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नई दिल्ली: ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा की नीतियों की ग्रामीण निवासियों तक पहुंच होनी चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि राज्य विधायिका के पास आधुनिक चिकित्सा या एलोपैथिक चिकित्सा के संबंध में एक कानून बनाने के लिए कोई विधायी क्षमता नहीं है, जो है वह केंद्रीय कानून द्वारा निर्धारित किए गए मानकों के विपरीत है। शीर्ष अदालत ने इस पर जोर दिया कि ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच बढ़ाने के लिए नीतियों को ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों के लिए शॉर्ट-चेंज नहीं करना चाहिए या जन्म या निवास स्थान के आधार पर उनके साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूपों में अनुचित भेदभाव नहीं होना चाहिए।
जस्टिस बी.आर. गवई और बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने कहा : ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाओं को प्रस्तुत करने वाले चिकित्सा चिकित्सकों के लिए आवश्यक योग्यता के मानकों के बीच कोई भी भिन्नता शहरी या महानगरीय क्षेत्रों में सेवाओं का प्रतिपादन करने वाले चिकित्सकों को गैर-भेदभाव के संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप निर्धारित करना चाहिए। पीठ ने कहा कि असमान क्षेत्रों में प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सा चिकित्सकों के लिए विशेष योग्यता का निर्णय लेना, प्राथमिक, माध्यमिक या तृतीयक चिकित्सा सेवाओं के विभिन्न स्तरों को प्रदान करना, संसद द्वारा जनादेश के साथ सौंपे गए विशेषज्ञ और वैधानिक अधिकारियों के जनादेश के भीतर है।
पीठ की ओर से निर्णय लेने वाली न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि राज्य को सार्वजनिक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा के लिए नीतियां तैयार करने का अधिकार है, जो अजीबोगरीब सामाजिक और वित्तीय विचारों के संबंध में है, इन नीतियों को किसी भी व्यक्ति के लिए अनुचित नुकसान का कारण नहीं बनने देना चाहिए। पीठ ने अपने 139-पृष्ठ के फैसले में कहा, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को विधिवत योग्य कर्मचारियों द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने का एक समान अधिकार है। ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच को बढ़ाने के लिए नीतियों को ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को कमतर नहीं आंकना चाहिए। शीर्ष अदालत का फैसला गौहाटी उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील पर आया, जो असम ग्रामीण स्वास्थ्य नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 2004 का उल्लंघन और अल्ट्रा वायरस द इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट, 1956 के विपरीत होने के साथ-साथ असंवैधानिक भी था। शीर्ष अदालत ने कहा : हम गौहाटी उच्च न्यायालय के उस फैसले को पकड़ते हैं, जो यह कहता है कि असम अधिनियम शून्य और अशक्त है।
पीठ ने कहा कि भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 और नियमों और विनियमों के मद्देनजर, असम अधिनियम को शून्य और अशक्त घोषित किया गया है। असम सरकार ने बहुत सीमित सीमा तक आधुनिक चिकित्सा का अभ्यास करने की अनुमति देने वाले डॉक्टरों के एक कैडर का उत्पादन करके योग्य चिकित्सा पेशेवरों की कमी का मुद्दा हल करने के लिए तीन साल के डिप्लोमा पाठ्यक्रम की शुरुआत की थी। मामले में मुख्य प्रतिवादी भारतीय मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने तर्क दिया कि असम अधिनियम ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले रोगियों और शहरी क्षेत्रों में रहने वाले रोगियों के बीच भेदभाव करता है, जिसका अर्थ है कि शहरी क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्ति मानक उपचार और मानक उपचार के हकदार हैं और जो लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, वे उप-मानक उपचार के हकदार हैं।
आईएमए ने कहा, असम के ग्रामीण क्षेत्रों में 2,244 से अधिक एमबीबीएस डॉक्टर काम कर रहे हैं, भले ही ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी हो और असम अधिनियम का उद्देश्य कमी को दूर करना है, समाधान अनुमेय साधनों के माध्यम से उनके कवरेज को बढ़ाने में निहित है। असम सरकार ने हाईकोर्ट द्वारा पारित फैसले को चुनौती नहीं दी, जिसने असम अधिनियम को कमजोर बताया और केवल एक निजी व्यक्ति ने शीर्ष अदालत के समक्ष अपील की। असम सरकार ने बाद के एक कानून को लागू किया और अलग-अलग क्षमताओं के साथ राज्य से बाहर गए डिप्लोमा धारकों को समायोजित करने की कोशिश की। अपीलों को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा : बाद के कानून, यानी 2015 का असम अधिनियम, असम सामुदायिक पेशेवरों (पंजीकरण और योग्यता) अधिनियम, 2015, गौहाटी उच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार एक मान्य हैं। 2015 का अधिनियम भी आईएमसी अधिनियम, 1956 के साथ संघर्ष में नहीं है, इसलिए एक अलग कानून द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य पेशेवरों को अभ्यास करने की अनुमति दी गई है।
(आईएएनएस)
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आईसेक्ट ग्रुप भोपाल: आईसेक्ट द्वारा ग्लोबल पर्सनल डेवलपमेंट विषय पर विशेष ट्रेनिंग सेशन आयोजित
डिजिटल डेस्क, भोपाल। आईसेक्ट के एचआर एवं लर्निंग एंड डेवलपमेंट डिपार्टमेंट द्वारा एम्पलॉइज के लिए ग्लोबल पर्सनल डेवलपमेंट पर एक विशेष ट्रेनिंग सेशन का आयोजन किया गया। इसमें यूनाइटेड किंगडम के कॉर्पोरेट इंटरनेशनल ट्रेनर जुबेर अली द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया गया। जिसमें उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को अपने अनुभवों, डेमोंस्ट्रेशन, वीडियो, स्लाइड शो के माध्यम से नई स्किल्स को प्राप्त करने और अपनी पर्सनेलिटी को बेहतर बनाने के तरीके बताए। साथ ही उन्होंने पर्सनेलिटी डेवलपमेंट और अपस्किलिंग के महत्व पर बात की और बताया कि करियर ग्रोथ के लिए यह कितना आवश्यक है। इस दौरान उन्होंने सफलता के लिए नौ सक्सेस मंत्र भी दिए। इस दौरान कार्यक्रम में एचआर कंसल्टेंट डी.सी मसूरकर और अल नूर ट्रस्ट के सदस्य उपस्थित रहे।
इस पहल पर बात करते हुए आईसेक्ट के निदेशक सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने कहा कि आईसेक्ट कौशल विकास के महत्व को समझता है इसी कारण अपने एम्पलॉइज की अपस्किलिंग के लिए लगातार विभिन्न प्रशिक्षण सेशन का आयोजन करता है। इसी कड़ी में ग्लोबल पर्सनेल डेवलपमेंट पर यह ट्रेनिंग सेशन भी एक कदम है।
स्कोप कैम्पस: खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 की मशाल रैली भीमबेटका, ओबेदुल्लागंज, मंडीदीप, भोजपुर होते हुए पहुंची रबीन्द्रनाथ नाथ टैगोर विश्वविद्यालय और स्कोप कैम्पस
डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय और खेल एवं युवा कल्याण विभाग रायसेन के संयुक्त तत्वावधान में खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 की मशाल रैली आयोजित की गई। यह यात्रा होशंगाबाद से पर्वतारोही भगवान सिंह भीमबेटका लेकर पहुंचे। फिर भीमबेटका से रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने मशाल लेकर ओबेदुल्लागंज की ओर प्रस्थान किया। ओबेदुल्लागंज में रैली का स्वागत किया गया। साथ ही ओबेदुल्लागंज में मशाल यात्रा को विभिन्न स्थानों पर घुमाया गया। तत्पश्चात यात्रा ने मंडीदीप की ओर प्रस्थान किया। मंडीदीप में यात्रा का स्वागत माननीय श्री सुरेंद्र पटवा जी, भोजपुर विधायक ने किया। अपने वक्तव्य में उन्होंने खेलों को बढ़ावा देने के लिए मप्र सरकार द्वारा की जा रही पहलों की जानकारी दी और युवाओं को खेलों को जीवन में अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके अलावा खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 में खिलाड़ियों को जीत के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने खेलों इंडिया यूथ गेम्स के आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रयासों को रेखांकित किया।
साथ ही कार्यक्रम में रायसेन के डिस्ट्रिक्ट स्पोर्ट्स ऑफिसर श्री जलज चतुर्वेदी ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि खेलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की विभिन्न गतिविधियों पर प्रकाश डाला और खेलों इंडिया यूथ गेम्स के खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दीं। यहां से धावकों ने मशाल को संभाला और दौड़ते हुए भोजपुर मंदिर तक पहुंचे। मंदिर से फिर यात्रा रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय तक पहुंचती और यहां यात्रा का डीन एकेडमिक डॉ. संजीव गुप्ता द्वारा और उपकुलसचिव श्री समीर चौधरी, उपकुलसचिव अनिल तिवारी, उपकुलसचिव ऋत्विक चौबे और स्पोर्ट्स ऑफिसर सतीश अहिरवार द्वारा भव्य स्वागत किया जाता है। मशाल का विश्वविद्यालय में भी भ्रमण कराया गया। यहां से यात्रा स्कोप कैम्पस की ओर प्रस्थान करती है। स्कोप कैम्पस में स्कोप इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. डी.एस. राघव और सेक्ट कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सत्येंद्र खरे ने स्वागत किया और संबोधित किया। यहां से मशाल को खेल एवं युवा कल्याण विभाग के उपसंचालक जोश चाको को सौंपा गया।