सम्मानजनक कामकाजी परिस्थितियों के लिए न्यायिक विस्टा की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

Supreme Court notice on petition seeking judicial vista for dignified working conditions
सम्मानजनक कामकाजी परिस्थितियों के लिए न्यायिक विस्टा की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
दिल्ली सम्मानजनक कामकाजी परिस्थितियों के लिए न्यायिक विस्टा की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
हाईलाइट
  • दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी किया

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें शीर्ष अदालत के मौजूदा परिसर के आसपास एक न्यायिक विस्टा बनाने और न्यायिक बुनियादी ढांचे को वित्तपोषित करने के लिए एक केंद्रीय प्राधिकरण के गठन की मांग की गई है।

एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड अर्धेंदुमौली कुमार प्रसाद द्वारा दायर याचिका में केंद्र सरकार के मंत्रालयों को लेआउट तैयार करने और शीर्ष अदालत के परिसर से सटी भूमि पर न्यायिक विस्टा के निर्माण के कार्य को निष्पादित करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

याचिका में कहा गया है कि न्यायिक विस्टा का निर्माण न्यायाधीशों, बार के सदस्यों, शीर्ष अदालत के अधिकारियों और अदालत परिसर में आने वाले वादियों के लिए बेहतर और सम्मानजनक कामकाजी परिस्थितियों तक पहुंच प्रदान करेगा।

दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी किया।

शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी में निचली अदालतों, न्यायाधिकरण, दिल्ली उच्च न्यायालय और बार समेत सभी अदालतों के लिए न्यायिक अवसंरचना की बढ़ती जरूरत को पूरा करने के लिहाज से शीर्ष अदालत के परिसर के पास एक न्यायिक विस्टा बनाने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान नोटिस जारी किया। केंद्र और अपनी रजिस्ट्री को मंगलवार को नोटिस जारी किया।

याचिका में कहा गया है कि देशभर में न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं और वादियों के लिए अदालत कक्षों, बुनियादी सुविधाओं आदि न्यायिक अवसंरचना की कमी बहुत गंभीर विषय है और मामले में न्यायपालिका की स्वायत्तता की कमी और केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार पर निर्भरता न्यायिक स्वतंत्रता के उद्देश्य को कमजोर करती है।

याचिका में न्यायिक बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण के लिए एक स्वतंत्र केंद्रीय प्राधिकरण के गठन के लिए केंद्र को निर्देश देने की भी मांग की गई है।

याचिका में कहा गया है, वर्तमान मामला जनहित में दायर किया जा रहा है, जो महत्वपूर्ण मुद्दों को उठा रहा है,जो अदालत, रजिस्ट्री, और अधिवक्ताओं द्वारा मुख्य रूप से सर्वोच्च न्यायालय में प्रैक्टिस कर रहे हैं। वर्तमान याचिका अधिवक्ता, कर्मचारियों और वादियों के अनुच्छेद 14/19 (1) (जी)/21 के तहत गारंटीकृत अधिकारों की प्राप्ति की मांग कर रही है।

याचिकाकर्ता ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा के साथ 45-50 कोर्ट रूम, वकीलों के लिए 5,000 चैंबर, लगभग 10,000 कारों के लिए भूमिगत मल्टी-लेवल पाकिर्ंग सहित अन्य सुविधाओं के साथ एक बहु-स्तरीय परिसर की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि वह आने वाले कई दशकों के लिए बार और बेंच की जरूरतों को पूरा करने के लिए न्यायपालिका के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करना चाहते हैं।

याचिका में आगे कहा गया है, न्यायपालिका की अवसंरचनात्मक कमी न्यायपालिका की स्वतंत्रता के पोषित लक्ष्य में बाधा उत्पन्न करती है, जो कानून के शासन का सर्वोत्कृष्ट हिस्सा है और संविधान की बुनियादी संरचना का हिस्सा है।

(आईएएनएस)

Created On :   8 March 2022 11:00 PM IST

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