अमेरिका में अल्पसंख्यक अधिकारों के मुद्दे पर प्रदर्शन के बीच अधिकारी ने भारत को घेरा
न्यूयॉर्क, 11 जून (आईएएनएस)। अमेरिका में एक तरफ तो अल्पसंख्यकों की अतिरिक्त-न्यायिक (एक्स्ट्रा ज्युडिशियल) हत्या और दुर्व्यवहार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, वहीं दूसरे ओर उसके शीर्ष विभाग के राजनयिक भारत में धार्मिक स्वतंत्रता व अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले बर्ताव को लेकर चिंता व्यक्त कर रहे हैं।
धार्मिक स्वतंत्रता पर राजदूत सैम ब्राउनबैक ने बुधवार को कहा, भारत में क्या हो रहा है, इसके बारे में हम बहुत चिंतित हैं।
वाशिंगटन में 2019 अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट जारी करने के बाद एक पाकिस्तानी रिपोर्टर द्वारा भारत के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, भारत में ट्रेंड लाइन्स परेशान कर रही हैं, क्योंकि यह एक अलग ही धार्मिक उपमहाद्वीप है। यह अधिक से अधिक हो रहा है - हम बहुत अधिक सांप्रदायिक हिंसा देख रहे हैं। हम बहुत अधिक कठिनाई देख रहे हैं।
उन्होंने चेतावनी दी कि भारत में और अधिक धार्मिक हिंसा देखने को मिलने वाली है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारत का नेतृत्व विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच संवाद शुरू करे।
उन्होंने कहा, मुझे उम्मीद है कि वे भारत में एक उच्च स्तर पर विकसित होने के लिए एक इंटरफेथ संवाद शुरू करेंगे और फिर उन विशिष्ट मुद्दों से भी निपटेंगे जिनकी हमने (रिपोर्ट में) पहचान की है।
उन्होंने कहा, मेरी चिंता यह भी है कि अगर इस प्रयास को आगे नहीं बढ़ाया जाता है, तो आप हिंसा में वृद्धि और समाज के भीतर बढ़ती और कठिनाई को देखेंगे।
ब्राउनबैक ने कहा कि अमेरिका कोविड-19 महामारी के लिए धार्मिक अल्पसंख्यकों को बलि का बकरा बनाए जाने के बारे में भी चिंतित है।
उन्होंने कहा, तो भारत में, हम आशा करेंगे कि कोविड के लिए अल्पसंख्यकों को दोष नहीं दिया जाएगा - वे इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं। आशा है कि वे स्वास्थ्य सेवा, खाद्य पदार्थों और दवाओं तक भी पहुंच प्राप्त कर सकेंगे, जिनकी उन्हें इस संकट की घड़ी में आवश्यकता है।
हालांकि अमेरिका में, पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया मूल के अल्पसंख्यक नागरिकों पर भी हमले किए जा रहे हैं, क्योंकि कोविड-19 की उत्पत्ति चीन में हुई थी।
भारत के बारे में जो बातें रिपोर्ट में कही गई हैं, उनमें ज्यादातर मीडिया रिपोर्ट्स व एनजीओ द्वारा धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हुए हमले व विदेशी फंडिंग जैसे मामलों की रिपोर्ट पर आधारित हैं।
धार्मिक मुद्दों से संबंधित रिपोर्ट में कश्मीर की विशेष संवैधानिक स्थिति को बदलने का भी उल्लेख किया गया है।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समेत हिंदू बहुसंख्यक पार्टियों के कुछ अधिकारियों ने सार्वजनिक तौर पर या सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए अल्पसंख्यकों के खिलाफ बयान दिए हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्रशासन गोरक्षा के नाम पर की गई हत्याओं, भीड़ की हिंसा और डराने-धमकाने वाले लोगों को सजा देने में भी अकसर विफल हो जाता है।
Created On :   11 Jun 2020 4:31 PM IST