मौत की सजा पाए तीन दोषियों को किया बरी

Supreme Court acquits three death row convicts
मौत की सजा पाए तीन दोषियों को किया बरी
सुप्रीम कोर्ट मौत की सजा पाए तीन दोषियों को किया बरी
हाईलाइट
  • न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव
  • न्यायमूर्ति बी. आर. गवई
  • और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्न की पीठ ने सुनाया फैसला

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को संपत्ति विवाद के बाद अपने माता-पिता, भाई और अन्य रिश्तेदारों की हत्या के एक आरोपी सहित मौत की सजा पाए तीन दोषियों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष संदेह से परे मामले को साबित करने में पूरी तरह विफल रहा है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि निचली अदालत के साथ-साथ उच्च न्यायालय द्वारा वर्तमान मामले से निपटने के तरीके को देखकर दुख होता है, खासकर जब निचली अदालत ने आरोपी को मौत की सजा सुनाई और उच्च न्यायालय ने इसकी पुष्टि की।

न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्न की पीठ ने कहा, हमने पाया है कि अभियोजन पक्ष मामले को उचित संदेह से परे साबित करने में पूरी तरह से विफल रहा है। आरोपी को दोषसिद्धि और मौत की सजा कानून में पूरी तरह से अरक्षणीय (टिकाऊ) नहीं है।

मोमिन खान, उसके चचेरे भाई जयकम खान और जयकम खान के बेटे साजिद को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी और इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उनकी अपील खारिज कर दी थी।

एक आरोपी की पत्नी को भी निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने उसकी दोषसिद्धि को खारिज कर दिया था।

आदेश में निचली अदालत के निष्कर्षों पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए, पीठ ने आदेश में एक पैराग्राफ का जिक्र करते हुए कहा, सभी अवलोकन कुछ और नहीं बल्कि अनुमान और संदेह हैं और उनके लिए कोई सबूत नहीं है।

अदालत ने यह भी नोट किया कि अपराध करने की स्वीकारोक्ति के संबंध में दिए गए सभी बयान साक्ष्य में स्वीकार्य नहीं होंगे। पीठ ने कहा, इस प्रकार यह देखा जा सकता है कि रिकवरी (बरामदगी) उन स्थानों से की गई थी, जो एक और सभी के लिए सुलभ थे और इस तरह, ऐसी रिकवरी पर कोई भरोसा नहीं किया जा सकता।

शीर्ष अदालत ने अभियोजन पक्ष के मामले की सावधानीपूर्वक जांच की और निष्कर्ष निकाला कि खून से सने कपड़ों की बरामदगी, हथियारों की बरामदगी और अपराध के तुरंत बाद आरोपियों की गिरफ्तारी में कई खामियां और विसंगतियां थीं।

अपराध करते समय आरोपी द्वारा पहने गए खून से सने कपड़ों के पहलू पर शीर्ष अदालत ने कहा कि यह एक रहस्य है कि चारों आरोपी मौके से कैसे भागे, फिर उक्त स्थान पर वापस आए और अपने कपड़े बदले और फिर से वहां से भाग गए।

पीठ ने निचली अदालतों को हिदायत देते हुए कहा, ट्रायल कोर्ट और उच्च न्यायालय से अपेक्षा की जाती है कि आरोपी को फांसी देने का निर्देश देते हुए अधिक से अधिक जांच, देखभाल और चौकसी बरती जाए।

23 जनवरी, 2014 को छह लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई - मोमिन खान के पिता मौसम खान, मां असगरी, भाई शौकिन खान, भाभी शन्नो, भतीजे समद और भतीजी मुस्कान - और उस पर संपत्ति विवाद के बाद उनकी हत्या का आरोप लगाया गया था।

आरोपी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 18 मई, 2018 के फैसले को चुनौती दी थी, जिसने 11 जनवरी, 2016 को पारित निचली अदालत के फैसले की पुष्टि की थी।

 

(आईएएनएस)

Created On :   15 Dec 2021 11:00 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story