- ट्रैक्टर परेड में हिंसा के बाद किसान संगठनों ने टाला 1 फरवरी का संसद मार्च, 30 जनवरी को देश भर में भूख हड़ताल
- दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा पर कहा- किसान नेताओं ने भड़काऊ भाषण देकर उकसाया
- भारत में अपना कारोबार समेट रही TikTok, वर्कफोर्स में कटौती को लेकर भेजा मेल
- MHA ने COVID-19 प्रतिबंधों में ढील दी, ज्यादा क्षमता के साथ खुलेंगे सिनेमा हॉल
- राकेश टिकैत बोले- अगर कोई घटना घटी है तो उसके लिए पुलिस-प्रशासन जिम्मेदार
पुलवामा आतंकी हमला : RDX नहीं, इस विस्फोटक से किया गया था फिदायीन हमला

हाईलाइट
- जांच एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार यूरिया अमोनियम नाइट्रेट का उपयोग किया गया था।
- यूरिया अमोनियम नाइट्रेट सफेद रंग का काफी ठोस पदार्थ होता है।
- पिछले कुछ समय से घाटी में बड़ा है यूरिया अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पुलवामा में हुए फिदायीन हमले में एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है। मामले की जांच में जुटी केंद्रीय एजेंसियों की रिपोर्ट्स के अनुसार जवानों के काफिले को निशाना बनाने में RDX नहीं बल्कि यूरिया अमोनियम नाइट्रेट का उपयोग किया गया था। यूरिया अमोनियम नाइट्रेट का यूज कश्मीर में पत्थर की खदानों में किया जाता है। गौरतलब है कि आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने गुरुवार को CRPF के काफिले को निशाना बनाया था। इस फिदायीन हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे।
हैरत में हैं जांच एजेंसियां
इतने बड़े आतंकी हमले में यूरिया अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया जाना सुरक्षा के लिहाज से काफी गंभीर माना जा रहा है। मामले की जांच के शुरुआती दौर में कहा जा रहा था कि इस भयानक हमले में आतंकियों ने RDX का इस्तेमाल किया था। जांच एजेंसियों का मानना है कि कश्मीर मे यूरिया अमोनियम नाइट्रेट का उपयोग काफी गंभीर विषय है। क्योंकि यह आसानी से उपलब्ध होने वाली विस्फोटक सामग्री है। इस पदार्थ को आतंकी आदिल अहमद डार ने एक से ज्यादा जगहों से इकट्ठा किया था।
क्या है यूरिया अमोनियम नाइट्रेट
यूरिया अमोनियम नाइट्रेट का उपयोग कश्मीर में पत्थर की खदानों में किया जाता है। इसके आकार प्रकार की बात करें तो यूरिया अमोनियम नाइट्रेट सफेद रंग का काफी ठोस पदार्थ होता है। इसका उपयोग कृषी संबंधित कामों में भी होता है। इस पदार्थ से खाद भी बनाया जाता है।
पूरे भारत में उठ रही है बदला लेने की मांग
40 जवानों की शहादत के बाद पूरा भारत आक्रोशित है। देश के कोने कोने से सबक सिखाने और बदला लेने की मांग उठ रही है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना को अपनी तरह से एक्शन देने की खुली छूट दे दी है। मोदी ने कहा कि आतंकियों को अपनी इस हरकत की बहुत बड़ी कीमत चुकानी होगी।
कमेंट करें
ये भी पढ़े
Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
जानिए भास्कर प्रॉपर्टी के बारे में:
भास्कर प्रॉपर्टी ऑनलाइन रियल एस्टेट स्पेस में तेजी से आगे बढ़ने वाली कंपनी हैं, जो आपके सपनों के घर की तलाश को आसान बनाती है। एक बेहतर अनुभव देने और आपको फर्जी लिस्टिंग और अंतहीन साइट विजिट से मुक्त कराने के मकसद से ही इस प्लेटफॉर्म को डेवलप किया गया है। हमारी बेहतरीन टीम की रिसर्च और मेहनत से हमने कई सारे प्रॉपर्टी से जुड़े रिकॉर्ड को इकट्ठा किया है। आपकी सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाए गए इस प्लेटफॉर्म से आपके समय की भी बचत होगी। यहां आपको सभी रेंज की प्रॉपर्टी लिस्टिंग मिलेगी, खास तौर पर जबलपुर की प्रॉपर्टीज से जुड़ी लिस्टिंग्स। ऐसे में अगर आप जबलपुर में प्रॉपर्टी खरीदने का प्लान बना रहे हैं और सही और सटीक जानकारी चाहते हैं तो भास्कर प्रॉपर्टी की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।