अनधिकृत निर्माण कार्य व पार्किंग व्यवस्था को लेकर हाईकोर्ट सख्त

High court strict about unauthorized construction work and parking system
अनधिकृत निर्माण कार्य व पार्किंग व्यवस्था को लेकर हाईकोर्ट सख्त
अनधिकृत निर्माण कार्य व पार्किंग व्यवस्था को लेकर हाईकोर्ट सख्त

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में अनधिकृत निर्माणकार्यों पर केंद्रित जनहित याचिका पर  बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ के न्या. सुनील शुक्रे और न्या. रोहित देव की बेंच के समक्ष सुनवाई हुई। अनधिकृत निर्माणकार्य, पार्किंग की जगह पर निर्माणकार्य और अन्य ऐसी ही कई समस्याओं पर मनपा और नागरिकों के रवैये पर कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की और कहा कि इस गंभीर समस्या पर "चलता है, जुगाड़ हो जाएगा’ जैसा रवैया नहीं चलेगा। अतिक्रमण करने वाले सोचते हैं कि उनकी नगरसेवक या विधायक से पहचान है, तो कुछ नहीं होगा। यहां तक कि शहर में तो कई लोग यह दावा करते फिरते हैं कि उनकी सीधे मुख्यमंत्री तक पहचान है। ऐसे में मनपा अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे अनधिकृत निर्माणकार्य गिरा कर पार्किंग व्यवस्था सुनिश्चित कराएं।

तीन महीने में सर्वे कर पता लगाएं
न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्यायमूर्ति रोहित देव की खंडपीठ ने मनपा को 3 महीने में शहर की इमारातों का सर्वे कर यह पता लगाने को कहा है कि यहां मंजूर प्रारूप के अनुसार पार्किंग प्रबंध है या नहीं। हाईकोर्ट ने मनपा को पहले 1 माह में स्कूल, अस्पताल, होटल, रेस्त्रां, सभागृह और अन्य भीड़भाड़ वाले प्रतिष्ठानों में पार्किंग व्यवस्था का सर्वे करने को कहा है। बाद के 2 महीने में बची हुई इमारतों का सर्वे करने के आदेश हाईकोर्ट ने जारी किए हैं। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के ध्यान में आया कि मनपा के रिकॉर्ड पर कुछ ऐसे भी मामले हैं, जिसमें मनपा ने वर्ष 2013 में अनधिकृत निर्माण गिराने के लिए इमारत मालिकों को नोटिस दिया, मगर बीते 6 वर्ष में उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। कोर्ट ने सुनवाई में उपस्थित मनपा आयुक्त अभिजीत बांगर को जिम्मेदार अधिकारियों पर ठोस कार्रवाई करके रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। 

19 दिसंबर तक मांगी रिपोर्ट
कोर्ट के आदेश के अनुसार मनपा आयुक्त अभिजीत बांगर ने खुद कोर्ट में हाजिरी लगाई और मनपा की कार्रवाई का ब्योरा प्रस्तुत किया। मनपा आयुक्त ने अपने शपथपत्र में शहर के सभी 10 जोन में अनधिकृत निर्माणकार्यों की जानकारी दी। बताया कि मनपा ने कुल 787 इमारतों का सर्वे किया। इसमें 602 इमारतें मंजूर प्रारूप के अनुसार पाई गईं। 166 इमारतों में पार्किंग की जगह पर अतिक्रमण मिला, जिसे मनपा ने तोड़ दिया। 5 इमारतों पर कोर्ट के स्थगन के कारण कार्रवाई नहीं की गई। 14 इमारतों में अनधिकृत निर्माणकार्य तोड़ कर पार्किंग व्यवस्था सुनश्चित करने के लिए मनपा को 15 दिनों का समय चाहिए। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 19 दिसंबर को रखी है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. आशुतोष धर्माधिकारी और एड. अश्विन देशपांडे ने पक्ष रखा। मनपा की ओर से एड. सुधीर पुराणिक, मध्यस्थी अर्जदार की ओर से एड. आनंद परचुरे ने पक्ष रखा।
 

Created On :   10 Dec 2019 5:28 AM GMT

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