चिंताजनक: देश के 85 प्रतिशत बालगृहों के हालात की हर माह नहीं होती पड़ताल, 2764 में बच्चों के साथ दुर्व्यवहार रोकने के पर्याप्त उपाय तक नहीं

Worrying: The situation in 85 percent of the childrens homes is not investigated every month
चिंताजनक: देश के 85 प्रतिशत बालगृहों के हालात की हर माह नहीं होती पड़ताल, 2764 में बच्चों के साथ दुर्व्यवहार रोकने के पर्याप्त उपाय तक नहीं
चिंताजनक: देश के 85 प्रतिशत बालगृहों के हालात की हर माह नहीं होती पड़ताल, 2764 में बच्चों के साथ दुर्व्यवहार रोकने के पर्याप्त उपाय तक नहीं
हाईलाइट
  • 1504 बाल गृहों में शौचालय का अभाव
  • 2039 बाल गृहों का पंजीकरण ही नहीं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के 2764 बाल गृह संस्थानों में बच्चों को शारीरिक और मानसिक दुर्व्यवहार से बचाने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं हैं, जिससे बच्चों को गहरे आघात की समस्या से गुजरना पड़ता है। यह संख्या देश के कुल बाल गृहों की करीब 40 फीसदी है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की सोशल ऑडिट रिपोर्ट ने देश भर के चाइल्ड होम्स में सुविधाओं की पड़ताल की तो चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई। बेड, बॉथरूम, टॉयलेट आदि सुविधाओं की कमी सामने आई है। देश में कुल 7163 चाइल्ड होम हैं, जिसमें से 6299 होम्स का प्रबंधन एनजीओ के हाथ में है।

प्रियंक कानूनगो की अध्यक्षता वाले NCPCR की सोशल ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक जेजे एक्ट के हिसाब से 90 प्रतिशत चाइल्ड केयर होम्स में मैनेजमेंट कमेटी तो बन गई है, लेकिन बच्चों की देखभाल को लेकर होने वाली प्रत्येक महीने वाली मीटिंग सिर्फ 15 प्रतिशत चाइल्ड होम में ही होती हैं। बाकी 85 प्रतिशत बाल गृहों में रहने वाले बच्चों के हालात की हर महीने समीक्षा ही नहीं होती। रिपोर्ट से पता चला है कि 45 प्रतिशत बालगृहों के पास ही डॉक्टर्स उपलब्ध हैं। 23 परसेंट चाइल्ड होम्स के बच्चों को बाहर से खाना खाना पड़ता है। 30 प्रतिशत बालगृहों में चाइल्ड ट्रेनिंग नहीं हो पा रही है। 16 परसेंट चाइल्ड होम्स में फस्र्ट एड ट्रेनिंग नहीं हो रही।

मूलभूत सुविधाएं भी नहीं
चौंकाने वाली बात है कि देश के 12 प्रतिशत बालगृहों में बाथरूम तक नहीं है, जबकि 18 परसेंट में टायलेट तक नहीं है। जेजे एक्ट के लागू होने के चार सालों के बाद भी अभी तक प्रतिशत चाइल्ड होम्स में टॉयलेट के एंट्री और एक्जिट प्वाइंट पर कैमरा नहीं लगा है। 10 प्रतिशत बालगृहों में बेसिक मेडिकल उपरकरण भी नहीं है। जबकि कानूनन चाइल्ड होम्स चलाने के लिए ये अनिवार्य है। 14 परसेंट चाइल्ड होम्स में तो बाथरूम भी नियमों के हिसाब से नहीं है। चार फीसदी में तो पीने का साफ पानी तक भी नहीं है। लगभग 15 प्रतिशत बालगृहों में तो बच्चों के लिए अकेले बेड भी नहीं है।

1504 बाल गृहों में शौचालय का अभाव
रिपोर्ट के मुताबिक, 1504 बाल गृहों में शौचालय की सुविधा का अभाव है, वहीं 434 में शौचालय और स्नानगृह में निजता का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। NCPCR के एक अधिकारी ने कहा कि ऐसे उपायों का अभाव वहां रहने वाले बच्चों के शारीरिक और भावनात्मक दुर्व्यवहार का कारण बन सकता है।

2039 बाल गृहों का पंजीकरण ही नहीं
रिपोर्ट के अनुसार 373 बाल गृह ऐसे हैं जहां किसी व्यक्ति के लिए प्रावधान, सफाई, मौसम और आयु के अनुरूप कपड़ों आदि का अभाव है। वहीं, 1069 बाल गृहों में बच्चों के लिए अलग से पलंग की व्यवस्था भी नहीं है। इसके अलावा रिपोर्ट बताती है कि 2039 यानी 28.5 फीसदी बाल गृह अभी तक पंजीकृत भी नहीं हैं।

Created On :   16 Nov 2020 5:12 PM GMT

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