Remembering: जब महान साइंटिस्ट स्टीफन हॉकिंग से डॉक्टरों ने कहा- तुम्हारे पास जीने के लिए सिर्फ दो साल हैं...

The Great Scientist Stephen William Hawking Birth Anniversary Special
Remembering: जब महान साइंटिस्ट स्टीफन हॉकिंग से डॉक्टरों ने कहा- तुम्हारे पास जीने के लिए सिर्फ दो साल हैं...
Remembering: जब महान साइंटिस्ट स्टीफन हॉकिंग से डॉक्टरों ने कहा- तुम्हारे पास जीने के लिए सिर्फ दो साल हैं...
हाईलाइट
  • 21 साल की उम्र में हुई भयानक बीमारी
  • विल पावर से डॉक्टर्स को दी मात
  • ब्लैक होल और बिग बैंग थ्योरी को समझने में अहम योगदान
  • वैज्ञानिक स्टीफन​ विलियम हॉकिन्स की बर्थ एनिवर्सरी आज

डिजिटल डेस्क, मुम्बई। महान वैज्ञानिक स्टीफन​ विलियम हॉकिंग आज भले ही इस दुनिया में न हो, लेकिन विज्ञान के क्षेत्र में उनके द्वारा दिए गए योगदान के चलते उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। हॉकिंग ने ब्लैक होल और बिग बैंग थ्योरी को समझाने में अहम भूमिका निभाई थी। 8 जनवरी 1942 को आक्सफोर्ड इग्लैंड में जन्में स्टीफन की आज बर्थ एनिवर्सरी है। इस खास मौके पर जानते हैं उनके बारे में कुछ खास बातें।

इच्छा शक्ति से डॉक्टरों को गलत साबित किया
स्टीफन हॉकिंग साल 1959 में नेचुरल साइंस की पढ़ाई करने ऑक्सफोर्ड पहुंचे। उसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में पीएचडी की। हॉकिंग जब 21 साल के थे, तब उन्हें पता चला कि उन्हें मोटर न्यूरोन बीमारी है। ये एक दुर्लभ स्थिति है जो प्रगतिशील व्यक्ति को अपंग कर देती है और आमतौर पर कुछ वर्षों में मृत्यु का कारण बन जाती है। हॉकिंग को बताया गया कि उनके पास जीने के लिए केवल दो साल हैं। जब उन्होंने डॉक्टरों को गलत साबित कर दिया और बच गए, तब भी वे अंततः एक व्हील चेयर तक ही सीमित थे और उनका अधिकांश शरीर लकवाग्रस्त हो गया था।

इस पुस्तक की वजह से मिली लाइमलाइट
लगभग 55 साल तक व्हीचेयर पर रहने वाले हॉकिंग को सबसे ज्यादा चर्चा तब मिली, जब उनकी पुस्तक "ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम: फ्रॉम द बिग बैंग टु ब्लैक होल्स" पब्लिश हुई। इस किताब की 1000 से ज्यादा प्रतियां बिकीं और यह किताब उस साल की बेस्ट सेलर बुक में शामिल हुई। इसके बाद कॉस्मोलॉजी पर आई उनकी किताब भी काफी चर्चा में रही। साल 2014 में उनके जीवन पर द थ्योरी ऑफ़ एवरीथिंग बनी जिसमें एडी रेडमैन ने हॉकिंग का किरदार अदा किया था।

भगवान को नहीं मानते थे हॉकिंग
हॉकिंग भगवान को नहीं मानते थे, उनका कहना था कि यह दुनिया फिजिक्स के नियमों पर आधारित है। वे यह भी कहते थे कि ईश्वर ने ब्रह्मांड की रचना नहीं की। उन्होंने अपनी किताब दी ग्रैंड डिजाइन में लिखा था कि ब्रह्मांड की रचना अपने आप हुई। हॉकिंग ब्रह्मांड की रचना को एक स्वतः स्फूर्त घटना मानते थे। हॉकिंग का कहना था कि ब्रह्मांड में गुरुत्वाकर्षण जैसी शक्ति की वजह से नई रचनाएं हो सकती हैं। इसके लिए ईश्वर जैसी किसी शक्ति की सहायता की जरूरत नहीं है।

एक शब्द से बदली दुनिया
स्टीफन हॉकिंग ने सिर्फ एक शब्द को पढ़ा और उसका मतलब समझने में ही अपनी जिंदगी निकाल दी। वह शब्द था ‘जिज्ञासु’। वे हर किसी को ‘जिज्ञासु’ बनने की सलाह देते थे। साल 2014 में जब वह पहली बार फेसबुक पर आए तो उन्होंने अपने फैंस को सिर्फ एक शब्द की नसीहत दी थी। ‘जिज्ञासु’, यानी वह अपने फैंस से कहते थे कि अगर आप जिंदगी में जिज्ञासु नहीं होंगे तो तरक्की नहीं कर सकते। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा था, ‘मैं हमेशा सृष्टि की अद्भुत रचना पर हैरान हूं। समय और अंतरिक्ष हमेशा रहस्य रहेंगे लेकिन इसके लिए मेरी कोशिश कभी नहीं रुकेगी।’

मिले कई सम्मान 
हॉकिंग का दिमाग, दुनिया के सबसे बेहतरीन दिमागों की कैटेगरी में शामिल है। उनकी तुलना हमेशा आइंस्टीन से की जाती रही है। विज्ञान के क्षेत्र में उनके अद्भुत योगदान के चलते साल 1982 में उन्हें CBE से सम्मानित किया गया। उन्हें 1989 में कम्पेनियन ऑफ़ ऑनर बनाया गया, और 2009 में अमेरिकी राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया था। वह द रॉयल सोसाइटी के फेलो थे, पोंटिफिकल एकेडमी ऑफ साइंसेज के सदस्य थे, और यूएस नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के भी सदस्य थे।

स्टीफन हॉकिंग की महत्वपूर्ण किताबें
अपने जीवन में हॉकिंग ने कई किताबें लिखी, जिनमें ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम, ग्रांड डिजाइन, यूनिवर्स इन नटशेल, माई ब्रीफ हिस्ट्री, द थ्योरी ऑफ एवरीथींग जैसी किताबे ​प्रमुख है।

Created On :   8 Jan 2020 3:36 AM GMT

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