India-Nepal Dispute: बॉर्डर विवाद को सुलझाने के लिए नेपाल चाहता है विदेश सचिवों की मीटिंग

India-Nepal Dispute: बॉर्डर विवाद को सुलझाने के लिए नेपाल चाहता है विदेश सचिवों की मीटिंग
India-Nepal Dispute: बॉर्डर विवाद को सुलझाने के लिए नेपाल चाहता है विदेश सचिवों की मीटिंग
India-Nepal Dispute: बॉर्डर विवाद को सुलझाने के लिए नेपाल चाहता है विदेश सचिवों की मीटिंग

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के साथ सीमा विवाद को सुलझाने कि लिए नेपाल चाहता है कि दोनों देश के विदेश सचिव इसे लेकर मीटिंग करें। कोरोनावायरस के इस दौर में भले ही ये मीटिंग वर्चुअल ही क्यों न हो। एक डिप्लोमेटिक नोट के जरिए नेपाल ने भारत से ये बात कही है। इससे पहले 9 मई को भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता ने कहा था कि विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और शंकर दास बैरागी Covid-19 महामारी के बाद इस मुद्दे को सुलझाने के लिए इस पर चर्चा करेंगे। 

20 मई को जारी किया गया नया नक्शा
बता दें कि भारत के नेपाल के साथ रिलेशन जितने गहरे रहे हैं उतने दुनिया में किसी और देश के साथ नहीं। दोनों देशों के लोग न सिर्फ एक दूसरे के यहां बिना पासपोर्ट के ट्रैवल कर सकते हैं बल्कि रह भी सकते हैं और काम भी कर सकते हैं। लेकिन बीते कुछ समय से दोनों देशों के बीच जमीन के एक हिस्से को लेकर डिस्प्यूट चल रहा है जिसका असर दोनों देशों के रिलेशन पर भी पड़ा है। ये डिस्प्यूट और भी ज्यादा बढ़ गया जब 8 मई को भारत ने उत्तराखंड के लिपुलेख से कैलाश मानसरोवर के लिए सड़क का उद्घाटन किया। भारत के इस कदम से नेपाल नाराज हो गया और प्रधानमंत्री केपी ओली शर्मा ने 20 मई को उनके देश का एक नया नक्शा जारी कर दिया। इस नक्शे में भारत के कंट्रोल वाले कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया।

नेपाल मीटिंग के जरिए सुलझाना चाहता है विवाद
नक्शे को देश के संविधान में जोड़ने के लिए 27 मई को संसद में प्रस्ताव भी रखा जाना था। लेकिन नेपाल सरकार ने ऐन मौके पर संसद की कार्यसूची से इसे हटा दिया। हालांकि इसके बाद कानून मंत्री शिवा माया तुंबामफे ने 31 मई को विवादित नक्शे को लेकर संशोधन विधेयक नेपाली संसद में पेश किया। नेपाली संविधान में संशोधन करने के लिए संसद में दो तिहाई मतों का होना आवश्यक है। ऐसे में अब सीमा विवाद के समाधान के लिए नेपाल चाहता है कि दोनों देशों के विदेश सचिवों के बीच इसे लेकर बैठक हो। भारत और नेपाल के बीच जिस एरिया को लेकर डिस्प्यूट  है वो उत्तराखंड के ईस्ट में आता है और नेपाल के नॉर्थ में। ट्रायंगुलर सा दिखने वाला जमीन का ये टुकड़ा करीब 300 स्क्वायर किलोमीटर का है। इस इलाके के नॉर्थ में लिम्पियाधुरा, साउथ ईस्ट में लिपुलेख पास और साउथ वेस्ट में कालापानी है। नेपाल और भारत दोनों इसे अपना हिस्सा मानते हैं। 

लंबे समय से किए जा रहें बॉर्डर डिस्प्यूट को सुलझाने के प्रयास
जुलाई 2000 में नेपाल के प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला और भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने नई दिल्ली में इस बॉर्डर डिस्प्यूट को सुलझाने को लेकर बातचीत की। लेकिन जब भारत ने उस इलाके से अपनी आर्मी को हटाने से इनकार कर दिया तो ये बात आगे नहीं बढ़ पाई। वहीं साल 2015 में भारत और चीन ने एक ट्रेड एग्रीमेंट साइन किया था। इस एग्रीमेंट में दोनों देशों ने तय किया था कि वह लिपुलेख पास को ट्रेड रूट की तरह इस्तेमाल करेंगे। नेपाल के प्रधानमंत्री ने उस वक्त इसे लेकर नाराजगी जताई थी। नवंबर 2019 में मोदी सरकार ने कालापानी को भारत के नक्शे में शामिल किया। नेपाल की केपी ओली सरकार ने इस पर विरोध जताते हुए भारत को वहां से अपनी आर्मी हटाने के लिए कहा। इसके बाद भारत ने कैलाश मानसरोवर जाने के लिए 8 मई 2020 को लिपुलेख-धाराचूला मार्ग का उद्घाटन किया। नेपाल ने इसे एकतरफा फैसला बताते हुए आपत्ति जताई।

Lipulekh Pass: Under pressure, Nepal government questions India's ...

Created On :   7 Jun 2020 5:47 AM GMT

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