देश के इन बड़े राजनेताओं ने दिलाई हिन्दी भाषा को विश्व पटल पर अलग पहचान

These big politicians gave Hindi language a different identity on the world stage
देश के इन बड़े राजनेताओं ने दिलाई हिन्दी भाषा को विश्व पटल पर अलग पहचान
हिंदी दिवस-2022 देश के इन बड़े राजनेताओं ने दिलाई हिन्दी भाषा को विश्व पटल पर अलग पहचान
हाईलाइट
  • 14 सिंतबर को देश में मनाया जाता है हिंदी दिवस

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हर साल की तरह इस साल भी 14 सितंबर को पूरे देश में हिन्दी दिवस को बड़े गौरव पूर्ण तरीके से मनाया जाएगा। विश्व के कई देशों में बोली जाने वाली हिन्दी भाषा दुनिया की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है। भारत की राज भाषा हिंदी वैसे तो दुनिया में करोड़ों लोग बोलते हैं। लेकिन, आजकल की युवा पीढ़ी हिंदी को बोलने में शर्म महसूस करती है और विदेशी भाषा अंग्रेजी को बोलने में उन्हें गर्व होता है। भले ही आज की नई पीढ़ी हिंदी बोलने से कतराती है, लेकिन देश के कई बड़े राजनेताओं ने इसी भाषा को दुनिया में एक अलग पहचान दिलाई है। आइए हिंदी दिवस के खास मौके पर जानते हैं उन राजनेताओं के बारे में जिन्होंने हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी को अपने जीवन में खास महत्व देते हुए उसे पूरी दुनिया में एक अलग पहचान दिलाई में सफल रहे हैं।

अटल बिहारी वाजपेयी

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी राजनेता के साथ-साथ बेहतरीन कवि भी थे। अटल बिहारी वाजपेयी भारत के ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं, जिन्होंने अपने कार्यकाल में भारत को एक अलग पहचान दिलाई। उन्होंने देश के साथ-साथ हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी को भी पूरे विश्व में नई ऊंचाईयों तक पहुंचाया। उन्होंने अपने पूरे राजनैतिक काल में हिंदी भाषा में भाषण दिया और हिंदी को बढ़ावा दिया।

अटल जी ने पीएम बनने से पहले संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा की बैठक में हिंदी में भाषण देकर हिंदी को पूरे विश्व में एक अलग पहचान दिलाई थी। उन्हें हिंदी भाषा से काफी लगाव था, एक भारतीय होने की पहचान और हिंदी के प्रति लगाव की वजह से उन्होंने बतौर विदेश मंत्री संयुक्त राष्ट्रसंघ में अपना पहला भाषण हिंदी में दिया थी। उनके इस भाषण ने सभी के दिलों में एक अलग प्रभाव छोड़ा, जो भारत के लिए काफी गौरवशाली था। 

चंद्रशेखर सिंह 

भारत के 8वें प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह का बतौर प्रधानमंत्री कार्यकाल भले ही छोटा रहा हो, लेकिन उन्होंने अपने इस छोटे से कार्यकाल में देश में असरदार राजनीति दिखाई। चंद्रशेखर जी एक प्रभावशाली राजनेता के साथ-साथ एक राष्ट्रवादी नेता भी थे। उत्तर प्रदेश में जन्मे चंद्रशेखर जी को हिंदी के साथ-साथ भोजपुरी भाषा से खूब लगाव था, वे अक्सर अपनी बातों को ठेठ भोजपुरी भाषा में बोला करते थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपना पहला भाषण दिल्ली के जंतर मंतर पर भोजपुरी भाषा में दिया था। वह हमेशा कहा करते थे कि जब तक हम अपनी बात को अपने तरीके से नहीं रखेंगे और अपनी भाषा का सम्मान नहीं करेंगे तब तक कोई भी इसका सम्मान नहीं करेगा। 

सुषमा स्वराज 

सुषमा स्वराज भारतीय राजनीति की उन प्रखर नेताओं में से है, जिनका भाषण लोगों के दिलों में उतर जाता था, सुषमा जी एक मुखर वक्ता थी। उनका हिंदी भाषा के लिए एक अलग ही प्रेम था। देशवासियों को जोड़ने से लेकर पाकिस्तान को बेनकाब करने तक उनके हिंदी में दिए भाषणों ने एक अलग प्रभाव छोड़ा। वैसे तो उन्हें हिन्दी, अंग्रेजी के अलावा कई भाषाएं आती थीं। लेकिन शुद्ध हिंदी में दिए उनके भाषणों ने करोड़ों लोगों के मन को छुआ। साल 2017 में विदेश मंत्री के तौर पर सुषमा जी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में आतंकवाद के खिलाफ हिंदी में भाषण देते हुए पाकिस्तान को लताड़ लगाई थी। 
 

Created On :   13 Sep 2022 3:00 PM GMT

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