राज्यसभा में पेश नहीं हो सका 3 तलाक बिल, कार्रवाई 2 जनवरी तक स्थगित
- एनडीए के पास 97 तो यूपीए के पास 115 सांसद
- बिल के विरोध में 12 विपक्षी दल हो गए हैं एकजुट
- भाजपा के लिए राज्यसभा में बिल पास कराना चुनौती
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राजनैतिक उठापटक के बीच मोदी सरकार सोमवार को राज्यसभा में तीन तलाक बिल पेश नहीं कर पाई। बिल पेश होने से पहले ही हंगामे के कारण राज्यसभा को 2 जनवरी तक स्थगित कर दिया गया। बता दें कि बिल के विरोध में 12 विपक्षी दल एकजुट हो हैं, इन दलों ने राज्यसभा चेयरमैन को खत लिखकर इसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की है। राज्यसभा में बहुमत न होने के कारण बिल पास कराना भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। सोमवार सुबह विपक्षी दलों ने सरकार को घेरने के लिए बैठक की थी तो वहीं बीजेपी चीफ अमित शाह, वित्त मंत्री जेटली और गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बीच भी बैठक हुई थी। बता दें कि अमित शाह और अरुण जेटली राज्यसभा सदस्य हैं।
बिल के विरोध में कांग्रेस, टीएमसी, आम आदमी पार्टी, एनसीपी, सीपीआई, सीपीएम और टीडीपी सहित 12 पार्टियों ने सभापति वेंकैया नायडू को खत लिखा था। सभी ने बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने के लिए कहा था। इस 12 सदस्यीय दल में मोदी सरकार की समर्थक मानी जा रही तमिलनाडु की एआईएडीएमके शामिल है। नियमों के मुताबिक तीन तलाक बिल पर राज्यसभा में चर्चा से पहले सभापति प्रस्ताव की जानकारी देंगे।
राज्यसभा में सरकार के सामने ये मुश्किल...
उच्च सदन के तौर पर जाने वाली राज्सभा में कुल 244 सदस्य हैं, जिनमें से 4 नामित हैं। एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के 97 सांसद हैं, इसमें 73 भाजपा, 6 जेडीयू, 5 निर्दलीय, 3 शिवसेना, 3 अकाली दल, 3 नामित सदस्य, 1 बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट, 1 सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट, 1 नागा पीपल्स फ्रंस और 1 आरपीआई सांसद शामिल हैं, जबकि संख्याबल के मामले में विपक्ष सरकार पर भारी है। यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गंठबंधन) के पास इस समय 115 सदस्य हैं, जिसमें 50 कांग्रेस, 13 टीएमसी, 13 सपा, 6 टीडीपी, 5 आरजेडी, 5 सीपीएम, 4 डीएमके, 4 बीएसपी, 4 एनसीपी, 3 आप, 2 सीपीआई, 1 जेडीएस, 1 केरल कांग्रेस (मनी), 1 आईएनएलडी, 1 आईयूएमएल, 1 निर्दलीय और 1 नामित सांसद शामिल हैं।
नए बिल में सरकार ने जो बदलाव किए गए है उसमें FIR तभी दर्ज की जाएगी जब पत्नी या कोई नजदीकी रिश्देदार इसकी शिकायत करें। विपक्ष की आपत्ति के बाद बिल में ये भी संशोधन किया गया है कि पति और पत्नी के बीच उचित टर्म मैजिस्ट्रेट समझौता कर सकते हैं। इसके अलावा ट्रिपल तलाक गैर जमानती अपराध तो बना रहेगा, लेकिन मजिस्ट्रेट चाहे तो इसमें जमानत दे सकता है। हालांकि इससे पहले पत्नी की सुनवाई करनी होगी।
दिसंबर 2017 में भी लोकसभा में ट्रिपल तलाक का बिल पास हो चुका था, लेकिन विपक्ष की आपत्तियों के बाद यह राज्यसभा में अटक गया था। विपक्ष चाहता था कि इस बिल में कुछ संशोधन हो। इसके बाद सरकार ने विपक्ष की बात मानते हुए कुछ संशोधन किए भी थे जिसमें जमानत के प्रावधान को भी शामिल किया गया था। बावजूद इसके राजयसभा में ये बिल पास नहीं हो सका था जिसके बाद सरकार को सितंबर में अध्यादेश लाना पड़ा था। अध्यादेश को बदलने के लिए 17 दिसंबर को लोकसभा में नया बिल लाया गया था। अध्यादेश में लाए गए संशोधनों को स्थायी कानून बनाने के लिए सरकार नए सिरे से इस बिल को लेकर आई है। प्रस्तावित कानून में ट्रिपल तलाक को दंडनीय अपराध माना गया है। इस कानून के बनने के बाद ट्रिपल तलाक देना अवैध और शून्य हो जाएगा। इतना ही नहीं तलाक देने वाले पति को तीन साल की जेल भी होगी।
इससे पहले तीन तलाक को गैर-कानूनी बनाने के लिए 27 दिसंबर (गुरुवार) को मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2018 गुरुवार को लोकसभा में पेश किया गया था, जो पास हो गया। बिल के पक्ष में 245 वोट पड़े थे, जबकि 11 वोट इसके खिलाफ डाले गए थे। कांग्रेस और AIADMK ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया था और सदन से वॉकआउट कर दिया था। कांग्रेस की मांग थी कि इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए।
Created On :   31 Dec 2018 11:29 AM IST