मलेरिया पर बहुत जल्द आएगी स्वदेशी दवा, घटेगा मलेरिया से मौत का खतरा, पहले चरण में इस तरह हो रहा है दवा का परीक्षण

Will malaria be completely free from India? Indian scientists have taken their first step
मलेरिया पर बहुत जल्द आएगी स्वदेशी दवा, घटेगा मलेरिया से मौत का खतरा, पहले चरण में इस तरह हो रहा है दवा का परीक्षण
मलेरिया पर जीत मलेरिया पर बहुत जल्द आएगी स्वदेशी दवा, घटेगा मलेरिया से मौत का खतरा, पहले चरण में इस तरह हो रहा है दवा का परीक्षण
हाईलाइट
  • वैज्ञानिकों ने किया दावा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय वैज्ञानिक मलेरिया को पूरी तरह से देश से मुक्त करने के लिए एक नया शोध कर रहे हैं। ताकि आम जनता को मलेरिया से होने वाली पीड़ा से निजात मिल सके। मलेरिया की वजह से भारत में हर साल हजारों लोगों की जाने जाती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत के वैज्ञानिक स्वदेशी उपचार ढूढ़ने में लगे हुए हैं। आपको जानकर खुशी होगी कि हमारे शोधकर्ताओं ने मलेरिया पर विजय हासिल करने के लिए एक दवा की खोज कर ली है। जिसका ट्रायल पहले फेज में है। अगर ये ट्रायल सफल हुआ तो भारत मलेरिया मुक्त हो सकता है।

वैज्ञानिकों ने किया दावा

इस दवाई का परीक्षण जानवरों पर किया जा रहा है। मलेरिया की इस दवाई पर भुवनेश्वर में मौजूद इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने एंटी-फंगल ड्रग का जानवरों पर सफल तरीके से ट्रायल कर लिया है। जो मलेरिया से मौतों को कम करने में काफी किफायती होगा। यह पूरी प्रकिया आईएलएस के डॉक्टर विश्वनाथन अरूण की देख रेख में की जा रही है। संस्था से जुड़े अन्य वैज्ञानिकों ने बताया कि यह सफल होता है तो एंटी फंगल ड्रग को आर्टमिसनिन-बेस्ड कॉम्बिनेशन थेरेपी के जरिए मरीजों को दिया जाएगा। इनकी वजह से मलेरिया से ग्रसित लोगों की मौत की आशंका कम होगी।

क्या है एंटी-फंगल ड्रग?

वैज्ञानिकों का माना है कि एंटी-फंगल ड्रग का जानवरों पर सफलतापूर्वक ट्रायल हो जाता है तो इसके सुखद परिणाम आने की संभावना है। वैज्ञानिकों ने कहा कि यह ड्रग जानवरों को दिए जाने पर उनके ब्लड सेल्स में जाकर घुल जाता है। जिसके बाद बड़ी मात्रा में हेमोगोलोबिन रिलीज होता है। यह एक तरह का प्रोटीन है जो ब्लड में घुलने में मदद करता है। वैज्ञानिकों ने बताया कि हिमोग्लोबिन डिग्रेडेशन के दौरान "एचईएमई" नाम का एक ऑर्गेनिक मॉलिक्यूल रिलीज होता है। दरअसल, एचईएमई अधिक मात्रा में बनने की वजह से हेमोजॉइन में बदल जाता है। जो मलेरिया से संक्रमित मरीजों में पाया जाता है, जिसकी वजह से व्यक्ति की मौत तक होने की संभावना रहती है।

बीते साल लाखों लोगों की हुई है मौत

साल 2022 में मलेरिया की वजह से दुनियाभर में 24 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हुए। बीते साल इस संक्रमण की वजह से 6.27 लाख से ज्यादा लोगों की मौतें हुई। डॉक्टर्स की रिसर्च में पाया गया है कि मलेरिया सबसे ज्यादा प्रेगेनेंट महिलाओं और 5 साल से कम उम्र के बच्चों पर अटैक करता है। इसी बात का ख्याल रखते हुए भारतीय वैज्ञानिकों ने मलेरिया के उपचार के लिए परीक्षण करना शुरू कर दिया है। अगर यह सफल हो जाता है तो भारत समेत दुनिया के लिए बड़ी ही राहत की खबर होगी।  


 

Created On :   23 Feb 2023 12:25 PM GMT

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