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दैनिक भास्कर हिंदी: स्कंदगुप्त को इतिहास के पन्नों पर स्थापित करने की जरूरत : अमित शाह

हाईलाइट
- स्कंदगुप्त को इतिहास के पन्नों पर स्थापित करने की जरूरत : अमित शाह
वाराणसी, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि सम्राट स्कंदगुप्त के पराक्रम और उनके शासन चलाने की कला पर वृहद चर्चा की अवश्यकता है। उन्होंने कहा कि स्कंदगुप्त के इतिहास को पन्नों पर स्थापित करने की जरूरत है।
अमित शाह गुरूवार को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) स्वतंत्रता भवन सभागार में आयोजित संगोष्ठी गुप्त वंश के वीर : स्कंदगुप्त विक्रमादित्य का ऐतिहासिक पुन: स्मरण एवं भारत राष्ट्र का राजनीतिक भविष्य विषय पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि स्कन्दगुप्त विक्रमादित्य को इतिहास में बहुत प्रसिद्धि मिली है। लेकिन उनके साथ इतिहास में बहुत अन्याय भी हुआ है। उनके पराक्रम की जितनी प्रशंसा होनी थी, उतनी शायद नहीं हुई। स्कन्दगुप्त को इतिहास के पन्नों पर दर्ज कराने की जरूरत है। गुलामी के लंबे दौर के बाद भी उनके बारे में कम ही जानकारी उपलब्ध है। सभागार में इतिहासकार बैठे हुए हैं, सबसे आग्रह है कि भारतीय इतिहास का लेखन नए दृष्टिकोण से करने की जरूरत है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, भारतीय इतिहास के पुनर्लेखन की जरूरत है। इसके लिए हमें ही आगे आना होगा। इसमें इतिहासकारों की बड़ी भूमिका है। अगर हम अब तक अपने इतिहास की दोबारा समीक्षा नहीं कर सके तो यह हमारी कमजोरी है।
उन्होंने कहा कि स्कंदगुप्त के समय भारत में अफगानिस्तान से लेकर अखंड भारत में स्वर्णकाल रहा। सैन्य, साहित्य, कला आदि के क्षेत्र में विश्वस्तरीय सुविधाएं मयस्सर हुईं। सम्राट स्कंदगुप्त के पराक्रम और उनके शासन चलाने की कला पर चर्चा की जरूरत है।
उन्होंने कहा, उन्होंने सेना को समृद्ध करने के साथ ही अखंड भारत का निर्माण किया और एकता के सूत्र में पराक्रम से पिरोया था। इतनी ऊंचाई पर रहने के दौरान शासन व्यवस्था के लिए उन्होंने शिलालेख बनाए।
गृह मंत्री ने कहा, चीन की दीवार का निर्माण हूणों के आक्रमण को रोकने के लिए किया गया था, ताकि सभ्यता और संस्कृति बनी रहे। उन्होंने कश्मीर से कंधार तक हूणों के आतंक से देश को मुक्त कराया। हूणों को विश्व में पहली बार स्कंदगुप्त से पराजय मिली। स्कंदगुप्त ने बर्बर आक्रमण को खत्म करने के साथ सुखी और समृद्ध भारत का निर्माण किया। उस समय दुनिया के कई विद्वानों ने उनका यशगान किया। उस वजह से चीन के सम्राट द्वारा भारत के राजदूत को हूणों को स्कंदगुप्त द्वारा खत्म करने के लिए प्रशस्तिपत्र दिया गया था।
उन्होंने कहा, वीर सावरकर न होते तो 1857 की क्रांति को पहले स्वतंत्रता आंदोलन का नाम नहीं मिलता और वह बगावत में ही रह जाता। अंग्रेजों के जाने के बाद इतिहासकारों के साथ इतिहास नए दृष्टिकोण से लिखने की जरूरत है।
आईसेक्ट ग्रुप भोपाल: आईसेक्ट द्वारा ग्लोबल पर्सनल डेवलपमेंट विषय पर विशेष ट्रेनिंग सेशन आयोजित
डिजिटल डेस्क, भोपाल। आईसेक्ट के एचआर एवं लर्निंग एंड डेवलपमेंट डिपार्टमेंट द्वारा एम्पलॉइज के लिए ग्लोबल पर्सनल डेवलपमेंट पर एक विशेष ट्रेनिंग सेशन का आयोजन किया गया। इसमें यूनाइटेड किंगडम के कॉर्पोरेट इंटरनेशनल ट्रेनर जुबेर अली द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया गया। जिसमें उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को अपने अनुभवों, डेमोंस्ट्रेशन, वीडियो, स्लाइड शो के माध्यम से नई स्किल्स को प्राप्त करने और अपनी पर्सनेलिटी को बेहतर बनाने के तरीके बताए। साथ ही उन्होंने पर्सनेलिटी डेवलपमेंट और अपस्किलिंग के महत्व पर बात की और बताया कि करियर ग्रोथ के लिए यह कितना आवश्यक है। इस दौरान उन्होंने सफलता के लिए नौ सक्सेस मंत्र भी दिए। इस दौरान कार्यक्रम में एचआर कंसल्टेंट डी.सी मसूरकर और अल नूर ट्रस्ट के सदस्य उपस्थित रहे।
इस पहल पर बात करते हुए आईसेक्ट के निदेशक सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने कहा कि आईसेक्ट कौशल विकास के महत्व को समझता है इसी कारण अपने एम्पलॉइज की अपस्किलिंग के लिए लगातार विभिन्न प्रशिक्षण सेशन का आयोजन करता है। इसी कड़ी में ग्लोबल पर्सनेल डेवलपमेंट पर यह ट्रेनिंग सेशन भी एक कदम है।
स्कोप कैम्पस: खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 की मशाल रैली भीमबेटका, ओबेदुल्लागंज, मंडीदीप, भोजपुर होते हुए पहुंची रबीन्द्रनाथ नाथ टैगोर विश्वविद्यालय और स्कोप कैम्पस
डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय और खेल एवं युवा कल्याण विभाग रायसेन के संयुक्त तत्वावधान में खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 की मशाल रैली आयोजित की गई। यह यात्रा होशंगाबाद से पर्वतारोही भगवान सिंह भीमबेटका लेकर पहुंचे। फिर भीमबेटका से रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने मशाल लेकर ओबेदुल्लागंज की ओर प्रस्थान किया। ओबेदुल्लागंज में रैली का स्वागत किया गया। साथ ही ओबेदुल्लागंज में मशाल यात्रा को विभिन्न स्थानों पर घुमाया गया। तत्पश्चात यात्रा ने मंडीदीप की ओर प्रस्थान किया। मंडीदीप में यात्रा का स्वागत माननीय श्री सुरेंद्र पटवा जी, भोजपुर विधायक ने किया। अपने वक्तव्य में उन्होंने खेलों को बढ़ावा देने के लिए मप्र सरकार द्वारा की जा रही पहलों की जानकारी दी और युवाओं को खेलों को जीवन में अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके अलावा खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 में खिलाड़ियों को जीत के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने खेलों इंडिया यूथ गेम्स के आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रयासों को रेखांकित किया।
साथ ही कार्यक्रम में रायसेन के डिस्ट्रिक्ट स्पोर्ट्स ऑफिसर श्री जलज चतुर्वेदी ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि खेलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की विभिन्न गतिविधियों पर प्रकाश डाला और खेलों इंडिया यूथ गेम्स के खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दीं। यहां से धावकों ने मशाल को संभाला और दौड़ते हुए भोजपुर मंदिर तक पहुंचे। मंदिर से फिर यात्रा रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय तक पहुंचती और यहां यात्रा का डीन एकेडमिक डॉ. संजीव गुप्ता द्वारा और उपकुलसचिव श्री समीर चौधरी, उपकुलसचिव अनिल तिवारी, उपकुलसचिव ऋत्विक चौबे और स्पोर्ट्स ऑफिसर सतीश अहिरवार द्वारा भव्य स्वागत किया जाता है। मशाल का विश्वविद्यालय में भी भ्रमण कराया गया। यहां से यात्रा स्कोप कैम्पस की ओर प्रस्थान करती है। स्कोप कैम्पस में स्कोप इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. डी.एस. राघव और सेक्ट कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सत्येंद्र खरे ने स्वागत किया और संबोधित किया। यहां से मशाल को खेल एवं युवा कल्याण विभाग के उपसंचालक जोश चाको को सौंपा गया।