भारत के किसी शहर में कम किसी में ज्यादा महसूस होते हैं भूकंप के झटके, जोन के विभाजन से समझिए कुछ ही राज्यों को क्यों है भूकंप से ज्यादा खतरा, कुछ हैं भूकंप सेफ राज्य

There is danger of earthquake in these areas of India, earthquake can cause huge devastation in many
भारत के किसी शहर में कम किसी में ज्यादा महसूस होते हैं भूकंप के झटके, जोन के विभाजन से समझिए कुछ ही राज्यों को क्यों है भूकंप से ज्यादा खतरा, कुछ हैं भूकंप सेफ राज्य
भूकंप भारत के किसी शहर में कम किसी में ज्यादा महसूस होते हैं भूकंप के झटके, जोन के विभाजन से समझिए कुछ ही राज्यों को क्यों है भूकंप से ज्यादा खतरा, कुछ हैं भूकंप सेफ राज्य
हाईलाइट
  • 2400 किलोमीटर के क्षेत्र मे सबसे ज्यादा खतरा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तुर्की और सीरिया में आए भयानक भूकंप ने पूरी दुनिया को दहला दिया है। इस भयानक आपदा में अब तक 3400 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और तकरीबन आठ हजार से अधिक लोगों को रेस्क्यू किया गया है। इस घटना का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि पिछले दो दिनों में वहां पर कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। वहीं भारत की बात करें तो यहां पर हर साल औसतन 1000 बार भूकंप आते हैं। कभी-कभी इससे थोड़े ज्यादा भी आते हैं तो कभी थोड़ें कम। जिसमें दो से ढाई सो बार लोगों को धरती हिलते हुए महसूस होती है यानी लोग भूकंप के झटके महसूस कर पाते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश का करीब 59 फीसदी से अधिक हिस्सा भूकंप के उच्च खतरे वाले जोन में आते है। इनमे सबसे ज्यादा खतरा हिमालयी इलाकों में है। इस इलाकों में कुछ ऐसे तगड़े भूकंप आ चुके हैं, जो रिक्टर पैमाने पर बेहद उच्च तीव्रता के थे। 

साल 1897 में शिलॉन्ग पठार पर 8.1 तीव्रता का भूकंप आया था। वहीं 1905 में कांगड़ा में 7.8 तीव्रता की भूकंप को मापा गया था। इसके अलावा साल 1934 में बिहार- नेपाल बॉडर पर 8.3 तीव्रता का भूकंप आया था। साथ ही अरुणाचल-चीन बॉडर पर 1950 में 8.5 तीव्रता का भूकंप आया था। साल 2015 में पड़ोसी देश नेपाल में 7.9 तीव्रता का भूकंप आया था। बता दें कि इस इलाके में मध्यम से खतरनाक स्तर के भूकंप आते हैं। इसके पीछे की बड़ी वजह यहां पर दो महाद्वीपों की टेक्टोनिक प्लेट मिलना है।

2400 किलोमीटर के क्षेत्र मे सबसे ज्यादा खतरा

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंडियन टेक्टोनिक प्लेट और तिब्बतन प्लेट के आपस में टकराने से इस क्षेत्र में प्रेशर रिलीज होती है। जिसकी वजह से भूकंप आता है। इससे 2400 किलोमीटर के क्षेत्र में सबसे ज्यादा खतरा मंडरा रहा है। भारतीय मानक ब्यूरो के मुताबिक, भूकंप के हिसाब से देश को 5 अलग-अलग जोन में बांटा गया है। देश में पांचवें जोन को सबसे ज्यादा खतरानाक और सक्रिय माना जाता है। इस जॉन में आने वाले राज्यों और इलाकों में तबाही का स्तर भी काफी ज्यादा रहता है। 

किस जोन में कौन सा राज्य?

पांचवे जोन में देश का 11 फीसदी जमीन का हिस्सा आता है। वहीं चौथे जोन में 18 फीसदी और तीसरे जोन में 30 फीसदी आता है। इनमे सबसे ज्यादा खतरा जोन 4 और जोन 5 वाले राज्यों को है। ऐसे में किस जोन में कौन सा राज्य आता है। ये समझना बेहद जरूरी हो जाता है। क्योंकि इनमें से कुछ राज्य ऐसे है जिनमें अलग-अलग जोन आते हैं। इसमें सबसे पहले कमजोर जोन के बारे में जानते हैं। 

समझें जोन के बारे में-

Earthquake Zone 1: इस जोन में आने वाले क्षेत्र को कोई खतरा नहीं होता हैं। इसलिए इसके बारे में समझने का कोई मतलब नहीं रह जाता है। 

Earthquake Zone 2: इसके जोन अंतर्गत राजस्थान, मध्य प्रदेश , महाराष्ट्र, हरियाणा, ओडिशा, आंध्र प्रदेश , तेलंगाना और तलिमनाडु के कुछ इलाके आते हैं। 

Earthquake Zone 3: इस जोन के तहत केरल, गोवा, लक्षद्वीप समूह, उत्तर प्रदेश और हरियाणा का कुछ हिस्सा, पंजाब और गुजरात का कुछ इलाका, पश्चिम बंगाल का कुछ हिस्सा , पश्चिमी राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार का कुछ इलाका, झारखंड का उत्तरी हिस्सा और छत्तीसगढ़ कुछ इलाका आता है। महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक का भी कुछ इलाका आता है।

Earthquake Zone 4: जोन 4 में जम्मू और कश्मीर का हिस्सा, लद्दाख, हिमाचल और उत्तराखंड का कुछ इलाका आता है। साथ ही हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश के उत्तरी हिस्से, बिहार और पश्चिम बंगाल का छोटा हिस्सा, इसके अलावा गुजरात, पश्चिमी तट के पास महाराष्ट्र का कुछ हिस्सा, वहीं जोन 4 में पश्चिमी राजस्थान का छोटा हिस्सा आता है। 

Earthquake Zone Zone 5: इस जोन में जम्मू और कश्मीर का हिस्सा, जिसमें कश्मीर घाटी भी शामिल है, उत्तरी बिहार का हिस्सा, हिमाचल का पश्चिमी हिस्सा, उत्तराखंड का पूर्वी इलाका, गुजरात का कच्छ, इसके अलावा भारत के सभी पूर्वोत्तर राज्य, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भी जोन 5 में ही आते हैं। 

Created On :   7 Feb 2023 2:12 PM GMT

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