अहोई अष्टमी आज : इस मुहूर्त में पूजा से प्रसन्न होंगी माता, ये है विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शरद पूर्णिमा के बाद कार्तिक कृष्ण की अष्टमी अर्थात करवा चौथ के चार दिन बाद अहोई अष्टमी मनाई जाती है। जाे कि इस बार 12 अक्टूबर गुरूवार को अर्थात अाज मनायी जा रही है। यह त्योहार दिवाली से सिर्फ 7 दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन संतान की सुख-समृद्धि व लंबी आयु के लिए व्रत रखा जाता है।
लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत
इस दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। उत्तर भारत में और विशेष रूप से राजस्थान में महिलाएं वृहद स्तर पर इस व्रत को रखती हैं। इस दिन व्रती महिलाएं घर की दीवार पर अहोई का चित्र बनाती हैं। जिसमें सूर्य, चांद व सितारे से लेकर व्रत व संतान उन्नति की कामना से जुड़े हुए चिंह बने होते हैं।
अहोई माता होती हैं प्रसन्न
विधि-विधान और नियमों का पालन अहोई माता को प्रसन्न करता है। ऐसी भी मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान की कामना भी पूर्ण होती है। इसलिए निःसंतान महिलाएं भी इसे धारण करती हैं। इस व्रत में महिलाएं तारों और चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलती है।
अहोई व्रत का शुभ मुहूर्त
सुबह 6.14 से 7.28 बजे तक
शामर 6.39 बजे से शुरू
अहोई अष्टमी व्रत की पूजा विधि
- सुबह उठकर पवित्र नदी, पोखर में स्नान कर इष्ट की पूजा करें
- इसके बाद सूर्य को अर्घ्य देकर निर्जला व्रत धारण करें।
- सूरज ढलने के बाद अहोई माता की विधि-विधान से पूजा करें।
- जमीन पर चौक पूरकर पीले रंग से रंगे हुए कलश की स्थापना करें।
- इसके बाद कच्ची रसोई बनाकर उसे भोग के लिए एक बड़े थाल में सजाएं।
- कलश की पूजा अर्चना के बाद दीवार पर बनाई गई अहोई और स्याऊ माता की पूजा कर उन्हें दूध और भात का भोग लगाएं।
- फिर शाम के वक्त चंद्रमा को अर्घ्य देकर कच्चा भोजन करें और इस व्रत की कथा सुनें।
- पूजा के दौरान अहोई कैलेंडर और करवा लेकर भी शामिल करें।
- कथा सुनने के बाद अहोई की माला दिवाली तक पहननी चाहिए।



Created On :   10 Oct 2017 11:15 AM IST