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दैनिक भास्कर हिंदी: चंद्रशेखर राव और ममता के बीच मीटिंग आज, क्या कामयाब होगा 'तीसरा मोर्चा'?

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव सोमवार को 'थर्ड फ्रंट' को लेकर वेस्ट बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात करेंगे। दरअसल, हाल ही में नॉर्थ-ईस्ट के तीन राज्यों के नतीजों के बाद चंद्रशेखर राव ने गैर-कांग्रेसी और गैर-बीजेपी फ्रंट को बनाने की बात कही थी, जिसे ममता बनर्जी ने भी समर्थन दिया था। इसी मुद्दे को लेकर दोनों के बीच सोमवार को कोलकाता में एक मीटिंग होगी। बता दें कि चंद्रशेखर राव की तीसरे फ्रंट को कई विपक्षी पार्टियों ने भी समर्थन देने की बात कही है।
क्यों अहम है ये मुलाकात?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चंद्रशेखर राव, ममता बनर्जी से उनके ऑफिस में मुलाकात करेंगे। इस मुलाकात में दोनों के बीच थर्ड फ्रंट को लेकर चर्चा होगी। दोनों की इस मुलाकात का राजनीतिक महत्व ज्यादा है, क्योंकि हाल में राव ने 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए गैर-कांग्रेस और गैर-बीजेपी 'थर्ड फ्रंट' बनाने का सुझाव दिया था, जिसे ममता बनर्जी ने भी समर्थन दिया था। ममता बनर्जी NDA सरकार के खिलाफ विपक्षी पार्टियों को साथ लेने की जुगत में जुटी हुई हैं, ताकि 2019 में उसे सत्ता से हटाया जा सके। इसके साथ ही ममता भी थर्ड फ्रंट का मुद्दा उठा चुकी हैं। ऐसे में अगर राव और ममता की मुलाकात में कोई चर्चा होती है, तो जल्द ही कांग्रेस को एक बड़ा झटका मिलने वाला है।
कांग्रेस के खिलाफ क्यों बनेगा थर्ड फ्रंट?
चंद्रशेखर राव ने गैर-कांग्रेसी और गैर-बीजेपी थर्ड फ्रंट बनाने की बात कही है। राव का कहना है कि दशकों तक कांग्रेस की सरकार देखी हैं, लेकिन वो भी नाकाम रही है। वहीं ममता बनर्जी कांग्रेस के साथ रहकर भी उसके साथ नहीं है। दरअसल, ऐसा माना जा रहा है कि जनता बीजेपी से तो परेशान हैं, लेकिन कांग्रेस को वोट नहीं देना चाहती। इसी का नतीजा है कि अब कांग्रेस को बिना शामिल किए थर्ड फ्रंट बनाए जाने की चर्चा हो रही है। वहीं ममता बनर्जी, चंद्रशेखर राव जैसे बड़े नेता राहुल गांधी के साथ सही तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं। ममता का जो तालमेल सोनिया गांधी के साथ था, वो राहुल के साथ नहीं है और यही कारण है कि ममता सोनिया के डिनर में शामिल होने के लिए नहीं जाती हैं। ममता और राव जैसे नेता समझ चुके हैं कि अगर बीजेपी को रोकना है तो उन्हें आगे आना होगा और वो भी कांग्रेस के बिना। क्योंकि कांग्रेस अगर साथ रहती है तो उसका खामियाजा जरूर होगा। जबकि कांग्रेस के खिलाफ थर्ड फ्रंट बनता है, तो बीजेपी और कांग्रेस से नाराज चल रहे वोट थर्ड फ्रंट को मिल सकते हैं।
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चंद्रशेखर राव ने क्या दिया था सुझाव?
हाल ही में आए नॉर्थ-ईस्ट के तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे के बाद तेलंगाना के सीएम चंद्रशेखर राव ने बीजेपी-कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि 'जनता अगर बीजेपी से नाराज हो गई तो राहुल को वोट देगी। इससे कुछ नहीं बदलेगी। हमने दशकों तक कांग्रेस की सरकारें देखी हैं और दोनों सरकारें नाकाम साबित हुईं हैं। अब देश में राजनीति में गुणात्मकर बदलाव की और तीसरे मोर्चे की जरूरत है। हमें साथ आना पड़ेगा और मैं इसका नेतृत्व करने के लिए तैयार हूं।'
किन-किन पार्टियों का दे सकती हैं साथ?
चंद्रशेखर राव के इस बयान के बाद ममता बनर्जी ने उन्हें फोन कर थर्ड फ्रंट पर समर्थन देने की बात कही थी। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के अलावा राव को आम आदमी पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, शिवसेना, बीजू जनता दल, राष्ट्रीय जनता दल, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन, तेलगु देशम पार्टी समेत कई पार्टियां शामिल हो सकती हैं।
2014 के बाद हुई थी थर्ड फ्रंट की पहल
2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही थर्ड फ्रंट को बनाने की पहल शुरू हो गई थी। सबसे पहले मुलायम सिंह यादव ने थर्ड फ्रंट बनाने की पहल की। इसके लिए समाजवादी पार्टी समेत जेडीयू, आरजेडी, आरएलडी सहित कई पार्टियों ने मीटिंग भी की और माना जा रहा था कि थर्ड फ्रंट जल्द ही बन जाएगा। हालांकि, ऐसा हुआ नहीं और बिहार विधानसभा चुनावों से पहले ही मुलायम सिंह यादव ने अपना हाथ खींच लिया। फिर नीतीश की जेडीयू, लालू की आरजेडी और कांग्रेस ने मिलकर थर्ड फ्रंट बनाया और चुनाव लड़ा। ये गठबंधन भी नहीं चल सका और 20 महीने में ही नीतीश ने लालू से गठबंधन तोड़कर बीजेपी के समर्थन से सरकार बना ली।
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कभी कामयाब नहीं हो पाया है थर्ड फ्रंट
- भारत में पहली बार 1977 में जनता पार्टी के गठबंधन ने गैर-कांग्रेसी सरकार बनाई थी, जो आंतरिक मतभेदों के चलते 2 साल में ही गिर गई। इसके बाद यही हश्र चौधरी चरण सिंह की सरकार के साथ भी हुआ और कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस लेकर चरण सिंह की सरकार को गिरा दिया।
- भारत की राजनीति में कभी थर्ड फ्रंट कामयाब नहीं हो पाया है। पहली बार 1989 में वीपी सिंह के नेतृत्व में जनता दल, असम गण परिषद, टीडीपी और डीएमके ने मिलकर 'राष्ट्रीय मोर्चा' बनाया गया, लेकिन 1990 में ही ये सरकार गिर गई। इसके बाद कांग्रेस के समर्थन से चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने, लेकिन वो भी 1991 तक ही सरकार चला पाए।
- इसके बाद 1996 के चुनावों में जब किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। तो फिर से जनता दल, टीडीपी, असम गण परिषद, डीएमके, तमिल मनीला कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, CPI ने मिलकर सरकार बनाई। कांग्रेस ने इस गठबंधन को बाहर से समर्थन दिया था, लेकिन ये गठबंधन भी 2 साल ही टिक सका।
- 2009 के लोकसभा चुनावों से पहले पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने बीजेपी को रोकने के लिए फिर तीसरा मोर्चा बनाया लेकिन आम चुनावों में ये कुछ नहीं कर सका।
- 2014 के आम चुनावों से पहले भी 2013 में लेफ्ट पार्टियों ने समाजवादी पार्टी, जेडीयू, अन्नाद्रनुक, जेडीएस, झारखंड विकास मोर्चा, असम गण परिषद और बीजू जनता दल को शामिल कर 'गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेसी मोर्चा' बनाया, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी तीसरा मोर्चा सफल नहीं हो पाया।
पौधारोपण अभियान: आरएनटीयू एनसीसी नेवल विंग का पौधारोपण अभियान प्रारंभ
डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के एनसीसी नेवल विंग ने केजीएन सोशल फाउंडेशन के साथ मिलकर बीएचईएल के स्वर्ण जयंती पार्क में लगभग 200 पौधों का रोपण किया। एनसीसी नेवल विंग द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत 1 जुलाई से 15 अगस्त तक पौधारोपण अभियान शहर के अलग-अलग स्थानों पर अधिक से अधिक संख्या में लगाने का लक्ष्य रखा गया है। इस अभियान की शुरुआत बीएचईएल के स्वर्ण जयंती पार्क में कैडेटों द्वारा केजीएन सोशल फाउंडेशन के साथ मिलकर लगभग 200 पौधों का रोपण कर किया गया। इस अभियान के अंतर्गत कैडेटों की अलग अलग टीम बनाकर रोपित किए गए पौधों की समय-समय पर निगरानी भी की जाएगी।
इस अभियान में कैडेटों के साथ-साथ एनसीसी अधिकारी सब लेफ्टिनेंट मनोज सिंह मनराल, इंस्ट्रक्टर दुर्गा वर्मा, केजीएन सोशल फाउंडेशन के अध्यक्ष मुनव्वर खान, उपाध्यक्ष गौरव बवनकुले तथा अन्य सदस्यों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया साथ ही केजीएन सोशल फाउंडेशन ने विश्वविद्यालय को सर्टिफिकेट भी प्रदान किया।
क्लोजिंग बेल: : गिरावट के साथ बंद हुआ बाजार, सेंसेक्स 111 अंक लुढ़का, निफ्टी भी टूटा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। देश का शेयर बाजार कारोबारी सप्ताह के पांचवे और आखिरी दिन (01 जुलाई 2022, शुक्रवार) गिरावट के साथ बंद हुआ। इस दौरान सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही लाल निशान पर रहे। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 111.01 अंक यानी कि 0.21% की गिरावट के साथ 52,907.93 के स्तर पर बंद हुआ।
वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 28.20 अंक यानी कि 0.18% की गिरावट के साथ 15,752.05 के स्तर पर बंद हुआ।
जबकि बैंक निफ्टी में तेजी रही एवं उसने 114 अंकों की बढ़त के साथ 33539.45 पर सत्र की समाप्ति दी। निफ्टी के 50 शेयरों में से 36 में तेजी रही जो व्यापक खरीदारी दर्शाते हैं।क्षेत्र विशेष में रियलिटी तथा एफएमसीजी सूचकांक 1.5 प्रतिशत से 2.80 प्रतिशत बढ़े जबकि आयलएंडगैस सूचकांक ओएनजीसी तथा रिलायंस में बड़ी गिरावट के कारण 3 प्रतिशत गिरा। निफ्टी के शेयरों में आईटीसी, बजाज फाइनेंस,बजाज फिन सर्व, ब्रिटानिया में सर्वाधिक लाभ रहा जबकि ओएनजीसी, रिलायंस, बजाज ऑटो, पावर ग्रिड में सबसे अधिक हानि रही।
तकनीकी आधार पर दैनिक चार्ट पर निफ्टी ने हैमर सदृश कैंडल बनाया है जो आगामी सत्र में तेजी की चाल का संकेत है। साप्ताहिक चार्ट पर निफ्टी ने बुलिश हरामी कैंडल स्टिक प्रारूप की पुष्टि की है जो आनेवाले सत्र के लिए तेजी का संकेत है। निफ्टी ने 100 एचएमए पर सपोर्ट लिया है तथा इस स्तर के ऊपर बंदी दी है जो अगले सत्र के लिए एक शक्ति का परिदृश्य दर्शा रहा है। मोमेन्टम संकेतक दैनिक चार्ट पर स्टॉकिस्टिक एवं एमएसीडी सकारात्मक क्रॉसओवर के साथ ट्रेड कर रहे हैं, ये भी निफ्टी में बढ़त आने का संकेत है।
निफ्टी 15500 पर सपोर्ट ले सकता है, तेजी में 15900 तात्कालिक अवरोध है। 15900 के ऊपर जाने पर तेजी की चाल गति पकड़ सकती है। बैंक निफ्टी का सपोर्ट 32600 तथा अवरोध 34000 है। कुलमिला कर निफ्टी 15500 के सपोर्ट के साथ शक्तिशाली लग रहा है।आज के सत्र में निफ्टी तथा निफ्टी शेयरों ने वैश्विक, विशेषकर अमेरिकी शेयर बाजार में दुर्बलता के बाद भी अच्छी शक्ति दिखाई। यदि भारतीय बाजार वर्तमान स्तरों की रक्षा करने में सफल रहते हैं, टिक पाते हैं तो फिर एक तीव्र तेजी की चाल आ सकती है तथा बुरा समय कुछ समय विशेष के लिए समाप्त भी हो सकता है।
पलक कोठारी
रीसर्च एसोसिएट
चॉइस ब्रोकिंग
Source: Choice India
३२ साल के डॉ. राज पढियार ने देश भर में बनायी विशेष पहचान: गुजरात के गृहमंत्री, तेलंगाना एवं पोंडिचेरी के गवर्नर सहित देश विदेश की नामी हस्तियाँ करती है फ़ॉलो
डिजिटल डेस्क, भोपाल। थाने ज़िला के मीरा भायंदर के युवा उधमी - डॉ. राज पढियार ने अपने आंट्रेप्रेनरशीप और डिजिटल मीडिया से देश भर में अपनी विशेष पहचान बनायी हैं । इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है की उन्हें ट्विटर पर गुजरात के गृह मंत्री - हर्ष संघवीजी, तेलंगाना एवं पोंडिचेरी गवर्नर - डॉ. तमिलिसाई सौंदराराजन, तहसीन पूनावाला, कोंग्रेस के राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष - बी श्रीनिवास, भाजपा के राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष एव सांसद - तेजस्वी सूर्या, उद्धव ठाकरे साहेब के पीए - बी के राजपूत, इनकम टैक्स कमिशनर - सुग्रीव मीना, ABP न्यूज़ के ऐंकर - विकास भदोरिया, राहुल गांधी के पीएस - कौशल विद्यार्थी, बोलीवुड अभिनेता अमित साध, WTO के भारत के डिरेक्टर - आशीष चंडोरकर, दुबई के शेख़ - डॉ. मोहम्मद अल हेमीयरी समित भारत सरकार के कई मंत्रालय, विभिन्न राज्य के प्रदेशध्यक्ष, सांसद, अभिनेता, सामाजिक कार्यकर्ता एवं नामी हस्तियाँ फ़ॉलो करती है । यह सभी लोग डॉ. राज के शिक्षण एवं डिजिटल मीडिया के क्षेत्र के बदोलत इनके सम्पर्क में रहकर निरंतर चर्चा एवं वार्ता विमश करते रहते है ।
डॉ. राज पढियार - एशिया की प्रसिद्ध एजुकेशन कंपनी -
डिजिटल गुरुकुल के संस्थापक है जिसने अभी तक पूरी दुनिया में ४५,०००+ से ज़्यादा छात्रों को डिजिटल क्षेत्र में प्रशिक्षा देकर उन्हें रोज़गार एवं स्टार्टअप के हेतु योग्य बनाया है । कोरोना काल में डॉ. राज की संस्था ने १५००+ से ज़्यादा भारत, दुबई के युवाओं को डिजिटल स्किल की निशुल्क शिक्षा देकर उन्हें रोज़गार प्राप्त करने में सहायता करी ।
डॉ. राज पढियार अब तक ५०००+ से ज़्यादा लेक्चर ले चुके है जिसमें ३१,०००+ छात्रों को ट्रेनिंग देके उन्हें रोज़गार हेतु योग्य बना चुके है । उन्होंने अब तक अपनी २ किताबें पब्लिश करी है १ - सोशल मीडिया एंड पॉलिटिक्स इन इंडिया - जिसे भारत के अग्रणी राजनेताओ ने पढ़कर उसकी सराहना की है, २ - फ़ंडामेंटलस ओफ़ डिजिटल मार्केट जो डिजिटल मीडिया विषय पर लिखी हुई भारत की पहली एकाडेमिक बुक है - यह बुक भारत के २५० से ज़्यादा कॉलेज के लाइब्रेरी में उपलब्ध है।
डॉ. राज पढियार को शिक्षा एवं डिजिटल क्षेत्र में योगदान के चलते उन्हें “दुनिया के सर्वश्रेस्ठ १०० डिजिटल लीडर” में स्थान मिला जो भारत के लिए बहोत गर्व की बात थी । इसके अलावा उन्हें बॉलीवुड अभिनेत्री सोहा अली खान, कलाकार मुकेश खन्ना एवं कई बड़े कलाकारों ने विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया है ।
अपने स्टार्टप के शुरुआती दौर में काफ़ी स्ट्रगल करने के बाद डॉ. राज पढियार ने अपने अथाग परिश्रम एवं मेहनत से आज जो मुक़ाम तक पहोचे है जिससे उनकी देश विदेश में लोग सराहना कर रहे है और भारत का नाम और रोशन किया है।
मूवर्स और पैकर्स: कैसे एश्योरशिफ्ट ने भारत में स्थानांतरण के अनुभव को बेहतर बनाया है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। देश में बढ़ती जनसंख्या, शैक्षिक प्रगति और मूल तोर से नौकरी के अवसर के कारण, देश के अंदर और विदेश के कई शहरों में, प्रवास करने वाले अन्य शहरों के लोगों की संख्या उल्लेखनीय मत्रा से वृद्धि पाई है।
इस कारण से स्थानांतरण सेवा के मांग में तेजी से वृद्धि हुई। कई पैकर्स एंड मूवर्स कंपनियों की स्थापना भी हुई है जो घर, कार्यालयों के सामना, कार, बाइक, आदि को स्थानांतरित करने के लिए आवश्यक सेवाएं प्रदान करती हैं। हालांकि, किसी भी नए उत्पाद के साथ, कई नकली और गैर-पेशेवर चलती कंपनि स्थापित होते हैं। धीरे-धीरे भारतीय स्थानांतरण बाजार में इस तरह के कंपनि आकर बेहद कम लागत वाली कोटेशन की पेशकश करके निर्दोष ग्राहकों का शिकार करना शुरू कर दिया। वे गुणवत्ता सेवाओं, अतिरिक्त सहायता आदि जैसे कई वादे करते हैं, लेकिन अंत में अक्सर ग्राहकों के पैसे और सामान लूट लेते हैं।
स्व-चलन के साथ आने वाली कठिनाइयों और जोखिमों को ध्यान में रखते हुए, पेशेवर स्थानांतरण सेवा प्रदाताओं को नियुक्त करने की सलाह दी जाती है लेकिन कंपनी के इतिहास और पृष्ठभूमि की जांच कर लेने के बाद। आपको एक पैकर्स मूवर्स कंपनी के पंजीकरण दस्तावेजों और पहले के ग्राहकों की कई समीक्षाएं पढ़ कर, उनका व्यापक शोध करना चाहिेए। लेकिन सामान्य ज्ञान के अनुसार, दस्तावेज़ीकरण, कंपनी विवरण, कार्यालय स्थान आदि की पुष्टि करना आसान काम नहीं है और पहली बार जांच करने वाले के लिए अत्यधिक समय लग सकता है।
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#3 लाइटनिंग-फास्ट रिस्पांस और एंड-टू-एंड सपोर्ट
एश्योरशिफ्ट ग्राहकों के किसी भी प्रश्न का तुरंत जवाब देकर आपके हर कदम को परेशान मुक्त बनाने के लिए निरंतर काम करता है।
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साथ ही, एश्योरशिफ्ट सुनिश्चित करता है कि ग्राहकों को पूरी स्थानांतरण प्रक्रिया के दौरान आवश्यक समर्थन मिले, यानी अनुरोध जमा करने के समय से लेकर सामान की अंतिम डोरस्टेप डिलीवरी तक।
# 4 नियमित प्रतिक्रिया और गुणवत्ता संरक्षण
एश्योरशिफ्ट ग्राहकों की पूर्ण संतुष्टि सुनिश्चित करने के लिए काम करता है। ग्राहकों से नियमित फीडबैक लेने से संभावित ग्राहकों को अच्छी तरह से सूचित निर्णय लेने में मदद मिलती है और साथ ही साथ हर दिन काम करने की प्रक्रिया में सुधार होता है। एश्योरशिफ्ट को ग्राहकों द्वारा सामना की स्थानांतरण के समय आने वाली विभिन्न समस्याओं जैसे कि अचानक मूल्य वृद्धि, सामान का नुकसान, स्थानांतरण के दौरान मूवर्स के अनैतिक व्यवहार पता चलता रहता है।
प्राप्त शिकायतों की गंभीरता के आधार पर, एश्योरशिफ्ट सेवा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए आवश्यक कार्रवाई करता है, :जैसे
- गैर-पेशेवर मूवर्स और पैकर्स को अस्थायी रूप से निलंबित या वेबसाइट से उनके व्यावसायिक प्रोफाइल को स्थायी रूप से हटाकर दंडित करना, साथ ही साथ
- लिस्टिंग में उच्च रैंक मैं रख के शीर्ष प्रदर्शन करने वाली कंपनियों को पुरस्कृत करना ।
निष्कर्ष के तौर पर
एश्योरशिफ्ट समझती है कि कई सारे सामान ले जाना जोखिम भरा हो सकता है और वित्तीय, मानसिक और शारीरिक दबाव पैदा कर सकता है, खासकर बिना किसी पूर्व अनुभव से किया गया हो तो। इसके अलावा, बहुत से ग्राहक वास्तव में भरोसेमंद स्थानांतरण सेवा प्रदाताओं को किराए पर लेने का सही तरीका भी नहीं जानते हैं। और तो और क्योंकि वर्तमान समय में कई धोखाधड़ी करने वाली कंपनियां भी बाजार में स्थापित हैं।
धोखेबाज पैकर्स और मूवर्स को खत्म करने के मिशन के साथ, एश्योरशिफ्ट ने स्थानांतरण कंपनियों के काम काज़ की प्रक्रिया में सुधार लाई हे, और इसके परिणामस्वरूप, भारत में पैकिंग और स्थानांतरित करने की प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव आया है। एश्योरशिफ्ट के माध्यम से जाने का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि भरोसेमंद पैकर्स और मूवर्स ढूंढना आसान हो जाता है, और बजट के अनुसार सही कंपनी मिनटों के अंदर मिल जाता है।