कैट के आदेश के खिलाफ अलपन की अर्जी पर फैसला रखा सुरक्षित

Reserved decision on Alapans application against CATs order
कैट के आदेश के खिलाफ अलपन की अर्जी पर फैसला रखा सुरक्षित
कलकत्ता हाईकोर्ट कैट के आदेश के खिलाफ अलपन की अर्जी पर फैसला रखा सुरक्षित

डिजिटल डेस्क, कोलकाता । कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया और कहा कि इसे 2 नवंबर को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की प्रधान पीठ में उनकी निर्धारित सुनवाई से पहले सुनाया जाएगा।

बंद्योपाध्याय ने केंद्र सरकार की प्रार्थना पर कलकत्ता पीठ से उनके द्वारा दायर एक आवेदन को खुद को स्थानांतरित करने के कैट की प्रमुख पीठ के फैसले को चुनौती देते हुए मंगलवार को अदालत का रुख किया था। वह इस समय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मुख्य सलाहकार हैं। उन्होंने 28 मई को कलाईकुंडा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में शामिल नहीं होने पर मानदंडों का उल्लंघन होने के बारे में पता लगाने के लिए केंद्र के फैसले के खिलाफ कैट का रुख किया था।

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा कलकत्ता पीठ से मामले को स्थानांतरित करने की प्रार्थना पर कैट की प्रमुख पीठ ने आदेश दिया कि बंद्योपाध्याय के आवेदन पर सुनवाई की जाएगी। अदालत के सामने पेश हुए बंद्योपाध्याय के वकील श्याम दीवान ने कहा, वह 28 मई को प्रधानमंत्री की कलाईकुंडा बैठक में शामिल नहीं हो सके, क्योंकि वह सुपर साइक्लोन यास के काम में व्यस्त थे। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा था 31 मई को उन्हें सभी विवरणों से अवगत कराया जाए।

उन्होंने कहा दो नवंबर को इसकी फिर से जांच होनी थी। कोलकाता मेरा काम करने का स्थान था है, इसलिए मामला यहां होना चाहिए। इसके अलावा कोई जल्दी नहीं है। दूसरी ओर, केंद्र के वकील, विक्रमजीत बंद्योपाध्याय ने कहा, उच्च न्यायालय क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के बिना किसी भी मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। दिल्ली की प्रधान पीठ ने निर्देश दिया है और इसलिए कलकत्ता उच्च न्यायालय को मामले की सुनवाई का कोई अधिकार नहीं है। इसके अलावा, सभी संबंधित दस्तावेज दिल्ली में हैं और इसलिए प्रधान पीठ के अध्यक्ष ने यह निर्देश दिया है। इसके अलावा, कोलकाता में छुट्टियां लंबे समय से चल रही हैं।

जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य और रवींद्रनाथ सामंत की खंडपीठ ने कहा, हालांकि छुट्टियां हैं, मगर अदालत खुली है! तब न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने कहा कि पीठ फैसला देने से पहले न्यायमूर्ति निशिता मत्रे के फैसले पर गौर करेगी। यह विवाद इस साल 28 मई को तब पैदा हुआ था, जब अलपन बंद्योपाध्याय प्रधानमंत्री मोदी की बैठक में शामिल नहीं हुए थे। प्रधानमंत्री यास चक्रवात से हुई तबाही का आकलन करने के लिए पूर्वी मिदनापुर के कलाईकुंडा आए थे।

 

(आईएएनएस)

Created On :   27 Oct 2021 7:00 PM GMT

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