Shubhanshu Shukla Life: शुभांशु शुक्ला बने दूसरे भारतीय एस्ट्रोनॉट, जानें यूपी से कैसे तय किया मिल्की वे तक का सफर

शुभांशु शुक्ला बने दूसरे भारतीय एस्ट्रोनॉट, जानें यूपी से कैसे तय किया मिल्की वे तक का सफर
  • शुभांशु शुक्ला बने भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री
  • अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन की यात्रा करेंगे शुभांशु शुक्ला
  • भारतीय एयरफोर्स में रह चुके हैं पायलट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के लिए आज एक और गर्व और खुशी का दिन है। आज (25 जून) को एक्सिओम-4 आज पूरा होने जा रहा है। इसका हिस्सा भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला भी हैं। एक्सिओम-4 मिशन का क्रू अतंर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के लिए रवाना हुआ है। जानकारी के मुताबिक, शुभांशु शुक्ला उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। वे भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन भी हैं, जो अतंर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन की यात्रा पर गए हैं। बता दें, अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में कदम रखने वाले पहले भारतीय हैं। तो चलिए इनके पूरे सफरनामे के बारे में जानते हैं, कि कैसे यूपी में जन्मे एक बच्चे ने आज इतिहास रच दिया है।

शुभांशु शुक्ला की जर्नी

जीवन और शिक्षा

शुभांशु शुक्ला का जन्म अक्टूबर 1985 में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआत की पढ़ाई मांटेसरी स्कूल से पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन किया था। एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान से प्राप्त की थी।

भारतीय एयर फोर्स पायलट

शुभांशु शुक्ला ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद जून 2006 में भारतीय वायु सेना में कमीशंड हुए थे। 2006 में शुरुआत की थी और 2024 तक ग्रुप कैप्टन के पद तक पहुंच गए थे। उनके पास 2 हजार से भी ज्यादा घंटों की उड़ान का एक्सपीरियं, है। साथ ही उन्होंने कई विमान उड़ाए हैं, जिसमें Su-30 MKI, MIG-21 और जगुआर जैसे विमान शामिल हैं।

पहला अंतरिक्ष मिशन

शुभांशु शुक्ला को एक्सिओम-4 के लिए चुना गया है। एक्सिओम नासा और स्पेस एक्स के सहयोग से ऑपरेट किया जा रहा है। इस मिशन में चार एस्ट्रोनॉट्स हैं जो आईएसएस पर 14 दिन की रिसर्च करके वापस आएंगे। शुभांशु शुक्ला पहले भारतीय होंगे जो आईएसएस पर अपने कदम रखेंगे।

परिवार

शुभांशु शुक्ला की पत्नी डॉ. कामना शुक्ला एक डेंटिस्ट हैं और उनका एक बेटा भी है। उनके पिता शंभू दयाल शुक्ला हैं जो कि एक रिटायर्ड सरकारी अधिकारी हैं और उनकी माता आशा शुक्ला हाउस वाइफ हैं।

क्यों है ये मिशन जरूरी?

शुभांशु शुक्ला के लिए ये मिशन बहुत ही जरूरी है। क्योंकि वे गगनयान मिशन के चार मूल सदस्यों में शामिल हैं। साथ ही ये मिशन कई बार कैंसिल भी हो चुका है, इस वजह से ही शुभांशु शुक्ला को लंबा इंतजार करना पड़ा था।

Created On :   25 Jun 2025 4:32 PM IST

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