कम्यूनिकेशन मॉनिटरिंग: राहुल बोले- पुलिस स्टेट, शाह ने कहा- क्या डर है जिसको छुपा रहे हो

Rahul Gandhi calls PM Modi insecure dictator over snooping order
कम्यूनिकेशन मॉनिटरिंग: राहुल बोले- पुलिस स्टेट, शाह ने कहा- क्या डर है जिसको छुपा रहे हो
कम्यूनिकेशन मॉनिटरिंग: राहुल बोले- पुलिस स्टेट, शाह ने कहा- क्या डर है जिसको छुपा रहे हो
हाईलाइट
  • कंप्यूटर और मोबाइल की सूचनाओं का इंटरसेप्शन
  • निगरानी और डिक्रिप्शन का अधिकार सरकार ने 10 प्रमुख एजेंसियों को दिया है।
  • राहुल गांधी ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री मोदी पर भारत को एक पुलिस स्टेट में तब्दील करने का आरोप लगाया।
  • सरकार के इस फैसले का चौतरफा विरोध हो रहा है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कंप्यूटर और मोबाइल की सूचनाओं का इंटरसेप्शन, निगरानी और डिक्रिप्शन का अधिकार सरकार ने 10 प्रमुख एजेंसियों को दिया है। सरकार के इस फैसले का चौतरफा विरोध हो रहा है। विपक्ष हमलावर हो गया है और सरकार पर लोगों की प्राइवेसी में दखल देने का आरोप लगा रहा है। कांग्रेस प्रेसिडेंट राहुल गांधी ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा और उन पर भारत को एक पुलिस स्टेट में तब्दील करने का आरोप लगाया। कांग्रेस के इस आरोप का बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह ने भी चुटिले अंदाज में जवाब दिया है।

-राहुल गांधी ने कहा, "भारत को पुलिस स्टेट में तब्दील करने से आपकी समस्या का समाधान नहीं होगा मोदी जी। एक अरब से अधिक भारतीय नागरिकों के समक्ष सिर्फ यही साबित होने वाला है कि आप किस तरह के असुरक्षित तानाशाह हैं।"

-कांग्रेस अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह ने कहा, "राहुल गांधी फिर से भयभीत होकर राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता और राजनीति कर रहे हैं। यूपीए सरकार ने गैरकानूनी निगरानी पर किसी तरह का बैरियर नहीं लगाया था। हालांकि जब मोदी सरकार ने नागरिकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाया, तो राहुल गांधी साजिश के नाम पर चिल्ला रहे हैं।" अमित शाह ने राहुल गांधी पर चुटकी लेते हुए लिखा, "तुम इतना क्यों झुठला रहे हो, क्या डर है जिसको छुपा रहे हो!"

-आंध्र प्रदेश के सीएम ने ट्वीट कर कहा, "किसी भी चेक के बिना फोन कॉल और कंप्यूटर को स्नूप करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों को दी गई स्वीपिंग शक्तियां बेहद खतरनाक हैं। यह कदम भारतीय संविधान में नागरिकों को दिए गए गोपनीयता के सामान्य और मौलिक अधिकारों पर प्रत्यक्ष हमला है।

-पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने गृह मंत्रालय से इस अधिसूचना को वापस लेने का आग्रह किया है। उन्‍होंने कहा है कि देश का हर नागरिक सर्विलांस के दायरे में क्‍यों है।

-नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार ने इस आदेश के माध्यम से देश में अघोषित आपातकाल लगा दिया है।

-कांग्रेस के उपनेता शर्मा ने कहा कि इस आदेश के माध्यम से लोगों की निजता के मूलभूत अधिकार पर हमला किया गया है।

-कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने निजता को मौलिक अधिकार बताया है। भारत सरकार 20 दिसंबर की मध्यरात्रि में आदेश जारी कर कहती है कि पुलिस आयुक्त, सीबीडीटी, डीआरआई, ईडी आदि के पास यह मौलिक अधिकार होगा कि वे हमारी निजता में दखल दे सकें। देश बदल रहा है।"

-कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने ट्वीट कर कहा, ‘इलेक्ट्रॉनिक निगरानी की अनुमति देने का सरकार का आदेश नागरिक स्वतंत्रता एवं लोगों की निजी स्वतंत्रता पर सीधा हमला है।"

-दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा "मई 2014 से ही भारत अघोषित आपातकाल के दौर से गुजर रहा है। बीते कुछ महीनों में तो मोदी सरकार ने सारी हदें पार कर दी हैं। अब नागरिकों के कंप्यूटर तक का कंट्रोल मांगा जा रहा है। क्या दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी में मूलभूत अधिकारों का इस तरह से हनन स्वीकार किया जा सकता है?"

-एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने निशाना साधाते हुए कहा है कि किसे पता था कि घर घर मोदी का मतलब क्या था। ध्यान रहे कि 2014 लोकसभा चुनाव के समय "हर-हर मोदी, घर-घर मोदी" जैसे नारे काफी प्रचलित हुए थे। ओवैसी ने कहा, मोदी ने सरकारी आदेश के जरिए हमारे राष्ट्रीय एजेंसियों को हमारे कम्यूनिकेशन की जासूसी करने के लिए कहा है।

-वरिष्ठ वकील इंदिया जयसिंह ने ट्वीट कर कहा कि ये सुप्रीम कोर्ट के आदेश का बड़ा उल्लंघन है। उन्होंने कहा  ‘कोई भी सूचना’ को इंटरसेप्ट किया जा सकता है। इसका मतलब है कि इसमें फेसबुक प्रोफाइल और वाट्सऐप मैसेजेज जैसी चीजें भी शामिल होंगी।

-उधर सरकार इस मामले पर सफाई दे रही है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि आम लोगों के जीवन पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के सेक्शन 69 में कहा गया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता और एकता को लेकर किसी चिंताजनक स्थिति में सक्षम एजेंसियां यह जांच कर सकती हैं।

इस सेक्शन में राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर प्रावधानों का जिक्र किया गया है। सरकार के मुताबिक ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब इस तरह का आदेश जारी किया गया हो। विभिन्न खतरों से देश को बचाने के लिए इस तरह के प्रावधान पहले से मौजूद रहे हैं और इसका उपयोग होता रहा है।

-कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, "यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए किया गया है। यह 2009 में मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान भी किया गया था। इंटरसेप्शन के हर केस का निर्णय गृह मंत्रालय के सचिव करेंगे।

क्या कहा गया है सरकारी आदेश में?
गृह मंत्रालय की ओर से आईटी एक्ट, 2000 के 69 (1) के तहत दिए गए आदेश में कहा गया है कि किसी भी कम्प्यूटर, मोबाइल या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में रखी, प्राप्त हुई या उससे भेजी गयी सूचना पर निगरानी रख सकती है। निगरानी रखने का अधिकार 10 एजेंसियों को दिया गया है। अधिसूचना में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि किसी भी कंप्यूटर संसाधन के प्रभारी सेवा प्रदाता या सब्सक्राइबर इन एजेंसियों को सभी सुविधाएं और तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए बाध्य होंगे। इस संबंध में कोई भी व्यक्ति या संस्थान ऐसा करने से मना करता है तो "उसे सात वर्ष की सजा भुगतनी पड़ेगी।"

Created On :   21 Dec 2018 2:46 PM GMT

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