जोशीमठ से नहीं लिया सबक, उत्तराखंड में एक और बड़ी आपदा को खुलेआम न्योता! जोशीमठ से कुछ ही दूरी पर फिर शुरू हुआ पहाड़ तोड़ने का काम

The danger of Joshimath has not yet been averted that just a short distance from the city, the work of breaking
जोशीमठ से नहीं लिया सबक, उत्तराखंड में एक और बड़ी आपदा को खुलेआम न्योता! जोशीमठ से कुछ ही दूरी पर फिर शुरू हुआ पहाड़ तोड़ने का काम
जोशीमठ आपदा जोशीमठ से नहीं लिया सबक, उत्तराखंड में एक और बड़ी आपदा को खुलेआम न्योता! जोशीमठ से कुछ ही दूरी पर फिर शुरू हुआ पहाड़ तोड़ने का काम

डिजिटल डेस्क, देहरादून। जोशीमठ पर संकट के बादल अभी भी छटे नहीं है। इसी बीच एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है। एक तरफ जहां जोशीमठ में हर रोज भू-धंसाव बढ़ता जा रहा है। वहीं दूसरी ओर राज्य में आपदा ग्रसित जोशीमठ से महज कुछ ही दूरी पर पहाड़ की कटाई का काम चल रहा है। पहाड़ को काटने के लिए नई तकनीकी से लैस हैवी मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। दरअसल, जोशीमठ से महज 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तपोवन में पहाड़ को काटकर सड़क को चौड़ा करने का काम किया जा रहा है।

जोशीमठ में अभी नहीं रुका है सड़क चौड़ीकरण का काम  

अगले आदेश तक प्रोजेक्ट हुए बंद

सीमा सड़क संगठन के द्वारा चारधाम ऑलवेदर रोड परियोजना के तहत तपोवन सड़क के चौड़ीकरण का काम किया जा रहा है। हालांकि बीआरओ के अधिकारी कर्नल मनीष कपिल ने पहाड़ काटे जाने की बात से इनकार करते हुए कहा था कि केवल रास्ते से मलबा हटाया जा रहा है। जोशीमठ में बढ़ते खतरे को देखते हुए प्रदेश के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने 8 जनवरी को खुद घोषणा की थी, कि सभी बड़े प्रोजेक्ट फिलहाल रोक दिए गए हैं। इसके अलावा बीआरओ के अन्तर्गत बनाई जाने वाली हेलंग बाई पास निमार्ण कार्य और एनटीपीसी तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना के निर्माण कार्यों पर अगले आदेश तक काम बंद कर दिया है।

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एनटीपीसी को लेकर लोगों में है नाराजगी

जोशीमठ के लोगों ने एनटीपीसी पर आरोप लगाते हुए कहा कि इनकी ही वजह से क्षेत्र में आपदा आई है। जिसकी वजह से हमें अपने घरों को छोड़ कर जाना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों के आरोप के बाद उत्तराखंड की सरकार ने एनटीपीसी के खिलाफ जांच कराने के निर्देश दिए हैं। जिनमें पता लगाया जाएगा कि क्या वाकई एनटीपीसी द्वारा किए गए ब्लास्ट की वजह से ही जोशीमठ में खतरा आया है। हालांकि, एनटीपीसी पर लग रहे आरोपों के बाद एक बयान जारी किया है। जिसमें कहा कि हम पूरी जिम्मेदारी के साथ कहना चाहते हैं कि मौजूदा वक्त में किसी भी प्रकार की ब्लास्टिंग नहीं हुई है। जोशीमठ शहर के नीचे सुरंग का निर्माण नहीं हो रहा है। इस सुरंग का निर्माण टनल बोरिंग मशीन से किया जा रहा है।

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स्टडी में जुटे 8 इंस्टिट्यूट

भू-धंसाव के कारणों का पता लगाने के लिए 8 इंस्टिट्यूट स्टडी कर रहे हैं। इंस्टिट्यूट स्टडी को लेकर प्रदेश के मुख्य सचिव ने मीडिया रिपोर्ट्स का जिक्र करते हुए कहा कि जोशीमठ के नीचे कठोर चट्टान नहीं है। जिसकी वजह से शहर में भू-धंसाव हो रहा है। साल 1976 में भी जोशीमठ में थोड़ी जमीन धंसने की बात सामने आई थी। सचिव ने आगे कहा कि जोशिमठ में पानी निकलने का पता करने के लिए कई सारे संस्थान जांच में लगे हैं।

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कमेटी कर चुकी है जांच

साल 1976 में उत्तराखंड की मौजूदा सरकार ने जोशीमठ के जांच के लिए 18 सदस्यीय की एक कमेटी बनाई थी। जिसका नेतृत्व गढ़वाल के कलेक्टर एमसी मिश्रा कर रहे थे। मिश्रा कमेटी ने जोशीमठ की जांच में पाया कि यह शहर पहले से ही किसी भूस्खलन के मलबे पर बसा है। यह लगातार धंस रहा है। मिश्रा रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि जोशीमठ के जमीन के अंदर पुराने पत्थर, कमजोर मिट्टी थे। जिसके कारण से वो कोई हैवी वजन नहीं संभाल सकते थे। कमेटी ने अपने जांच में पाया था कि जोशीमठ रेत और पत्थरों के मलबे पर बसा हुआ है। यहां मजबूत पत्थर नहीं हैं। जिसकी वजह से किसी भी प्रकार का कोई कस्बा बस नहीं सकता। यह उचित स्थान नहीं है। हालांकि, इस रिपोर्ट के बाद भी किसी भी प्रकार का कोई ऐतिहातन कदम नहीं उठाए गए। जिसका नतीजा आज सबके सामने है।

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Created On :   14 Jan 2023 11:59 AM GMT

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