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मंत्रिमंडल की मंजूरी : अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं को कौशल्य प्रशिक्षण, लातूर के किसानों की होगी नुकसान भरपाई
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश के मराठवाड़ा और विदर्भ अंचल में अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं के लिए स्वयं सहायता बचत समूह बनाकर उनको कौशल्य विकास का प्रशिक्षण दिया जाएगा। मंगलवार को राज्य मंत्रिमंडल ने इस योजना को मंजूरी दी। औरंगाबाद, नागपुर और अमरावती विभाग के चिन्हित 14 जिलों में 2800 स्वयं सहायता समूह बनाए जाएंगे। योजना के लिए 6 करोड़ 23 लाख रुपए की निधि उपलब्ध कराई जाएगी। बीड़, उस्मानाबाद, लातूर, हिंगोली, जालना, अकोला, अमरावती, बुलढाणा, यवतमाल, चंद्रपुर, वर्धा, भंडारा, गोंदिया और गडचिरोली में 200-200 स्वयं सहायता समूह स्थापित किए जाएंगे। स्वयं सहायता समूह में मुस्लिम, जैन, बौद्ध, ईसाई, सिख पारसी और ज्यू अल्पसंख्यक समाज की गरीब और जरूरतमंद महिलाओं का समावेश किया जाएगा। इसमें गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाली महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। इस योजना के अंतर्गत नए स्थापित स्वयं सहायता समूहों के अलावा नांदेड़, कारंजा (वाशिम), परभणी, औरंगाबाद और नागपुर शहर में महिला आर्थिक विकास महामंडल के माध्यम से स्थापित व पहले से कार्यरत अल्पसंख्यक महिला स्वयं सहायता समूहों को भी कौशल्य विकास का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रमोद महाजन कौशल्य विकास व उद्यमिता विकास अभियान के तहत महाराष्ट्र राज्य कौशल्य विकास सोसायटी के माध्यम से कौशल्य की जरूरत के अनुसार प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण की अवधि कम से कम तीन महीने रहेगी। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण के साथ ही स्वंय रोजगार के लिए अगले छह महीने तक सहायता दी जाएगी। महिला आर्थिक विकास महामंडल के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों की स्थापना व मार्गदर्शन किया जाएगा। योजना को दो सालों में लागू किया जाएगा। प्रदेश सरकार की ओर से मराठवाड़ा, विदर्भ और उत्तर महाराष्ट्र के जल्द विकास के लिए विशेष कार्यक्रम-2018 घोषित किया गया है। इसके तहत अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं को आर्थिक सशक्तीकरण के लिए यह योजना लागू की जा रही है। अल्पसंख्यक महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को कौशल्य विकास प्रशिक्षण व रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएंगे।
सक्षम अधिकारी की पूर्व इजाजत के बिना हुए जमीन हस्तांतरणों को नियमित करने के लिए इमान-वतन जमीन से जुड़े कानून में सुधार को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। कानून में बदलाव के बाद इनाम-वतन जमीनों को बाजार मूल्य का 25 फीसदी रकम लेकर साथ ही नियमित समायोजन शुल्क व विकास शुल्क वसूल कर नियमित करने की इजाजत दी जाएगी। मंत्रिमंडल ने इसके लिए पांच कानूनों में बदलाव की इजाजत दी है। मंगलवार को मंत्रिमंडल की बैठक में कानून में बदलाव कर सक्षम अधिकारियों की इजाजत के बिना की गई जमीन हस्तांतरण को मंजूरी दी जाएगी। फिलहाल इनाम जमीनों को खेती के अलावा दूसरे कामों के लिए हस्तांतरित करने पर बाजार मूल्य का 50 फीसदी रकम बतौर नजराना और 50 फीसदी रकम दंड के रूप में भरनी पड़ती है। यानी लोगों को कुल 75 फीसदी रकम सरकार को चुकानी पड़ती है। गुंठावार तरीके से जमीन बेंचने वालों को इससे परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। अब मौजूदा कानून के चलते लोगों पर पड़ने वाले बोझ को कम करने के लिए मंत्रिमंडल ने सिर्फ 25 फीसदी रकम वसूल कर बिना इजाजत हस्तांतरित जमीनों को नियमित करने का फैसला किया है। इससे पहले 23 नवंबर 2012 और 18 फरवरी 2014 को एक-एक साल के लिए यह योजना लागू की गई थी लेकिन फिर भी कई जमीनों को नियमित नहीं किया जा सका था इसलिए मंत्रिमंडल ने कानून में सुधार का फैसला किया।
लातूर के रेणापुर तहसील में जुलाई से अक्टूबर 2016 के बीच अतिवृष्टि और बाढ़ की स्थिति के कारण खेती की जमीन को हुए नुकसान के लिए किसानों को 13 लाख 31 हजार 250 रुपए की मदद मंजूर की गई है। मंगलवार को राज्य सरकार के राजस्व विभाग ने इस संबंध में शासनादेश जारी किया। इसके अनुसार रेणापुर तहसील के 202 किसानों को 35.50 हेक्टेयर बाधित क्षेत्र के लिए प्रति हेक्टेयर 37 हजार 500 रुपए के हिसाब से मदद दी जाएगी। रेणापुर राजस्व मंडल के 54, पोहरेगांव राजस्व मंडल के 127, कारेपुर राजस्व मंडल के 20 और पानगांव राजस्व मंडल के 1 किसानों को मदद राशि मिलेगी। शासनादेश के अनुसार केवल अल्प व अत्यल्प भूमिधारक किसानों को यह मदद दी जाएगी। जिलाधिकारी के माध्यम से किसानों के बैंक खाते में सीधे मदद राशि जमा कराई जाएगी। जिन किसानों को पहले किसी सरकारी योजना का लाभ मिला है उनको यह आर्थिक सहायता नहीं मिलेगी।
इसके अलावा प्रदेश के सूखा प्रभावित क्षेत्र, आत्महत्याग्रस्त जिले और नक्सल प्रभावित जिलों में मुख्यमंत्री शाश्वत कृषि सिंचाई योजना चलाई जाएगी। मंगलवार को राज्य मंत्रिमंडल ने इस योजना को लागू करने के लिए मंजूरी दी। मुख्यमंत्री शाश्वत कृषि सिंचाई योजना प्रदेश के 251 तहसीलों लागू की जाएगी। मंत्रिमंडल के फैसले के अनुसार प्रदेश के सूखा प्रभावित 149 तहसीलों, अमरावती व औरंगाबाद राजस्व विभाग के सभी जिले और नागपुर राजस्व विभाग के वर्धा को मिलाकर किसान आत्महत्या ग्रस्त 14 जिलों और केंद्र सरकार द्वारा नक्सल ग्रस्त घोषित चंद्रपुर, गोंदिया और गडचिरोली की सभी तहसीलों में साल 2019-20 से यह योजवा लागू की जाएगी। इस साल योजना के लिए 450 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए जाएंगे। योजना के लिए लाभार्थियों का चयन करते समय आत्महत्याग्रस्त परिवार के किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके बाद गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले किसानों और विधवा-परित्यक्ता किसान महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। मुख्यमंत्री शाश्वत कृषि सिंचाई योजना के तहत किसानों को वैयक्तिक खेत तालाब के प्लॉस्टिक अस्तरिकरण के लिए प्रत्यक्ष खर्च का 50 प्रतिशत या फिर 75 हजार रुपए इनमें से जो राशि कम होगी वह अनुदान के रूप में दी जाएगी। केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत मिलने वाले अनुदान में प्रदेश सरकार की ओर से पूरक अनुदान दिया जाएगा। इसके अंतर्गत टपक सिंचाई (ड्रीप) और तुषार सिंचाई के लिए अल्प व अत्यल्प भूमि धारक किसानों को प्रोत्साहन मिल सकेगा। हरितगृह और शेडनेट हाऊस के लिए (एक हजार वर्ग मीटर क्षेत्र तक) प्रत्येक किसान को एक लाख रुपए की मदद मिल सकेगी। सरकार का कहना है कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए शाश्वत व संरक्षित सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। राज्य सरकार के अनुसार प्रदेश में 55 प्रतिशत आबादी की उपजीविका खेती पर निर्भर है। राज्य में फसल क्षेत्र के 225 लाख हेक्टेयर जमीन में से 80 प्रतिशत जमीन क्षेत्र सूखा है। बारिश की अनियमितता और क्षेत्र की फसलों की उत्पादकता में लगातार उतार चढ़ावा होता रहता है। इसके मद्देनजर स्थानीय संसाधनों के सही तरीके से नियोजन के लिए सूखा खेती अभियान चलाया जा रहा था। लेकिन सरकार ने इस अभियान से संबंधित 12 मार्च 2014 के शासनादेश को रद्द कर दिया है। इस अभियान की पुनर्रचना कर अधिक लाभकारी और केंद्र सरकार की योजना से सुसंगत मुख्यमंत्री शाश्वत कृषि सिंचाई योजना को लागू करने की मंजूरी दी गई है।
Created On :   9 July 2019 4:11 PM GMT