बुंदेलखंड के सियासी समीकरण बदलेंगे सुरखी से

The political equations of Bundelkhand will change with the success
बुंदेलखंड के सियासी समीकरण बदलेंगे सुरखी से
बुंदेलखंड के सियासी समीकरण बदलेंगे सुरखी से
हाईलाइट
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भोपाल, 25 सितम्बर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा के उपचुनाव सियासी तौर पर अहम हैं, मगर बुंदेलखंड के सागर जिले की सुरखी विधानसभा सीट ऐसी है जिसके नतीजे इस इलाके की सियासत पर बड़ा असर डालने वाले होंगे।

सागर जिले का सुरखी विधानसभा क्षेत्र इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि शिवराज सिंह चौहान सरकार के परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतरना तय है। राजपूत की गिनती पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की करीबियों में होती है। राजपूत उन नेताओं में है जिन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा है।

राजपूत के भाजपा में जाने से कई नेता कांग्रेस की तरफ रुख कर रहे हैं। उन्हीं में से एक पूर्व विधायक पारुल साहू ने भी कांग्रेस की सदस्यता ली है। पारुल साहू ने वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में वर्तमान के भाजपा के संभावित उम्मीदवार गोविंद सिंह राजपूत को शिकस्त दी थी। अब संभावना इस बात की है कि राजपूत के खिलाफ कांग्रेस पारुल साहू को मैदान में उतार सकती है। एक तरफ जहां पारुल साहू ने कांग्रेस की सदस्यता ली है तो कुछ और नेता भाजपा से कांग्रेस की तरफ रुख कर रहे हैं।

कांग्रेस छोड़कर आए राजपूत के लिए व्यक्तिगत तौर पर यह चुनाव अहमियत वाला है तो वहीं इस चुनाव के नतीजों का बुंदेलखंड की राजनीति पर असर होना तय है। इसकी वजह भी है क्योंकि सागर जिले से शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल में गोपाल भार्गव भूपेंद्र सिंह और गोविंद सिंह राजपूत मंत्री है। भाजपा भी सुरखी विधानसभा क्षेत्र को लेकर गंभीर है। यही कारण है कि पार्टी जहां घर-घर तक पहुंचने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी ओर राजपूत ने मतदाताओं का दिल जीतने के लिए रामशिला पूजन यात्रा निकाली और भाजपा कार्यकर्ताओं से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश में लगे हैं।

एक तरफ जहां राजपूत भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं में अपनी पैठ बढ़ाने में लगे हैं तो वहीं दूसरी ओर भाजपा के असंतुष्ट कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। पारुल साहू के कांग्रेस में आने से राजपूत के सामने मुश्किलें खड़ी हो गई हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि पारुल के पिता संतोष साहू भी कांग्रेस से सागर जिले से विधायक रह चुके हैं।

अब एक बार फि र राजपूत और पारुल के बीच सियासी मुकाबला हो सकता है, अगर ऐसा होता है तो चुनाव रोचक और कड़ा होने की संभावनाएं जताई जा रही है। दोनों ही जनाधार व आर्थिक तौर पर मजबूत है, इसलिए यहां का चुनाव चर्चाओं में रहेगा इसकी संभावनाएं बनी हुई है।

राजनीतिक विश्लेषक विनेाद आर्य का कहना है कि, सुरखी विधानसभा क्षेत्र का उप-चुनाव सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र का चुनाव नहीं बल्कि पूरे अंचल को प्रभावित करने वाला होगा, ऐसा इसलिए क्योंकि राजपूत की गिनती सिंधिया के करीबियों में होती है, उनकी जीत से जहां नया सियासी ध्रुवीकरण हेागा तो उनकी हार से भाजपा के पुराने क्षत्रप मजबूत बने रहेंगे। वहीं पारुल साहू के जरिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उर्जा मिलेगी, इतना ही नहीं कांग्रेस की जीत से इस क्षेत्र में नया नेतृत्व उभर सकता है।

बुंदेलखंड का सागर वह जिला है जहां से शिवराज सिंह चौहान सरकार में गोविन्द सिंह राजपूत के अलावा भूपेंद्र सिंह और गोपाल भार्गव मंत्री है। यह तीनों सत्ता के केंद्र है, राजपूत के जीतने और हारने से सियासी गणित में बदलाव तय है, यही कारण है कि भाजपा में एक वर्ग राजपूत के जरिए अपनी संभावनाएं तलाश रहा है तो राजपूत के भाजपा में आने से अपने को असुरक्षित महसूस कर रहे नेता नई राह की खोज में लगे है।

एसएनपी-एसकेपी

Created On :   25 Sep 2020 9:30 AM GMT

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