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दैनिक भास्कर हिंदी: भारत-पाकिस्तान के अलावा तीसरा स्वतंत्र देश 'प्रिंसिस्तान' बनाने की थी साजिश, इस किताब ने किया खुलासा

हाईलाइट
- “प्रिंसिस्तान” बनाने की साजिश को नेहरू,पटेल और माउंटबेटन ने किया था नाकाम
- 565 रियासतों को मिलाकर “प्रिंसिस्तान” बनाने की थी साजिश
- संदीप बामजई की पुस्तक में हैं "भारत बनने की कहानी"
डिजिटल डेस्क, दिल्ली। आजाद भारत बनाने के लिए हर नागरिक अपना-अपना योगदान दे रहा था। लेकिन, कुछ चेहरें ऐसे थे जो देश को तोड़ने की साजिश रच रहे थे और उनकी ये चाहत पूरी भी हुई जब भारत से टूटकर एक अलग राष्ट्र पाकिस्तान बना। भारत दो हिस्सों में बंट गया, लेकिन साजिशकर्ताओं का इससे मन नहीं भरा और वो तीसरा देश “प्रिंसिस्तान” बनाने की तैयारी में लग गए, जिसे भारत और पाकिस्तान से स्वतंत्र रखा जाना था। इस साजिश को जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और लॉर्ड माउंटबेटन ने नाकाम कर दिया था। इस पूरी घटना का खुलासा लेखक संदीप बामजई ने अपनी पुस्तक 'प्रिंसिस्तान : हाउ नेहरू, पटेल एंड माउंटबेटन मेड इंडिया' में किया है।
इस पुस्तक में बताया गया है कि, कैसे 565 रियासतों जिन्हें “प्रिंसिस्तान” का नाम दिया गया, को दो स्वतंत्र राज्यों भारत और पाकिस्तान के दायरे से बाहर रखने की साजिश को जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और लॉर्ड माउंटबेटन ने नाकाम किया।
विचार यह था कि, "प्रिंसिस्तान" नामक एक तीसरा प्रभुत्व बनाया जाए जहां 565 रियासतें दो स्वतंत्र राज्यों के दायरे से बाहर रहेंगी और अंग्रेजों के सहयोग से यह एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में स्थापित होगी। इस तरह के विभाजनकारी योजना ने नव स्वतंत्र राष्ट्र को अस्थिर और कमजोर बना दिया था । यह जानना वाकई दिलचस्प है कि, कैसे तीन व्यक्ति ने नव स्वतंत्र राष्ट्र भारत को बेलगाम करने की नापाक ब्रिटिश योजना के रास्ते में खड़े थे। जवाहरलाल नेहरू, लॉर्ड माउंटबेटन और सरदार पटेल ने हर मोड़ पर रियासतों के शासकों से लड़ा और उस धूर्त योजना को नाकाम किया था।
भारत की आज़ादी के बाद "भारत बनने की कहानी" पर कई बेहतरीन पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं। इन्ही पुस्तकों की सूचि में संदीप बामजई की पुस्तक ‘प्रिंसिस्तान ‘ का नाम भी जुड़ गया है। ‘प्रिंसिस्तान’ को अगर 247 पृष्ठों का ऐतिहासिक दस्तावेज़ कहा जाये, तो गलत नहीं होगा। संदीप बामजई हमें पुस्तक के माध्यम से विस्तार और बारीकी से बताते हैं कि कैसे “प्रिंसिस्तान” का गठन हुआ। यह एक गहन शोध और रागात्मक भाव से लिखी गयी पुस्तक है। वह विभिन्न स्रोतों - पत्रों, संस्मरणों, आत्मकथाओं, समाचार रिपोर्टों और अपने व्यक्तिगत अनुभवों से वह इस पुरे वितान को हमारे समक्ष लाते हैं।
ऑल इंडिया स्टेट्स कॉन्फ्रेंस का संगठन नेहरू की महत्वाकांक्षी योजना थी। नेहरू ने गांधी को साधिकार आग्रह किया और कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी रियासतें भारत संघ के साथ हों। नेहरू की परवरिश, उनकी विचार प्रक्रिया शुरू से ही साम्रज्य /राजशाही विरोधी थी। नेहरू कभी भी राजकुमारों को पसंद नहीं करते थे और उनका यह विचार उनके राजतंत्रीय विरोधी अवधारणा और फैबियन समाजवादी सोच से उपजा था। नेहरू एक संपूर्ण एकीकृत भारत की अवधारणा पर विश्वास करते थे, जिसमें प्रांत और रियासतें शामिल थीं।नेहरू के सम्राज्यवाद विरोधी स्वभाव, पटेल की चतुराई के और गांधीजी एक आकार रहित भारत का विश्वास जिसमें वह चाहते थे कि लोग सह-अस्तित्व में रहें। लेखक किताब में आख्यान को हवाला देते हुए बताते हैं ।
दस्तावेज़ को पढ़ते और लिपिबद्ध करते समय लेखक संदीप बामज़ई का दृष्टिकोण और व्यवहारिकता दोनों में संतुलन है, जिसका प्रमाण इस पुस्तक में दृष्टिगत होता है। भारत को एक करने का अभूतपूर्व कार्य जिसमें हर नीति का प्रयोग किया गया, इस पुस्तक में दर्ज है जिसे पढ़ते हुए आपको इससे एक भावात्मक राग सा जुड़ाव लगेगा।
तत्कालीन रियासत भारत राष्ट्र में विलय के लिए सहज नहीं थे। आज़ाद भारत में शामिल होने के सबंध में रियासत के साथ कई संवाद हुए और अधिक अवसरों पर राजाओ ने अपने सवतंत्र अस्तित्वा के पक्ष में पर जीत हासिल की थी। लार्ड माउंटबेटन ने तत्कालीन रियासत के राजाओ को बहुत स्पष्ट और कड़े शब्दों में कहा कि,15 अगस्त 1947 बाद कोई अन्य तरीका नहीं है ,अगर आप सोच रहे हैं कि आप छोटे - छोटे, रियासत का निर्माण करेंगे और जिसे ब्रिटिश हुकूमत समर्थन करेगी, जो कि असंभव है। और ठीक यहीं "प्रिंसिस्तान" की अवधारणा का बीजारोपण होता है।
लेखक संदीप बामजई विस्तार से बताते हैं रियासत कभी भी स्वतंत्रता नहीं चाहते थे। इन रियासतों का एक चैंबर था और चैंबर ऑफ प्रिसेंस के चांसलर भोपाल के नवाब हमीद़ल्लाह खान थे। तत्कालीन राजाओं ने ने काफी हद तक खुद को हिंदुस्तान और पाकिस्तान के मशले से लंबे समय तक बाहर रहने में कामयाबी भी हासिल कर ली थी। परन्तु पंडित नेहरू, सरदार पटेल और लॉर्ड माउंटबेंटन ने उनके इस विभाजक मंसूबों पर पानी फेर दिया। भारत को अस्थिर और कमजोर करने के मिशन में इन रियासतों का साथ अली जिन्ना, लॉर्ड वेवेल और ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने भरपूर साथ दिया था।
आगे ,संदीप बामजई किताब में लिखते हैं:
पटेल ने मेनन से पूछा कि क्या आप देख रहे हैं?
सरदार पटेल ने मेनन से यह भी पूछा, क्या माउंटबेटन एक टोकरी में सभी 565 सेब लाएंगे और उसे रख देंगे?
मेनन, पटेल के प्रश्न का सकारात्मक उत्तर देते हैं ,और पटेल अंगूठे को ऊपर कर सहमति देते हैं। और इसी प्रकार भारत का निर्माण होता है। मेनन ने इन रियासतदारों को साम, दाम, दंड, भेद की नीति अपनाकर अपनी ओर मिलाया।
यह एक कहानी की तरह पाठक को 1947 के उस काल खण्ड में ले जाती है जहां यह सब घटित हो रहा था।
वीपी मेनन एक दृढ सोच वाले नौकरशाह थे,जिन्होंने पहले माउंटबेटन के साथ काम किया था। उन्होंने ओडिशा से भावनगर तक लम्बी यात्रा की थी। मेनन शिमला जाते हैं, डिकी बर्ड योजना पर काम करते हैं, नेहरू उस योजना की पुष्टि करते हैं, और अंततः माउंटबेटन उस योजना को मंजूरी देता है। आपको पढ़ते हुए यह एहसास होगा कि, 565 टुकड़ों को एक सूत्र में पिरोने की ये कहानी राजनीतिक पुस्तक की तरह एक खास वर्ग के लिए नहीं लिखी गई है।
लेखक ने वी पी मेनन के योगदान शानदार वर्णन किया है। यह पुस्तक निश्चित रूप से एक खास वर्ग को आइना दिखने का भी काम करती है, जो पटेल और नेहरू के मध्य वैचारिक दीवार खड़ा कर रही है।
संदीप बामज़ई ने अपने इस किताब के माध्यम से भारत के एक आजादी के तुरंत बाद के स्तिथि को कथात्मक इतिहास के रूप में प्रस्तुत करने का एक शानदार काम किया है। साथ ही साथ भारतीय राष्ट्र-राज्य की सकंल्पना और निर्माण कथाओं को भी अपने अर्जित भाषा शिल्प और पत्रकारिता के विराट अनुभवों के माध्यम से हमारे समक्ष लाते हैं ।
वर्तमान समय में बहुत कम ही ऐसे सन्दर्भ पुस्तक लिखी जा रही है ,जैसा संदीप बमजई ने लिखा है। यह हमारे बुक शेल्व्स में रहने वाली अनिवार्य पुस्तक है। संदीप की यह उत्कृष्ट कृति को लम्बे समय तक याद किया जाएगा।
पुस्तक : प्रिंसिस्तान : हाउ नेहरू, पटेल एंड माउंटबेटन मेड इंडिया
लेखक : संदीप बामजई
प्रकाशक: रूपा एंड को
भाषा: अंग्रेजी
(समीक्षक, आशुतोष कुमार ठाकुर - बैंगलोर में रहते हैं। पेशे से मैनेजमेंट कंसलटेंट तथा कलिंगा लिटरेरी फेस्टिवल के सलाहकार हैं।)
क्लोजिंग बेल: सेंसेक्स 652 अंक, निफ्टी 17,800 के नीचे बंद हुआ
डिजिटल डेस्क, मुंबई। देश का शेयर बाजार कारोबारी सप्ताह के पांचवे और आखिरी दिन (19 अगस्त 2022, शुक्रवार) गिरावट के साथ बंद हुआ। इस दौरान सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही लाल निशान पर रहे। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 651.85 अंक यानी कि 1.08% गिरकर 59,646.15 के स्तर पर बंद हुआ।
वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी ने लगातार आठ सत्रों में बढ़त के पश्चात ऊंचे स्तरों से लाभ ले लेने की प्रवृति दिखाई। निफ्टी तेजी के साथ खुला एवं 17992.20 का उच्चतम स्तर छुआ परंतु यह बढ़त बनी नहीं रह पायी, इसने दिन के मध्य 17710.25 का निचला स्तर बना बनाया तथा अंत में 198.05 अंक यानी कि 1.10% की गिरावट के साथ 17,758.45 के स्तर पर बंद हुआ।
जबकि बैंक निफ्टी 720 अंकों की गिरावट के साथ 38985.95 पर रहा। अगस्त का निफ्टी पुट कॉल रेश्यो 0.71 आ गया जो मंदड़ियों के आक्रमण तथा सक्रियता को दर्शाता है। क्षेत्र विशेष में निफ्टी आईटी को छोड़कर शेष सभी सूचकांक लाल रंग में रहे जिनमें निफ्टी ऑटो, मेटल, बैंकिंग में सबसे अधिक गिरावट रही।
निफ्टी के शेयरों में सर्वाधिक बढ़त अदानी पोर्ट, एलटी, इंफी तथा आयशर मोटर में रही जबकि इंडसइंड बैंक, बजाजफिनसर्व, टाटा कंज्यूम एवं अपोलो हॉस्पिटल में सबसे अधिक गिरावट रही। तकनीकी आधार पर निफ्टी ने दैनिक टॉप प्रारूप पर एक बेयरिश इंगल्फिंग कैंडल बनाया है जो मंदी का संकेत है। निफ्टी ने 21 एचएमए के नीचे बंदी दी है परंतु 50 एचएमए पर सपोर्ट लिया है, इस स्तर को तोड़ने पर मंदी गहरा सकती है।
निफ्टी 18000 के मनोविज्ञानिक स्तर पर अवरोध का सामना कर रहा है तथा ऊंचे स्तरों पर बिकवाली दिखा रहा है। निफ्टी के ओपन इंटरेस्ट डाटा में, कॉल में सर्वाधिक ओपन इंटरेस्ट 18000 पर है जबकि पुट में 17500 ,फिर 17400 पर है। मोमेंटम इंडिकेटर एमएसीडी तथा स्टोकिस्टिक आवरली समयावधि में नकारात्मक क्रॉसओवर के साथ ट्रेड कर रहें हैं जो मंदी का सूचक है। निफ्टी का सपोर्ट 17600 पर स्थांतरित हो गया है,18000 एक तात्कालिक अवरोध है।
बैंक निफ्टी का सपोर्ट 38500 तथा अवरोध 40000 पर है। कुलमिला कर निफ्टी ने एक बड़ा लाल कैंडल बनाया है जो आने वाले सत्रों में लाभ ले लेने की प्रवृति बनी रहने का संकेत है। 17600 निफ्टी टूटने के पश्चात 17300 का स्तर आ सकता है। मार्केट में आज अचानक बड़ी बिकवाली दिखी है तथा बुल इस मंदी का प्रतिकार करने में सफल नही रहे जो चिंता का विषय है। काफी बढ़ चुके शेयरों में आंशिक लाभ ले लेना चाहिए। ट्रेलिंग स्टॉप लॉस अवश्य रखें।
पलक कोठारी
सीनियर टेक्निकल एनालिस्ट
चॉइस ब्रोकिंग
Source: Choice India
पद्मश्री उषा किरण खान सम्मान: हिंदी साहित्य जगत की प्रख्यात कथाकार पद्मश्री उषा किरण खान का सम्मान समारोह एवं कहानी–पाठ का भव्य आयोजन हुआ
डिजिटल डेस्क, भोपाल। विश्व रंग 2022' के अंतर्गत वनमाली सृजन पीठ, मानविकी एवं उदार कला संकाय, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी साहित्य जगत की प्रख्यात कथाकार पद्मश्री उषा किरण खान के सम्मान समारोह एवं कहानी–पाठ का भव्य आयोजन स्कोप कैम्पस सभागार, मिसरोद, भोपाल में हुआ। सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा सरस्वती जी की मूर्ति पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अतिथियों द्वारा पद्मश्री उषा किरण खान को प्रतीक चिन्ह, शॉल एवं श्रीफल भेंटकर अलंकृत किया गया।
इस अवसर पर पद्मश्री उषा किरण खान ने अपने उद्बोधन में कहा कि 'मेरे जीवन और लेखन में मनुष्यता के आपसी रिश्तों का बहुत गहरा महत्व है। इन संबंधों में कुछ सही या गलत होता है तो उसकी कोई न कोई वजह जरूर होती है। मैंने इतिहास पढ़ा है और पढ़ाया है। जो इतिहास पढ़ता है और पढ़ाता है, वह इतिहास और जीवन में घटित होती घटनाओं की वजह को जरूर तलाशता है। मेरी कहानियाँ समाज में घटित भयावह सत्य को उजागर करती है। कारणों की पड़ताल करती है। मैं हिंदी पट्टी की गाँव की बात कहने वाली लेखिका हूँ। कोसी नदी के दोनों किनारों पर जीवन बसर करने वाले गरीब दलित लोगों के सुख–दुःख क्या है, इनसे सभी का परिचय होना जरूरी है।'
डिजिटल डेस्क, भोपाल। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि–कथाकार, निदेशक, विश्व रंग एवं रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलाधिपति संतोष चौबे ने कहा कि उषा किरण जी की कहानियों में भारतीय ग्रामीण समाज बहुत शिद्दत से उपस्थित रहता है। वे अपनी रचनाएँ सरल, सरस, सहज ग्राह्य भाषा में बहुत सहजता के साथ लिखती है। वे बहुत छोटे–छोटे वाक्यों में रचनात्मक संवाद शैली में कहानियों की रचना करती है। उषा किरण जी यथार्थवाद की सशक्त प्रतिनिधि कथाकार है। उनकी रचनाएँ हमें अपनी स्मृतियों में ले जाती है।
वरिष्ठ कथाकार शशांक ने अपने उद्बोधन ने कहा कि वास्तविक प्रेम की आदिम इच्छाओं को बचाएं रखने का बड़ा काम उषा किरण जी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से किया है। कहानी की परंपरा उषा जी की कहानियों में मिलती है।
वरिष्ठ कथाकार, वनमाली कथा पत्रिका के प्रधान संपादक एवं वनमाली सृजन पीठ, भोपाल के अध्यक्ष मुकेश वर्मा ने कहा कि उषा जी हिंदी और मैथिली में समान रूप से कहानियां लिखती है। वे सामाजिक कार्य भी करती है। उनके लेखन में सामाजिक कार्य और बिहार के मिथिलांचल की सौंधी माटी की महक अपनी स्थानीयता के साथ उपस्थित है।
वरिष्ठ कथाकार डॉ. उर्मिला शिरीष ने कहा कि उषा किरण खान नई पीढ़ी के रचनकारों की पुस्तकों को पढ़कर व्यक्तिगत रूप से रचनाकार को न सिर्फ बधाई देती है वरन अपने लिखित विचार भी प्रेषित करती है। उषा जी के द्वारा नये रचनकारों को प्रोत्साहित करना उन्हें विशिष्टता प्रदान करता है।
विश्व रंग आयोजन समिति के सदस्य एवं वरिष्ठ कवि बलराम गुमास्ता ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उषा जी का सान्निध्य हमें अनवरत मिल रहा है। यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है। उनकी रचनाओं में बिहार का जनजीवन अपनी पूरी जीवटता के साथ पाठक को अपना बना लेता है। पाठक उनकी रचनकारों को अपने बहुत निकट पाता है।
वरिष्ठ कथाकार पंकज सुबीर ने पद्मश्री उषा किरण खान के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर विचार रखते हुए उनका परिचय प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम का सफल संचालन युवा आलोचक अरुणेश शुक्ल ने किया।
पद्मश्री उषा किरण खान की कहानी का बहुत सुंदर पाठ प्रशांत सोनी द्वारा किया जाएगा।
इस अवसर पर उषा जी को आईसेक्ट पब्लिकेशन द्वारा अट्ठारह खंडों में प्रकाशित कथादेश कोश, वनमाली श्रृंखला की पुस्तकें, वनमाली कथा, रंग संवाद एवं सफह पर आवाज भेंट स्वरूप प्रदान की गई।
वनमाली सृजन पीठ हजारीबाग के अध्यक्ष, श्री मनोहर बाथम, डॉ. राघव, डॉ. सत्येन्द्र खरे, टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केन्द्र के निदेशक विनय उपाध्याय, आईसेक्ट पब्लिकेशन के प्रबंधक महीप निगम, युवा कवि, मोहन सगोरिया, वनमाली पत्रिका के संपादक युवा कथाकार कुणाल सिंह, सह संपादक ज्योति रघुवंशी, डॉ. मोनिका सिंह, डॉ. उषा वैद्य, डॉ. सावित्री सिंह परिहार, लघुकथा केंद्र की निदेशक कांता राय, डॉ. मौसमी परिहार, सहित कई युवा रचनाकारों, साहित्यप्रेमियों एवं आईसेक्ट स्कोप कैम्पस फेकल्टी सदस्यों ने अपनी रचनात्मक उपस्थिति दर्ज कराई। कार्यक्रम का संयोजन वनमाली सृजन पीठ के संयोजक संजय सिंह राठौर ने किया।
करियर परामर्श: टॉप 5 सरकारी नौकरियां, जिससे बदल सकता हैं आपका लाइफस्टाइल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में, सरकारी नौकरियां लगभग हर व्यक्ति की ड्रीम जॉब होती हैं। स्टेबिलिटी, समय पर वेतन, अतिरिक्त
भत्ते, आवास सुविधाएं जैसे मिलने वाले और भी कई लाभ लोगों को Government Jobs के प्रति आकर्षित करते हैं। ये सभी सुविधाएं एक आम व्यक्ति के लाइफस्टाइल को एक बेहद खास लाइफस्टाइल में बदल देती है। सरकारी नौकरियों की चयन प्रक्रिया कठिन होती है, लेकिन ये नौकरियां अच्छी लाइफस्टाइल और अच्छी सुरक्षा प्रदान करती हैं। यही कारण है कि बहुत से लोग भारत में प्राइवेट जॉब्स से ज्यादा बढ़िया गवर्नमेंट जॉब को मानते हैं।
भारत में मिलने वाली टॉप 5 सरकारी नौकरियां, पाए बेहतर वेतन से लेकर बेहतर लाइफस्टाइल तक सबकुछ!
1. भारतीय विदेश सेवा- Indian Foreign Service (IFS)
भारतीय विदेश सेवा (IFS) ग्रुप ए और ग्रुप बी सिविल सेवाओं के तहत एक प्रशासनिक राजनयिक है। यह प्रमुख सिविल सेवाओं में से एक है, जो विदेशों में भारत की उपस्थिति का प्रतीक है। सेवा को कूटनीति का संचालन करने, विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में भारत की उपस्थिति को चिह्नित करने और भारत के विदेशी संबंधों का प्रबंधन करने के लिए सौंपा गया है। यह दुनिया भर में 160 से अधिक भारतीय राजनयिक मिशनों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में सेवारत कैरियर राजनयिकों का निकाय है। IFS अधिकारी का चयन UPSC सिविल सेवा परीक्षा पर निर्भर करता है। IFS अधिकारियों को अच्छा वेतन मिलता है और उन्हें अतिरिक्त विदेशी भत्ता भी मिलता है।
एक IFS अधिकारी को दी जाने वाली प्रमुख सुविधाओं और भत्तों में शामिल हैं:
● वेतन- INR 60,000
● निःशुल्क चिकित्सा उपचार
● आधिकारिक लक्जरी वाहन
● एक सुरक्षा गार्ड और हाउस हेल्पर
● कर मुक्त वेतन
● भारत की यात्रा के लिए नि:शुल्क उड़ान टिकट
● 2/3 बीएचके मुफ्त आवास
● अंतरराष्ट्रीय स्कूलों में बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा
2. भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय पुलिस सेवा (IAS & IPS)
भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) यकीनन भारत में सबसे अधिक मांग वाली नौकरी है। देश में कहीं भी किस भी बच्चे से पूछें कि वह बड़ा होकर क्या बनना चाहता है। वे खुशी से जवाब देंगे, एक आईएएस अधिकारी। भारतीय पुलिस सेवा (IPS) भी एक ऐसी नौकरी है जो हर साल लाखों उम्मीदवारों को आकर्षित करती है। IAS या IPS में होना बहुत बड़ी बात है, क्योंकि ये सिविल सेवाओं में सबसे प्रतिष्ठित पदों में से एक हैं। एक तरफ, इन अधिकारियों को विविध क्षेत्रों में काम करने का मौका मिलता है और वे भारत में नीति निर्माण का हिस्सा होते हैं, और दूसरी तरफ, इन नौकरियों के लाभ अतुलनीय होते हैं।
आईएएस और आईपीएस को मिलने वाले लाभ
● शुरुआती राशि 50,000 रुपये प्रति माह
● डियरनेंस अलाउंस अन्य सुविधाएँ
● गाड़ी, बिजली, घर आदि भी दिया जाता है।
● हाई क्वालिफिकेशन के लिए सरकार के द्वारा सकोलरशिप भी दी जाती है।
3. रक्षा सेवाएं (Defence Services)
एनडीए, सीडीएस एग्जाम पास करने के बाद डिफेंस सर्वेसिस जॉइन कर सकते हैं। यह नौकरी एक उम्मीदवा को भारतीय सेना, नौसेना और ऐसे रक्षा संस्थानों में प्रवेश करने का अवसर प्रदान करती है।
रक्षा अधिकारी को प्रदान की जाने वाली प्रमुख सुविधाओं में शामिल हैं:
● लैफ्टीनेंट को शुरुआती सैलरी 50 से 60 हजार, लोकेशन के मुताबिक और पोस्ट के मुताबिक सैलरी
अलग-अलग हो सकती है।
● लगातार भत्ता
● असाधारण आवास
● बच्चों की शिक्षा के लिए भत्ता
● सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन की सुविधा
● मुफ्त राशन की सुविधा
● मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं
4. आरबीआई ग्रेड-बी
भारतीय रिजर्व बैंक सबसे सम्मानित भारतीय बैंकों में से एक है। प्रत्येक इच्छुक आवेदक के लिए, आरबीआ ग्रेड-बी सबसे अच्छा पद है। उम्मीदवार को आरबीआई परीक्षा में बैठना होता है। आरबीआई के ग्रेड-बी अधिकारी को भविष्य में निश्चित रूप से पदोन्नति मिल सकती है। आरबीआई ग्रेड-बी अधिकारियों को भारत में सबसे आकर्षक वेतन मिलता है।
आरबीआई ग्रेड-बी अधिकारी को दी जाने वाली प्रमुख सुविधाएं हैं:
● 3 बीएचके फ्लैट आवास
● हर साल 180 लीटर पेट्रोल
● दुनिया भर में यात्रा करने के लिए हर साल 1 लाख
● नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा
● आसान ब्याज दर पर कार लोन और होम लोन
5. DRDO और ISRO में वैज्ञानिक
यदि आप एक इंजीनियरिंग उम्मीदवार हैं, तो आप DRDO और ISRO में वैज्ञानिक के पद के लिए आवेद कर सकते हैं। यदि आप अनुसंधान और विकास विभाग के लिए जुनून रखते हैं तो यह सबसे बेस्ट है। डीआरडीओ और इसरो में वैज्ञानिक कई विज्ञान उम्मीदवारों के सपनों की नौकरी हैं। भारत में सबसे अधिक भुगतान वाली सरकारी नौकरियों में से एक होने के नाते, ये नौकरियां सबसे अधिक वेतन और अन्य भत्ते प्रदान करती हैं।
डीआरडीओ और इसरो में वैज्ञानिकों को दी जाने वाली प्रमुख सुविधाएं हैं:
● शुरुआती सैलरी 55 से 66 हजार रुपये
● निःशुल्क कैंटीन की सुविधा
● मुफ्त चिकित्सा देखभाल
● छह महीने बाद बोनस
● बच्चों के लिए नि:शुल्क शिक्षा की सुविधा
● फ्री होम स्टे सुविधा
● परिवहन सुविधा
● पेंशन योजना
सामूहिक बीमा
लॉ समाधान: कानूनी और लेखा समस्याओं के समाधान का एकमात्र स्थान
डिजिटल डेस्क, भोपाल। कोर्ट-कचहरी के चक्कर कोई नहीं काटना चाहता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जहां जनता को सही सलाह न मिलने का डर सताता है, वहीं, कानून के पचड़े में पड़ना घर बार बिकने के सामान समझा जाता है। इसी डर से आज भी ऐसा देखा जाता है की बहुत से केस रिपोर्ट ही नहीं हो पाते हैं। लेकिन, यदि जनता के पास ऐसा कुछ हो जिस पर वह विश्वास कर सके और ठगा सा महसूस न करे, तो कैसा होगा? ऐसा होने पर न सिर्फ जनता को सही कानूनी सलाह मिलेगी, सलाह उनकी जेब पर भारी भी नहीं पड़ेगी और आसानी से मिलेगी। ऐसा ही है लॉ समाधान पोर्टल। कानूनी और लेखा सेवा प्रदान करने की क्षमता रखने वाले इस पोर्टल पर जनता विश्वास कर सकती है क्योंकि इसके साथ जुड़ें होंगे देश के बेहतरीन और जाने माने वकील और लेखा सेवाओं से जुड़े प्रोफेशनल।
जनता, नए कारोबारियों, अधिवक्ता और चार्टर्ड अकाउंटेंट के लिए उत्तम मंच
डिजिटल इंडिया से प्रेरित नए स्टार्टअप लॉ समाधान की नींव रखी है उत्साही और अपने-अपने क्षेत्र के पारखी जोधपुर के गौरव गहलोत, वाराणसी के आयुष मणि मिश्रा और भरतपुर के प्रणव शर्मा ने। यह एक नया स्टार्टअप है जो जल्द ही सेवा देने के लिए बाजार में आ रहा है। यह कानूनी समाधान प्रदान करने में इंडस्ट्री में शीर्ष और अग्रणी वेब पोर्टल बनने की क्षमता रखता है। इस पोर्टल का उद्देश्य भारत में लीगल और लेखा सेवाओं को एक डिजिटल मंच पर लाना है। यह ग्राहकों और नए कारोबारियों के लिए सबसे अच्छा मंच होगा क्योंकि ग्राहक को एक क्लिक पर लॉ समाधान द्वारा सबसे तेज, सर्वोत्तम और सस्ती सेवा प्रदान की जाएगी। यह सभी अधिवक्ता और चार्टर्ड अकाउंटेंट के लिए भी सबसे अच्छा मंच होगा।
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