हरियाणा में 50 सीटों पर क्यों हुई हार, हर विधानसभा क्षेत्र की समीक्षा करेगी भाजपा

Why Haryana lost 50 seats, BJP will review every assembly constituency
हरियाणा में 50 सीटों पर क्यों हुई हार, हर विधानसभा क्षेत्र की समीक्षा करेगी भाजपा
हरियाणा में 50 सीटों पर क्यों हुई हार, हर विधानसभा क्षेत्र की समीक्षा करेगी भाजपा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हरियाणा में कुल 90 में से 50 विधानसभा सीटों पर हुई हार की भाजपा क्षेत्रवार समीक्षा करेगी। राज्य में सात मंत्रियों की हार और भाजपा के पांच बागियों के निर्दलीय चुनाव जीतने से भी पार्टी हैरान है। पार्टी को लगता है कि कई सीटों पर टिकट वितरण में चूक हुई है, नहीं तो नतीजे 2014 की तरह होते। भाजपा की जांच के केंद्रबिंदु में इलेक्शन मैनेजमेंट भी है।

भाजपा के भरोसेमंद सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि हरियाणा में इलेक्शन मैनेजमेंट में भी कुछ चूक हुई। टिकट के दावेदार उम्मीदवारों के बारे में जानकारियां जुटाकर बनाई गई रिपोर्ट भी ठीक नहीं रही। इससे कई सीटों पर योग्य उम्मीदवारों को नजरअंदाज कर कमजोर प्रत्याशियों को टिकट मिला।

नेतृत्व को यह भी लगता है कि भाजपा न तो समय रहते दुष्यंत चौटाला के नेतृत्ववाली पार्टी जेजेपी की ताकत का अंदाजा लगा पाई और न ही आपसी सिर फुटव्वल से जूझती कांग्रेस के हुड्डा की कोशिशों से लड़ाई में वापस लौटने की उसे भनक लगी। इलेक्शन कैंपेनिंग के दौरान भाजपा अति आत्मविश्वास का शिकार रही जिससे पार्टी समय रहते अपनी रणनीतियों में बदलाव नहीं कर पाई और सीटों का नुकसान झेलना पड़ा।

टिकट वितरण को लेकर कई सीटों पर घमासान मचा। चुनाव के दौरान आदमपुर, रेवाड़ी सहित कई सीटों पर प्रत्याशियों को लेकर कार्यकर्ताओं में नाराजगी दिखी। रेवाड़ी में तो कार्यकर्ताओं ने दीनदयाल उपाध्याय की डायरी के कथन को होर्डिंग पर प्रकाशित कर अपनी नाराजगी का प्रदर्शन किया था।

भाजपा सूत्रों ने बताया कि अभी तक पार्टी सरकार बनाने में उलझी हुई थी। रविवार को सरकार बन जाने के बाद अब पार्टी का फोकस राज्य में 50 सीटों पर हार और पार्टी के बहुमत से चूकने के कारणों की समीक्षा पर होगा। इस मसले पर पार्टी पहले ही प्रदेश इकाई से रिपोर्ट तलब कर चुकी है। भाजपा शीर्ष नेतृत्व हर सीट पर हार के कारणों की जांच कराना चाहता है ताकि आगे के चुनावों में गलतियां न दोहराई जाएं।

दरअसल, भाजपा का मानना है कि 2014 की तुलना में 2019 का विधानसभा चुनाव आसान था। 2014 में हरियाणा का विधानसभा चुनाव बहुमत से जीतना कहीं ज्यादा मुश्किल था। वजह कि तब भाजपा को कांग्रेस से सत्ता छीननी पड़ी थी। मगर इस बार राज्य और केंद्र दोनों में पार्टी की सरकार रहते हुए चुनाव में भी बहुमत से चूक जाना चौंकाने वाला है। मनोहर लाल खट्टर सरकार के खिलाफ कोई एंटी इन्कमबेंसी लहर भी नहीं थी। इसके अलावा पांच महीने पहले ही भाजपा को राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी।

2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 47 सीटें जीतकर पहली बार बहुमत से राज्य में सरकार बनाई थी। तब पार्टी ने गैर जाट चेहरे और पहली बार विधायक बने मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री चुनकर सबको हैरान कर दिया था। इस बार चुनाव में बहुमत के आंकड़े 46 से भाजपा को छह सीटें कम यानी 40 सीटें मिलीं। जबकि भाजपा ने चुनाव के दौरान कुल 90 में 75 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया था। बहुमत से चूक जाने के बाद भाजपा को इस बार जेजेपी के साथ गठबंधन कर सरकार बनानी पड़ी है।

 

Created On :   28 Oct 2019 10:30 PM IST

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