सुप्रीम कोर्ट ने नकली शराब की बिक्री पर पंजाब सरकार को लगाई फटकार

Supreme Court reprimands Punjab government for sale of spurious liquor
सुप्रीम कोर्ट ने नकली शराब की बिक्री पर पंजाब सरकार को लगाई फटकार
नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने नकली शराब की बिक्री पर पंजाब सरकार को लगाई फटकार
हाईलाइट
  • युवाओं को नशे की लत

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को राज्य में नकली शराब की बिक्री के मुद्दे पर पंजाब सरकार की खिंचाई करते हुए कहा, पंजाब एक सीमावर्ती राज्य है और यह बहुत गंभीर मामला है।

शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को नकली शराब के खतरे को रोकने के लिए खास कदम उठाने के लिए कहा, ताकि युवाओं को नशे की लत से बचाया जा सके। न्यायमूर्ति एमआर शाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि ड्रग्स एक समस्या है और शराब का अवैध निर्माण भी है और वे लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।

पीठ ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि पंजाब एक सीमावर्ती राज्य है। अगर कोई देश को खत्म करना चाहता है, तो वह शुरुआत सीमाओं से करता है। देश को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए और युवाओं को बर्बाद होने से बचाना चाहिए। पीठ में न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार, पंजाब में बड़े पैमाने पर अवैध शराब निर्माण और बिक्री के आरोपों के संबंध में एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे।

शीर्ष अदालत ने कहा कि पिछले दो वर्षो में कई प्राथमिकी दर्ज की गईं और कहा कि अवैध निर्माण इकाइयों पर शिकंजा कसने के दौरान अधिकारियों द्वारा जब्त की गई धनराशि का उपयोग जागरूकता अभियानों के लिए किया जाना चाहिए। पीठ ने अवैध शराब के घरेलू और व्यावसायिक उत्पादन को रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर राज्य सरकार से जवाब मांगा और सुझाव दिया कि अवैध निर्माण इकाई पाए जाने पर राज्य प्रभावी जांच और पूछताछ पर एक परिपत्र भी ला सकता है।

सुनवाई का समापन करते हुए पीठ ने कहा कि प्रभावित परिवारों की दुर्दशा के बारे में कोई नहीं जानता और यह सच है कि मजदूरों जैसे लोग काम से थकने के बाद शराब का सेवन करते हैं। शीर्ष अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई अगले सोमवार को होनी तय की है। शीर्ष अदालत ने 21 नवंबर को अपने आदेश में कहा था कि यह विवादित नहीं हो सकता कि शराब के अवैध निर्माण और वह भी घटिया निर्माण के कारण त्रासदी हो रही है और गरीब लोग पीड़ित हैं, क्योंकि यह उनके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। कई मामलों में कई लोगों की जान भी जा चुकी है।

पीठ ने कहा, हम जांच की प्रगति से बिल्कुल संतुष्ट नहीं हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि असली दोषी/अपराधियों तक पहुंचने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किए गए हैं। लाइसेंस रद्द करना या जुर्माने की वसूली पर्याप्त नहीं है। पीठ ने पीपीएस के सहायक पुलिस महानिरीक्षकसरबजीत सिंह, मुकदमेबाजी, जांच ब्यूरो, पंजाब, चंडीगढ़ के एक हलफनामे पर अपने संक्षिप्त जवाब में कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि 2019 से 31 मई, 2021 तक के वर्षो के दौरान पंजाब आबकारी अधिनियम, 1914 के तहत 34,767 आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे।

जवाब में आगे कहा गया है, उस अवधि के लिए अवैध शराब की 1270 इकाइयों/भट्ठियों का पता चला और उन सबको नष्ट कर दिया गया है। अदालत के आदेश में कहा गया है कि पंजाब में शराब का निर्माण किया जा रहा है, जो संबंधित पुलिस अधिकारियों/आबकारी विभाग द्वारा समय-समय पर निरीक्षण और पर्यवेक्षण की कमी को दर्शाता है।

 

आईएएनएस

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Created On :   5 Dec 2022 8:01 PM IST

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