CJI BR Gavai on Buddhism: CJI बीआर गवई ने रिटायरमेंट के कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाही पर की टिप्पणी, कहा- फैसले लेने में इन अधिकारियों को होता है सहयोग

CJI बीआर गवई ने रिटायरमेंट के कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाही पर की टिप्पणी, कहा- फैसले लेने में इन अधिकारियों को होता है सहयोग
वे बोद्ध धर्म का पालन करते हैं, लेकिन उन्होंने किसी अन्य धर्म का गहन अध्ययन नहीं किया है। उन्होंने खुद को पूरी तरह से धर्मनिपेक्ष बताया है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई का कार्यकाल समाप्त होने की कगार पर है। इसके पहले उन्होंने कहा कि वे बोद्ध धर्म का पालन करते हैं, लेकिन उन्होंने किसी अन्य धर्म का गहन अध्ययन नहीं किया है। उन्होंने खुद को पूरी तरह से धर्मनिपेक्ष बताया है। और कहा कि वे हिंदू, सिख, मुस्लिम, ईसाई धर्मों में अपना विश्वास रखते हैं।

पिता अंबेडर के अनुयायी रहे

सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) के द्वारा आयोजित विदाई कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि ये सोच उन्हें उनके पिता से मिली है, जो डॉ. भीमराव अंबेडर के अनुयायी रहे हैं। उनके परिवार को किसी दरगाह में जाने की सूचना मिलती है तो वे वहां भी जाते हैं। बता दें कि वे 23 नवंबर को रियाटर हो रहे हैं। और कोर्ट में उनका 22 नवंबर का आखिरी कामकाजी का दिन है।

सीजेआई तक का सफर इस वजह से हुआ पूरा

सीजेआई दलित समुदाय से आते हैं। उनके सीजेई तक के सफर को लेकर उन्होंने कहा कि संविधान और डॉ. अंबेडकर की वजह से संभव हुआ हैं। उन्होंने आगे कहा, "मैं आज जो भी हूं, वह इसी संस्था (सुप्रीम कोर्ट) की वजह से हूं। एक नगरपालिका स्कूल में जमीन पर बैठकर पढ़ने वाला बच्चा कभी नहीं सोच सकता था कि वह यहां तक पहुंचेगा। मैंने हमेशा संविधान के चार मूल्यों-न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता-का पालन करने की कोशिश की।"

कोई भी फैसला नहीं दिया अकेले

बीआर गवई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को किसी एक व्यक्ति पर केंद्रित संस्थान नहीं माना हैं, क्योंकि उन्होंने कभी भी अकेले फैसले नहीं किए हैं। हर निर्णय में पूरी कोर्ट और सभी जजों की भागीदारी के साथ लिए है। सुप्रीम कोर्ट एक बहुत बड़ी संस्था है। इनमें काम करने वाले जज, वकील, रजिस्ट्री और स्टाफ सभी लोग अहम होते हैं।

इस कार्यक्रम के दौरान SCAORA अध्यक्ष विपिन नायर ने गवाई का धन्यवाद किया और कहा कि उन्होंने वकीलों की जांच एजेंसियों द्वारा बुलाए जाने वाले मुद्दे को संज्ञान में लिया था। उन्होंने आगे बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 31 अक्टूबर को एक अहम निर्णय दिया था, जिसमें ईडी जैसा जांच एजेंसियां वकीलों को उनके कानूनी सलाह के बिना तलब नहीं कर सकती है।

Created On :   20 Nov 2025 8:37 PM IST

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