राफेल सौदे में नाम आने पर बोले वाड्रा- बीजेपी किसी मुद्दे पर घिरती है तो मुझे घसीट लाती है
- बीजेपी का कहना है कि राफेल सौदे में वाड्रा को बिचौलिया बनाना चाहती थी यूपीए सरकार
- राफेल मुद्दे पर बीजेपी के आरोपों पर रॉबर्ट वाड्रा ने दिया जवाब
- वाड्रा बोले- जब भी बीजेपी किसी मुद्दे पर घिरती है तो मुझे घसीट लाती है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रॉबर्ट वाड्रा ने राफेल सौदे में बीजेपी नेताओं द्वारा उनका नाम घसीटने पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा है कि बीजेपी नेताओं की यह आदत हो गई है कि जब भी वे किसी मुद्दे पर घिरते हैं तो मुझे घसीट लाते हैं। वाड्रा ने कहा, "शुरुआत में जब बीजेपी मेरे खिलाफ कोई बयान देती थी तो मुझे आश्चर्य होता था, लेकिन अब यह आम बात हो गई है। जब भी ये लोग मुश्किल में फंसते हैं, तो मुझे बीच में ले आते हैं। रुपए में गिरावट हो रही हो या तेल के दाम बढ़ रहे हो या फिर राफेल मुद्दा हो, जिसमें कि वो पूरी तरह एक्सपोज हो गई है। इन सब के लिए केन्द्र सरकार रॉबर्ट वाड्रा को दोषी मानती है। ये समझ से परे है।"
वाड्रा ने कहा, "केन्द्र सरकार ने सभी एजंसियों को मेरे पीछे लगा दिया है। वर्तमान सरकार और बीजेपी यह अच्छे से जानती है कि मेरे खिलाफ पिछले चार सालों में किस तरह से निराधार राजनीतिक दुष्प्रचार किया जा रहा है।" उन्होंने कहा कि मुद्दों पर दूसरों को घसीटने की बजाय पीएम मोदी को 56 इंच की छाती के साथ राफेल डील के बारे में पूरे देश को सच बताना चाहिए।
गौरतलब है कि राफेल मुद्दे पर कांग्रेस के आक्रामक तेवरों का जवाब देते हुए बीजेपी ने इस मामले में राबर्ट वाड्रा का नाम लिया था। बीजेपी का कहना है कि संजय भंडारी और राबर्ट वाड्रा की कंपनी को यूपीए सरकार बिचौलिये के तौर पर इस्तेमाल करना चाहती थी। जब यह नहीं हो सका तो कांग्रेस इस डील को खत्म कर उसका बदला लेना चाहती है। बुधवार को बीजेपी नेता संबित पात्रा ने इस मामले में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा था, "2016 में संजय भंडारी के यहां छापा पड़ा था। वे राबर्ड वाड्रा के बेहद करीबी मित्र हैं। इस छापे में भंडारी के यहां से राफेल सौदे के कागजात बरामद हुए थे। इतने खुफिया दस्तावेज वहां कैसे पहुंचे, कांग्रेस को इसका जवाब देना चाहिए।"
बता दें कि राफेल पर यह नया विवाद फ्रांस के पूर्व प्रधानमंत्री फ्रांस्वा ओलांदे के उस बयान के बाद उपजा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि राफेल एयरक्राफ्ट बनाने के लिए अनिल अंबानी की रिलायंस कंपनी का नाम उन्हें भारत सरकार ने सुझाया था। उनके पास और कोई विकल्प नहीं था। इसीलिए डसाल्ट ने इसके बाद रिलायंस से राफेल को लेकर बातचीत शुरू की। ओलांदे के इस बयान के बाद फ्रांस सरकार ने भी एक बयान जारी कर कहा था कि इस सौदे के लिए भारतीय कंपनी के चुनाव में उनकी कोई भूमिका नहीं रही है। इन बयानों के बाद विपक्षी दल लगातार मोदी सरकार पर रिलायंस कंपनी को फायदा पहुंचाने का आरोप लगा रहे हैं। वहीं बीजेपी भी इस मामले में गांधी परिवार पर लगातार निशाने साध रही है।
Created On :   26 Sept 2018 7:25 PM IST