रेप पीड़ित साध्वी ने लिखी राष्ट्रपति को चिठ्ठी, बताई आपबीती
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। यूपी की योगी सरकार में मंत्रियों पर जहां रेप के आरोप लग रहे हैं, वहीं सरकार आरोपियों पर को आरोपी मुक्त कर कोई एक्शन नहीं ले रही है। एक तरफ जहां विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को लेकर योगी से रिपोर्ट की मांग की गई है वहीं दूसरी ओर पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद पर दर्ज रेप केस वापस लेने के फैसले में नया मोड़ आ गया है। इस मामले की पीड़िता ने राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश, राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस संबंध में कार्रवाई नहीं किए जाने का सनसनीखेज आरोप लगाया है।
सरकार कर रही आरोपी की मदद
पीड़िता का आरोप है कि यूपी सरकार आरोपी स्वामी का खुलकर मदद कर रही है। पीड़ित साध्वी का आरोप है कि यौन उत्पीड़न के आरोपी पूर्व गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद प्रभावशाली नेता है, इसलिए उनको शासन, प्रशासन और न्यायालय से खुली मदद मिल रही है। योगी सरकार ने स्वामी चिन्मयानंद पर से भी शिष्या से बलात्कार का केस हटाने का आदेश दिया है। इस संबंध में चिट्ठी नौ मार्च, 2018 को जिला मजिस्ट्रेट, शाहजहांपुर के कार्यालय से जारी हुई है। वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी को संबोधित पत्र एडीएम (प्रशासन) के दस्तखत से जारी हुआ है। उसी दिन सक्षम अधिकारी को इस पर अमल के लिए भी लिख दिया गया है। पत्र में लिखा गया है कि शासन ने शाहजहांपुर कोतवाली में स्वामी चिन्मयानंद पर दर्ज धारा-376,506 आईपीसी का केस वापस लिए जाने का फैसला हुआ है।
सन्यास देने का नाम पर किया रेप
बता दें कि स्वामी चिन्मयानंद अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री थे। पीड़ित साध्वी ने पत्र में लिखा है, "मैंने 30 नवंबर 2011 को शाहजहांपुर कोतवाली में मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता चिन्मयानंद के खिलाफ केस दर्ज कराया था, उस समय तक वह आरोपी की शिष्या और आश्रम की प्रबन्धक थी। सन्यास देने के नाम पर बहलाने, फुसलाने और बंधक बनाने के बाद लंबे समय तक बलात्कार किया गया। इसके साथ ही जान से मारने का प्रयास किया गया।
पुलिस ने केस में नहीं दिखाई रुचि
साध्वी ने चिठ्ठी में चिन्मयानंद पर आरोपी लगाते हुए लिखा कि आरोपी को लाभ पहुंचाने की नीयत से पुलिस ने केस में खास रुचि नहीं दिखाई। इसका सीधा लाभ आरोपी चिन्मयानंद को मिला। गवाह और सुबूत के अभाव में आरोपी इलाहाबाद हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर स्टे लेने में कामयाब हो गया। इसके बाद डीआईजी एंटनी देव कुमार ने विवेचना बदायूं पुलिस के हवाले कर दी। बदायूं की तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी ने एसआईएस को विवेचना सौंप दी।
पीड़िता का आरोप है कि पुलिस और कोर्ट के बीच में उनका केस घूमता रहा, लेकिन उन्हें कहीं से न्याय नहीं मिला। इसी बीच यूपी में बीजेपी सरकार बनने के बाद आरोपी चिन्मयानन्द का मनोबल और अधिक बढ़ गया है। वह मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के गुरुभाई हैं। आरोपी योगी से कई बार मिल चुका है। आरोपी के खिलाफ सरकार मुकदमा वापस लेने का फैसला कर चुकी है, जबकि इस केस को वापस लेने का अधिकार सरकार को नहीं होना चाहिए। इसलिए इस केस को यूपी से बाहर स्थानांतरित कर देना चाहिए, ताकि प्रार्थिनी को न्याय मिल सके।
Created On :   11 April 2018 11:42 AM IST