीन और पूर्ण प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी।

भूषण ने जोर देकर कहा कि जीएम सरसों को हर्बिसाइड प्रतिरोधी कहा जाता है, क्योंकि वे उन्हें अवशोषित कर लेंगे, लेकिन इनमें कार्सिनोजेनिक पदार्थ होते हैं, जो मनुष्यों और जानवरों के साथ-साथ पौधों पर भी हानिकारक प्रभाव डालते हैं।

जीन अभियान का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने तकनीकी विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा कि नियामक प्रणाली में बड़ी खामियां हैं, जिन्हें पहले दूर करने की जरूरत है और तब तक जीएम फसलों के क्षेत्र परीक्षण करने की अनुशंसा नहीं की जाती है।

पारिख ने कहा कि जीईएसी एक मूल्यांकन समिति है, न कि अनुमोदन समिति, फिर भी यह फील्ड ट्रायल के लिए मंजूरी दे रही है।

मामले में सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी।

जीईएसी ने 25 अक्टूबर को बीज उत्पादन और परीक्षण के लिए जीएम सरसों को पर्यावरण के अनुकूल रिलीज करने की अनुमति दी थी।

 

 (आईएएनएस)

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Created On :   1 Dec 2022 1:30 AM IST

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