भारत में तेल की कमी नहीं, ईरान पर प्रतिबंध के डर से बढ़ रही हैं कीमतें : धर्मेन्द्र प्रधान
![Sentiment around US sanction on Iran hurting prices says India Sentiment around US sanction on Iran hurting prices says India](https://d35y6w71vgvcg1.cloudfront.net/media/2018/10/sentiment-around-us-sanction-on-iran-hurting-prices-says-india1_730X365.jpg)
- ईरान पर अमेरिका के प्रतिबंधों का दूसरा चरण 4 नवंबर से लागू हो जाएगा।
- पेट्रोलियम मिनिस्टर ने कहा
- तेल की कीमतें बढ़ने के पीछे एक बड़े सप्लायर को खोने के डर से बने सेंटिमेंट है।
- भारत के लिए तेल उपलब्धता बड़ी समस्या नहीं है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ईरान पर अमेरिका के प्रतिबंधों का दूसरा चरण 4 नवंबर से लागू हो जाएगा। इस बीच तेल की कीमतें बढ़ने को लेकर पेट्रोलियम मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान का बयान सामने आया है। प्रधान ने तेल की कीमतें बढ़ने के पीछे एक बड़े सप्लायर को खोने के डर से बने सेंटिमेंट को बताया है। जबकि भारत पहले ही यह कह चुका है तेल उपलब्धता उसके लिए कोई बड़ी समस्या नहीं है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि तेल की कीमतें बाजार के सेंटिमेंट खराब होने के कारण आगे अभी और बढ़ेंगी।
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, पहले ही दिन से हम आश्वस्त है कि भारत के पास कच्चे तेल के आयात की किसी तरह की समस्या नहीं है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में तेल के बहुत सारे श्रोत मौजूद है। उन्होंने कहा कि मार्केट में अभी सेंटिमेंट यह है कि एक बड़े तेल उत्पादक देश से सप्लाई नहीं होगी। इसके कारण तेल की कीमतों में तेजी आ रही है और बाजार में अस्थिरता है, यही प्राइमरी चैलेंज है। जब धर्मेंद्र प्रधान से पूछा गया कि क्या ईरान पर प्रतिबंध लगने के बाद भी भारत उससे कच्चा तेल खरीदना जारी रखेगा और क्या भारत अमेरिका से प्रतिबंधों में छूट मांगेगा? इस सवाल पर प्रधान ने कहा कि वह इस बारे में पहले ही राय रख चुके है।
इससे पहले धर्मेन्द्र प्रधान ने "द एनर्जी फोरम" में कहा था, "सार्वजनिक क्षेत्र की दो रिफाइनरी कंपनियों ने ईरान से नवंबर में कच्चे तेल आयात के लिए ऑर्डर दिए हैं। प्रधान ने कहा था कि इंडियन ऑइल कॉरपोरेशन और मेंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स ने मिलकर ईरान से 1.25 मिलियन टन कच्चा तेल आयात करने का समझौता किया है। हमें नहीं पता कि हमें अमेरिकी प्रतिबंधों में छूट मिलेगी या नहीं।" प्रधान ने कहा था, भारत की अपनी ऊर्जा जरुरते हैं जिन्हें पूरा किया जाना है।
ईरान पर यूएस प्रतिबंधों के डर से इस महीने की शुरुआत में तेल की कीमतें 86.74 डॉलर प्रति बैरल के चार साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं थी। हालांकि बाद में तेल कीमतें इस उम्मीद में 81 डॉलर तक आ गई कि अमेरिका ईरान पर प्रतिबंध की तारीखों को बढ़ा सकता है।
बता दें कि इराक और सऊदी अरब के बाद ईरान, भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है। अप्रैल 2017 से जनवरी 2018 तक ईरान ने भारत को 1.84 करोड़ टन कच्चे तेल की आपूर्ति की है। भारत ने इसी साल ईरान से तेल आयात बढ़ाने का फैसला किया था जब ईरान ने भारत को करीब-करीब मुफ्त ढुलाई और उधारी की मियाद बढ़ाने का ऑफर दिया था। पहले अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच ईरान से व्यापारिक रिश्ते कायम रखने वाले मुट्ठीभर देशों में भारत भी एक था।
इसी साल मई 2018 में अमेरिका ने ईरान के साथ 2015 की न्यूक्लियर डील तोड़ दी थी। साथ ही ईरान पर फिर से नए आर्थिक प्रतिबंध लगाने का ऐलान कर दिया था। यह प्रतिबंध दो चरणों में लागू करने की घोषणा की थी। सात अगस्त को प्रतिबंध का पहला चरण लागू हो चुका है और चार नवंबर को दूसरा सेट लागू किया जाएगा।
Created On :   16 Oct 2018 1:13 PM GMT