उप्र : प्रवासी मजदूरों को दोबारा रोजगार देने से पहले योगी की सहमति जरूरी
लखनऊ, 25 मई (आईएएनएस)। लॉकडाउन के हटाए जाने के बाद जो प्रवासी मजदूर अपने कार्यस्थल पर वापस लौटने की इच्छा रखते हैं, उनके लिए शायद अब यह आसान नहीं हो सकेगा।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि उनकी सरकार राज्य के श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कठोर शर्तें रखेंगी, जिन्हें अन्य राज्यों द्वारा काम पर रखा गया है।
रविवार को एक वेबिनार को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, अन्य राज्यों को भी उप्र से श्रमिकों को काम पर रखने से पहले उनकी सरकार से अनुमति लेनी होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा, यदि कोई राज्य श्रमिकों की मांग करता है, तो राज्य सरकार को सामाजिक सुरक्षा और बीमा की गारंटी देनी होगी। हमारी अनुमति के बिना वे हमारे लोगों को अपने यहां नहीं ले जा सकेंगे।
उन्होंने कहा कि राज्य में वापस आने वाले सभी प्रवासी श्रमिकों को पंजीकृत किया जा रहा है और प्रशासन द्वारा उनके कौशल की जांच की जा रही है। किसी भी राज्य या संस्था को यदि उन्हें काम पर रखना है, तो उनकी सामाजिक, कानूनी और मौद्रिक अधिकारों का ध्यान रखना होगा।
आपदा की इस घड़ी में उनके प्रशासन ने जिन चुनौतियों का सामना किया, उनके बारे में बात करते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा, जब मैं उत्तर प्रदेश की बात करता हूं, तो यह कहना स्वाभाविक है कि यह सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है। हमने लॉकडाउन के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया है। शुरूआत में, जब प्रवासी मजदूरों ने यहां आना शुरू किया, तब हमने 16,000 बसें तैनात कीं और 24 घंटों के भीतर उन्हें उनके गृह जिलों में वापस लाया गया और उनकी स्क्रीनिंग की भी समुचित व्यवस्था की गई।
योगी आदित्यनाथ ने प्रवासी मजदूरों की वापसी को लेकर विपक्ष के नेताओं पर टिप्पणी भी किया।
उन्होंने कहा, लॉकडाउन के दौरान, अभी जो गरीबों के लिए नारे लगा रहे हैं, अगर उन्होंने ईमानदारी से श्रमिकों की परवाह की होती, तो पलायन को रोका जा सकता था। ऐसा नहीं हुआ। कोई भी सुविधा नहीं दी गई। कई स्थानों पर बिजली के कनेक्शन काट दिए गए इसलिए लोगों को लौटना पड़ा।
इस बीच, कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि लोगों को रोजगार देने के लिए सरकार की अनुमति लेने की आवश्यकता एक कानूनी चुनौती का सामना कर सकती है क्योंकि संविधान श्रमिकों की आवाजाही, उनके निवास और रोजगार की स्वतंत्रता की बात करता है।
एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, अनुच्छेद 19 (1) (डी) आवाजाही की स्वतंत्रता के बारे में बताया गया है और 19 (1) (ई) में देश के किसी भी भाग में बसने की आजादी के बारे में बात की गई है, ऐसे में अनुमति लेने की आवश्यकता चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
Created On :   25 May 2020 1:01 PM IST