मायावती ने दिया संकेत, 2019 में होगा सपा-बसपा गठबंधन
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। बसपा प्रमुख मायावती ने सोमवार को लखनऊ में बैठक बुलाकर ये साफ कर दिया कि 2019 में सपा बसपा गठबंधन होगा। मायावती बैठक में बसपा विधायकों से मिलीं और फिर पार्टी के जोनल कोऑर्डिनेटर्स के साथ मीटिंग की। ये बैठक करीब बीस मिनट तक चली। इस दौरान उन्होंने सभी से स्पष्ट रूप से कहा कि भारतीय जनता पार्टी के किसी भी नेता के झांसे में न आएं। उन्होंने कहा कि बहुजन समाज पार्टी अब 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करेगी। प्रदेश में उपचुनाव में जीत और राज्यसभा चुनाव में हार के बाद सबकी निगाहें 2019 में सपा बसपा गठबंधन की संभावनाओं पर टिकी हैं।
मायावती ने कहा कि जो लोग बसपा-सपा के गठबंधन पर अलग-अलग टिप्पणियां कर रहे हैं, उन्होंने ने कहा कि बताना चाहती हूं कि यह बड़ा कदम व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं बल्कि जनता के कल्याण के लिए है। मायावती ने कहा कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी के अलावा अन्य पार्टियों को भी एकजुट होना होगा भी भाजपा को हराया जा सकता है और मोदी सरकार से सत्ता ली जा सकती है।
बसप सुप्रीमों ने कहा कि मोदी और उनकी पार्टी बीजेपी ने साढ़े चार साल में अल्पसंख्यकों, पिछड़े वर्ग और दलित समुदाय के नाम पर बहुत नाटक किए हैं। लेकिन अब न तो उन्हें और न ही उनकी पार्टी को इन नाटकों का कोई राजनीतिक लाभ मिलेगा।
बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर ‘मुँह में राम, बगल में छुरी’ की कहावत को चरितार्थ करने का आरोप लगाते हुए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो ने दावा किया कि मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बाबा साहेब का नाम तो लेते हैं, लेकिन वास्तव में बाबा साहेब के समाज के लोगों को प्रत्येक स्तर पर पीछे ढकेलने, उनका उत्पीड़न करने का पूरा प्रयास करते हैं।
मायावती ने कहा, ‘राज्यसभा चुनाव परिणाम के बावजूद सपा-बसपा के बीच जारी तालमेल से भाजपा के लोग बहुत बुरी तरह परेशान हैं। मैं उन्हें बताना चाहती हूं कि हमारी यह नजदीकी, अपने स्वार्थ के लिए नहीं है। यह जनहित में है।"
राज्यसभा चुनाव के बाद माना जा रहा था कि सपा-बसपा की दोस्ती में दरार पड़ जाएगी। लेकिन बसपा मुखिया मायावती ने साफ कर दिया है कि सपा-बसपा के बीच बढ़ती नजदीकियों में किसी तरह की कोई दरार नहीं आएगा।
गौरतलब है कि सपा-बसपा के बीच 23 साल बाद रिश्ते बेहतर हो रहे हैं। हाल ही में फुलपुर-गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में बसपा ने सपा उम्मीदवारों को समर्थन किया था। इसका नतीजा रहा है कि दोनों सीटों पर सपा उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। इतना ही नहीं बीजेपी के दुर्ग कहे जाने वाले गोरखपुर में बीजेपी 28 साल के बाद लोकसभा का चुनाव हार गई। इसके बाद सपा ने राज्यसभा चुनाव में बसपा उम्मीदवार को समर्थन दिया था, हालांकि बसपा उम्मीदवार जीत नहीं सका।लेकिन इसके बावजूद दोनों दलों ने गठबंधन आगे बढ़ाने का ऐलान किया था।
Created On :   26 March 2018 7:01 PM IST