रामलला प्राण प्रतिष्ठा: अयोध्या में रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा आयोजन की शुरूआत आज, मंदिर ट्रस्ट ने शेयर किया कार्यक्रम का पूरा विवरण

अयोध्या में रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा आयोजन की शुरूआत आज, मंदिर ट्रस्ट ने शेयर किया कार्यक्रम का पूरा विवरण
  • अयोध्या में रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा आयोजन आज से शुरू
  • मंदिर ट्रस्ट ने शेयर किया कार्यक्रम का पूरा विवरण
  • जानिए रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम का पूरा शेड्यूल

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अयोध्या के नव-निर्मित राम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला के मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा होने जा रही है। इस भव्य कार्यक्रम से संबंधित आयोजनों की शुरूआत मंगलवार से हुई जो पूरे सात दिनों तक चलेगी। इस सात दिवसीय प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में प्रायश्चित और कर्मकूटि पूजन सबसे पहला आयोजन है। प्रायश्चित पूजन के जरिए मंदिर या मूर्ति निर्माण में होने वाली गलतियों के लिए क्षमा याचना की जाती है। कर्मकूटि पूजन में आमतौर पर यज्ञशाला का पूजन होता है। इसके बाद अगले दिन मूर्ति का परिसर में प्रवेश होगा। 22 जनवरी से पहले होने वाले सभी आयोजनों से संबंधित जानकारी मंदिर ट्रस्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए शेयर की है।

प्राण प्रतिष्ठा और संबंधित आयोजनों का विवरण -

आयोजन तिथि और स्थल

भगवान श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा योग का शुभ मुहूर्त, पौष शुक्ल कूर्म द्वादशी, विक्रम संवत 2080, यानी सोमवार, 22 जनवरी, 2024 को आ रहा है।

शास्त्रीय पद्धति और समारोह-पूर्व परंपराएं

सभी शास्त्रीय परंपराओं का पालन करते हुए, प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अभिजीत मुहूर्त में संपन्न किया जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा से पहले शुभ संस्कारों की शुरूआत मंगलवार 16 जनवरी 2024 से हुई, जो 21 जनवरी, 2024 तक चलेगा।

द्वादश अधिवास निम्नानुसार आयोजित होंगे

16 जनवरी - प्रायश्चित्त और कर्मकूटि पूजन

17 जनवरी - मूर्ति का परिसर प्रवेश

18 जनवरी (शाम) - तीर्थ पूजन, जल यात्रा, जलाधिवास और गंधाधिवास

19 जनवरी (सुबह) - औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास

19 जनवरी (शाम) - धान्याधिवास

20 जनवरी (सुबह) - शर्कराधिवास, फलाधिवास

20 जनवरी (शाम) - पुष्पाधिवास

21 जनवरी (सुबह) - मध्याधिवास

21 जनवरी (शाम) - शय्याधिवास

अधिवास प्रक्रिया एवं आचार्य

आमतौर पर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में सात अधिवास होते हैं और न्यूनतम तीन अधिवास अभ्यास में होते हैं। समारोह के अनुष्ठान की सभी प्रक्रियाओं का समन्वय, समर्थन और मार्गदर्शन करने वाले 121 आचार्य होंगे। श्री गणेशवर शास्त्री द्रविड़ सभी प्रक्रियाओं की निगरानी, समन्वय और दिशा-निर्देशन करेंगे, तथा काशी के श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित मुख्य आचार्य होंगे।

विशिष्ट अतिथिगण

प्राण प्रतिष्ठा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत , उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में होगी।

विविध प्रतिष्ठान

भारतीय आध्यात्मिकता, धर्म, संप्रदाय, पूजा पद्धति, परंपरा के सभी विद्यालयों के आचार्य, 150 से अधिक परंपराओं के संत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, नागा सहित 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, तातवासी, द्वीपवासी आदिवासी परंपराओं के प्रमुख व्यक्तियों की कार्यक्रम में उपस्थिति रहेगी, जो श्री राम मंदिर परिसर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के दर्शन हेतु पधारेंगे।

ऐतिहासिक आदिवासी प्रतिभाग

भारत के इतिहास में पहली बार पहाड़ों, वनों, तटीय क्षेत्रों, द्वीपों आदि के वासी एकसाथ किसी जगह पर ऐसे किसी समारोह में इकठ्ठा होने जा रहे हैं। यह अपने आप में अद्भुत होगा।

समाहित परंपराएं

शैव, वैष्णव, शाक्त, गाणपत्य, पात्य, सिख, बौद्ध, जैन, दशनाम शंकर, रामानंद, रामानुज, निम्बार्क, माध्व, विष्णु नामी, रामसनेही, घिसापंथ, गरीबदासी, गौड़ीय, कबीरपंथी, वाल्मीकि, शंकरदेव (असम), माधव देव, इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन, चिन्मय मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, गायत्री परिवार, अनुकूल चंद्र ठाकुर परंपरा, ओडिशा के महिमा समाज, अकाली, निरंकारी, नामधारी (पंजाब), राधास्वामी और स्वामीनारायण, वारकरी, वीर शैव इत्यादि कई सम्मानित परंपराएं इसमें भाग लेंगी।

दर्शन और उत्सव

गर्भ-गृह में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पूर्ण होने के बाद, सभी साक्षी महानुभावों को दर्शन कराया जाएगा। श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए हर जगह उत्साह का भाव है। इसे अयोध्या समेत पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाने का संकल्प किया गया है। इस भव्य समारोह से पहले अलग-अलग राज्यों के लोग लगातार जल, मिट्टी, सोना, चांदी, मणियां, कपड़े, आभूषण, विशाल घंटे, ढोल, सुगंध आदि लेकर पहुंच रहे हैं। उनमें से सबसे उल्लेखनीय मां जानकी के मायके से भेजे गए भार (एक बेटी के घर स्थापना के समय भेजे जाने वाले उपहार) जो जनकपुर (नेपाल) और सीतामढ़ी (बिहार) के ननिहाल से अयोध्या लाए गए। रायपुर, दंडकारण्य क्षेत्र स्थित प्रभु के ननिहाल से भी विभिन्न प्रकार के आभूषणों आदि के उपहार भेजे गए हैं।

Created On :   16 Jan 2024 11:51 AM GMT

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