जब अटल जी ने याद किया था कॉमरेड मित्र को कहा था, आज तुम्हारे साथ चाय पीने का मन कर रहा है

When Atal ji had remembered and told comrade friend, today I feel like having tea with you.
जब अटल जी ने याद किया था कॉमरेड मित्र को कहा था, आज तुम्हारे साथ चाय पीने का मन कर रहा है
एक सफल राजनेता की अनसुनी कहानी जब अटल जी ने याद किया था कॉमरेड मित्र को कहा था, आज तुम्हारे साथ चाय पीने का मन कर रहा है
हाईलाइट
  • अटल बिहारी वाजपेयी कुशल राजनेता के साथ रणनीतिकार थे
  • अपनी कूटनीति से अटल ने अमेरिका को दिया था चकमा
  • संसद में सेना को इराक भेजने के फैसले पर हुआ था हंगामा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत पर पोखरण परीक्षण के बाद अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रतिबंध लगे थे, लेकिन अमेरिका ने एक खास मकसद के तहत वापस ले लिया था। इस मकसद का खुलासा अमेरिका द्वारा इराक पर किए गए हमलों के बाद हुआ था। गौरतलब है कि अमेरिका ने आर्थिक प्रतिबंध हटाकर भारत पर अपना दबाव बनाना शुरू कर दिया कि अपनी सेना को इराक के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए भेजे।

अमेरिका के इस दबाव ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को असमंजस में डाल दिया। जहां भारत अमेरिका को नाराज नहीं करना चाहता था, वहीं इराक के साथ अपनी दोस्ती भी कायम रखना चाहता था। अटल जी इन विषम परिस्तिथियों में अपने कॉमरेड मित्र को याद किया था। बता दें कि उनके कॉमरेड मित्र कोई और नहीं बल्कि सीपीआई(एम) के नेता हरकिशन सिंह सुरजीत थे। 

अटल जी ने फोन कर कहा, कॉमरेड कैसे हो?

आपको बता दें कि राजनीति में अटल जी बहुत ही सुलझे हुए खिलाड़ी थे। विपक्ष को मिलाकर हमेशा साथ चलते थे। संसदीय मर्यादाओं को हमेशा कायम रखने की वकालत करते थे। अटल जी इसीलिए अपने कॉमरेड मित्र को उस समय याद किए जब वह काफी असमंजस में थे। अटल जी, ने कॉमरेड मित्र हरकिशन सिंह सुरजीत को फोन किया और बोले, अरे कॉमरेड, कैसे हो, कहां हो आजकल, आज तुम्‍हारे साथ चाय पीने का मन कर रहा है। अटल जी की बात सुनकर हरकिशन सिंह सुरजीत को संदेह हुआ, उन्‍हें समझते देर नहीं लगी कि जरूर कोई न कोई बात हैं, यह पंडित (हरकिशन‍ सिंह सुरजीत अटल जी को पंडित कहकर पुकारते थे) बिना वजह चाय नहीं पिला सकता है। उन्‍होंने पूछा, पंडित क्‍या बात है बताओ, आज अचानक चाय पीने का मन कैसे हो गया। अटल जी बोले, ऐसी कोई बात नहीं है, जल्‍दी से घर आ जाओ, साथ में चाय पीते हैं। अटल जी की चाय का न्‍योता स्‍वीकार कर सुरजीत बोले कि मेरे साथ एवी वर्धन भी बैठे हुए हैं। अटल जी ने कहा, उन्‍हें भी साथ ले आओ।

अटल जी खुद अगवानी करने पहुंच थे

आपको बता दें कि अटल जी की बातचीत के बाद जैसे ही हरकिशन‍ सिंह सुरजीत और एवी वर्धन पहुंचे। उन दोनों नेताओं की अगवानी करने के लिए अटल जी खुद गेट पर पहुंचे, कार से उतरते ही दोनों नेताओं को अटल जी ने ऐसे गले लगाया जैसे कितने सालों बाद मिल रहे हो। अटल जी, दोनों को लेकर लॉन पर पहुंचे, जहां कुर्सियां पहले से उनका इंतजार कर रही थी। दोनों मित्रों को बैठाने के बाद अटल जी कुछ देर के लिए अंदर चले गए, अटल जी अंदर से वापस आते कि सुरजीत और वर्धन में कानाफूसी शुरू हो गई। सुरजीत बोले, मुझे कुछ ठीक नहीं रहा है, पता नहीं चाय के बहाने पंडित हमसे क्या कराना चाहता था।  

जब पूरी तरह से खामोशी छाई रही

बता दें कि दोनों कॉमरेड मित्रों को लॉन में बैठाने के बाद अटल जी जब अंदर से वापस आये और कुर्सी पर बैठने के बाद स्टाफ से चाय लाने का इशारा किया , जिसके बाद खामोशी सी छा गई। इस खामोशी के बीच चाय भी आ गई, अटल जी ने चाय खुद बनाया और एक-एक कप हरकिशन सिंह सुरजीत और एवी वर्धन की तरफ बढ़ा दिया था। दोनों ने चाय ले ली, लेकिन दोनों तरफ से खामोशी बरकरार रही।

हालांकि सुरजीत और वर्धन काफी ज्यादा अधीर हो गए और पूछा पंडित क्या बात है, कुछ बोल नहीं रहे हो। अटल जी ने सिर्फ इतना कहा, कुछ नहीं, चाय कैसे लगी. अब हरकिशन सिंह सुरजीत को पूरा विश्‍वास हो गया कि अटल जी, एक कप चाय के बदले उनसे कुछ बड़ा कराना चाहते हैं।

जब वर्धन बोलते जा रहे थे, अटल जी सुनते रहे

सुरजीत और वर्धन ने चाय की पहली चुश्की ही ली थी, तभी अटल जी बोले कि अमेरिका बहुत दबाव है, सेना को इराक भेजना ही होगा। अटल जी की बात सुनकर वर्धन विफर पड़े, उनका गुस्सा सातवें आसमान पर था। उन्होंने कहा कि पंडित जी, यह संभव नहीं है, अब वर्धन लगातार बोले जा रहे थे और अटल जी बेहद गंभीरता से उनकी बातों को सुनते जा रहे थे।

इसी दौरान वर्धन का गुस्सा इतना बढ़ गया कि उनके हाथ से चाय छिटक कर दूर जाकर गिरा और चाय नीचे फैल गई। अटल जी ने बेहद शांति से घंटी बजाई और दूसरी चाय लाने के लिए बोला, दूसरी चाय गई। वर्धन ने जैसे ही चाय के कप को ओठों से लगाया, तभी अटल जी फिर बोले, कॉमरेड, बहुत दबाव है, इस बार हर‍किशन सिंह सुरजीत का गुस्‍सा फूट पड़ा। 

एक चाय पिलवाकर हामी भरवा लोगे

बता दें कि अमेरिका के दबाव को लेकर जैसे ही अटल जी ने कहा, वैसे कॉमरेज मित्र हरिकिशन सिंह भड़क गए और कहा कि पंडित, तुम्‍हें क्‍या लगता है, एक चाय पिलाकर तुम किसी भी बात के लिए हामी भरवा लोगे। तुम अब दोस्‍ती का नाजायज फायदा उठा रहे हो। हरकिशन सिंह सुरजीत की बात सुनकर अटल जी मुस्‍कुराए और बोले, कॉमरेड, यहां मुझ पर चिल्‍लाने से कुछ नहीं होगा. सड़कों पर लेफ्ट की खामोशी अभी तक बरकरार है।

अटल जी की यह बात सुनकर हरकिशन सिंह सुरजीत को ऐसा झटका लगा, जैसे वह गहरी नींद से जागे हों। उन्‍हें कहा, पंडित तुम परेशान मत हो, आज से ही हमारा सड़कों पर प्रदर्शन शुरू हो जाएगा। अटल जी फिर बोले, कॉमरेड इतने से काम नहीं चलेगा। सोनिया जी और डॉक्‍टर साहब (डॉ.मनमोहन सिंह) से पूछो संसद बिना हल्‍ले के कैसे चल रही है।

अटल जी सफल रणनीतिकार थे

आपको बता दें कि अटल जी से बातचीत के दौरान ही हरकिशन सिंह सुरजीत ने तुरंत सोनिया गांधी और डॉ. मनमोहन सिंह से तुरंत बात की और अगले ही दिन से संसद में इराक में सेना भेजने को लेकर हंगामा शुरू हो गया। इस हंगामे के चलते ही संसद की कार्रवाई रोकना पड़ा। संसद और सड़क पर गतिरोध पैदा होने के बाद अटल जी ने अमेरिका को साफ संदेश भेज दिया कि देश की संसद और सड़क में सेना को इराक भेजने के फैसले पर हंगामा हो रहा है।

जिससे देश की आंतरिक स्तिथि इन दिनों ठीक नहीं है। जिसकी वजह से सेना को इराक भेजना संभव नहीं होगा। इस तरह अटल बिहारी वाजपेयी एक कुशल रणनीतिकार की तरह इस दुविधा से न केवल बाहर निकलने में कामयाब रहे, बल्कि सेना को इराक भेजने का फैसला भी टल गया। इसलिए आज भी अटल  जी की अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति याद की जाती है। 

 

Created On :   23 Dec 2021 7:27 PM GMT

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