बाघिन अवनी के शावकों को टी-2 से खतरा, घटना के बाद नहीं दिख रहे जंगल में
- 11 माह के दो शावक नजर नहीं आ रहे हैं।
- बाघिन की मौत के बाद से शावकों को देखा नहीं गया है।
- बाघिन टी-1 को मार गिराने के बाद उसके शावकों के लिए खतरा बढ़ गया है।
- बोराटी जंगल में इन दो शावकों को खोजना शुरू कर दिया है।
- शावकों को खोजने के लिए लंबी फौज लगाई गई है।
डिजिटल डेस्क, रालेगांव (यवतमाल)। नरभक्षी बाघिन टी-1 को मार गिराने के बाद अब उसके 2 शावकों को वन्य प्राणियों से खतरा बढ़ गया है, जिससे वन विभाग की टीम ने बोराटी जंगल में इन दो शावकों को खोजना शुरू कर दिया है। हमेशा बाघिन के साथ घूमनेवाले उसके 11 माह के 2 शावक शूट की घटना के बाद से दिखाई नहीं दिए। यहीं नहीं यहां पर एक बाघ भी होने की जानकारी सामने आयी है। जिसका नाम टी -2 बताया गया है। इन शावकों को इस बाघ से खतरा होने की आशंका जताई जा रही है। इसके चलते वनविभाग की टीम इन शावकों को खोजने में लगी हुई है।
वनविभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नरभक्षी बाघिन टी-1 को शुक्रवार की रात मार गिराने के बाद से ही उसके 11 माह के दो शावक नजर नहीं आ रहे हैं। इन शावकों को अन्य वन्य प्राणियों से खतरा होने की बात कही जा रही है। साथ ही जंगल में टी-2 बाघ होने की जानकारी भी मिली है, जिससे भविष्य में इन शावकों पर वह हमला कर सकता है। इस कारण वनविभाग के 8-8 कर्मियों की टीम ने बोराटी रालेगांव रास्ते पर तीनों पुलिया के पास खोज मुहिम शुरू की है। ये शावक उसकी मां की तलाश में किसी अन्य स्थान पर भी जा सकते हैं। साथ ही भूखे होने के कारण शिकार की तलाश में भटक सकते हैं। वनविभाग का ध्यान जहां बाघिन का शिकार किया गया उस बोराटी नाले के क्षेत्र में है। इन शावकों के पगमार्ग ढूंढे जा रहे हैं। उन्हें बेहोश कर पकडऩे का प्रयास किया जा रहा है।
तलाश में जुटी फौज
शावकों को खोजने के लिए लंबी फौज लगाई गई है, जिसमें 10 टीमों का समावेश है। संभावित क्षेत्र में 102 ट्रैप कैमरे, 52 पीआईपी की जांच की जा रही है। इसमें शावकों के छायाचित्र और पगमार्ग नहीं मिल पाए हैं। इसके बाद गश्त दल इस जंगल क्षेत्र में पैदल गश्त लगाकर शावकों को खोज रहा है। ट्रैकिंग टीम द्वारा भी शावकों की तलाश जारी है। शावकों के लिए पर्याप्त भोजन की व्यवस्था उस क्षेत्र में उपलब्ध कराई गई है। फिलहाल शावकों का कोई लोकेशन नहीं मिल पाया है।
दया याचिका पहुंचने के पहले ही शिकार
यवतमाल परिसर में कुछ माह से दहशत मचानेवाली टी-1 बाघिन अवनी को जीवनदान देने के लिए राष्ट्रपति के पास याचिका के माध्यम से दया की गुहार लगाई गई थी, लेकिन इसी बीच ‘अवनी’ का अंत हो गया। इससे वन्यजीव प्रेमी नाराज हैं।
एनटीसीए ने देर कर दी
भारतीय जीव-जंतु कल्याण बोर्ड के मानद पशु कल्याण अधिकारी करिश्मा गलानी ने बाघिन को बेहोश कर पकड़ने के लिए विदेशी रेस्क्यू टीम बुलाने को लेकर दया याचिका लगाई थी। राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) को इस संदर्भ में आवश्यक जानकारी देने के निर्देश दिए गए, मगर एनटीसीए ने देर कर दी। शूटर ने बाघिन अवनी को मौत के घाट भी उतार दिया।
क्या, क्या हुआ
गत दो दिन पहले शूटर के हाथों मारी गई बाघिन ‘अवनी’ को मारने के निर्देश वन विभाग ने दिए थे। निजी शूटर शहफत अली खान को बुलाया गया था पर वन अधिकारियों के साथ उनका तालमेल नहीं बैठ रहा था। दूसरी ओर वन्यजीव प्रेमियों की ओर से विरोध जारी थी। कई संस्थाएं भी बाघिन को नहीं मारने पर जोर देने लगी। मामला केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी तक पहुंचा। इसके बाद वन विभाग ने बाघिन को जीवनदान देते हुए शिकारी को वापस भेजने का निर्णय लिया। अब बाघिन को पकड़ने के निर्देश दिए गए। इस बार भी जब बाघिन नहीं मिली तो फिर से शूटर को बुलाया गया। शूटर के आने की खबर मिलते ही राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी गई। उसमें विकल्प के रूप में बाघिन को पकड़ने के लिए विदेश से रेस्क्यू टीम बुलाने की मांग की गई।
Created On :   6 Nov 2018 3:41 PM IST