जानिए अस्थमा के घरेलू इलाज और उपाय

in Asthma use such easy home remedies to protect the attacks.
जानिए अस्थमा के घरेलू इलाज और उपाय
जानिए अस्थमा के घरेलू इलाज और उपाय

डिजिटल डेस्क,भोपाल। अस्थमा हमारे फेफड़ों में मौजूद छोटे वायु मार्ग यानी ब्रॉन्क्रियल्स को प्रभावित कर देती है। इसकी शुरुआत किसी भी उम्र में हो सकती है। लेकिन ज्यादातर ये बचपन में ही शुरू हो जाता है। इसकी वजह से जुकाम की समसया अक्सर बनी रहती है।अस्था पेशेंट्स का खास ख्याल भी रखना पढ़ता है। धूल, पॉल्यूशन, सब्जी में लगने वाले छौंक से भी इनको कई परेशानियां हो सकती हैं।  ऐसे में अस्थमा के मरिजों के लिए क्या सही है और क्या नहीं इसकी जानकारी होना बहुत जरूरी है। आइए जानते हैं कि वो क्या सावधानियां और इलाज हैं जो हम अस्था मरीजों के लिए कर सकते है।

क्या नहीं करें?

दूध और उससे बने पदार्थ- दूध और दूध से बने पदार्थ दमा के साथ नहीं चल सकते। ज्यादातर लोगों में दमा की 60 फीसदी वजह दूध और दूध से बने पदार्थ ही होते हैं। अगर दमा के मरीज दूध और दूध से बने पदार्थों का सेवन करना बंद कर दें तो उनका आधा रोग तो तुरंत ही अपने आप ठीक हो सकता है। इसके अलावा केला, कटहल, पकाई हुई चुकंदर न लें। कच्ची चुकंदर ले सकते हैं। मौसमी सेम या फलियां, लोबिया आदि भी नुकसान दायक हैं।

क्या खाएं?

शहद- शहद से शरीर को आवश्यक गर्मी मिलती है। शहद श्वसन नली में बलगम को खत्म कर देता है। मान लीजिए आपको सीने में जकड़न हो रही है और आपको लगता है कि अस्थमा का दौरा पड़ने वाला है। ऐसे में आपको गर्म पानी और शहद ले लेना चाहिए। इससे आप दौरे को कम से कम आधे से एक घंटे तक के लिए टाल सकते हैं। इस बीच अपनी दवाएं लीजिए और इस स्थिति से पूरी तरह बाहर आ जाइए। शहद और काली मिर्च गर्म पानी के साथ लेने से दमा के दौरे को टाला जा सकता है। अगर यही प्रयोग लगातार किया जाए तो आपको दमा के दौरों से छुटकारा मिल सकता है।

भीगी हुई मूंगफली- ये भी श्वसन नली से बलगम को हटा देती है।अस्थमा के मरीज अगर पेट भरकर खा लें तो उनका रोग और बढ़ जाता है। जब अस्थमा जटिल हो जाता है तो इसके मरीजों को खाने से डर लगने लगता है और वे कम से कम खाना शुरू कर देते हैं। कम खाने से उनके भीतर एक खास तरह की कमजोरी आ जाती है और अस्थमा और ज्यादा बढ़ जाता है। शरीर कमजोर हो जाता है। असल में आपका खाना ऐसा होना चाहिए जो मात्रा के मुताबिक कम हो, लेकिन उसमें पौष्टिकता ऐसी हो, जिससे हर चीज का ध्यान रखा जा सके। ऐसे में अगर रोजाना आप मुट्ठी भर भीगी हुई मूंगफली खा लेते हैं तो आपको काफी फायदा होगा। 

तुलसी- तुलसी के कुछ पत्ते शहद और काली मिर्च में भिगोकर रख दें। तीन से चार घंटे इन्हें भिगोया रहने दें और फिर पत्तों को चबा लें। इससे अस्थमा का दौरा पड़ने की आशंका बेहद कम हो जाएगी।

नीम- इससे शरीर में भरपूर ऊष्मा पैदा होती है। नीम को शहद में लपेटकर रोजाना सुबह ले सकते हैं।

योग का लें सहारा

सूर्य नमस्कार और आसन- इनसे मरीज के शरीर में संतुलन आता है। जिन लोगों को साइनिसाइटिस यानी नजला और अस्थमा का रोग है,उनमें नासिका छिद्र बंद होने की समस्या को ये दूर करता है। इनसे शरीर के लिए आवश्यक व्यायाम हो जाता है। शरीर के लिए आवश्यक ऊष्मा भी इनसे पैदा होती है। सूर्य नमस्कार से शरीर के भीतर इतनी ऊर्जा पैदा होती है कि इसका निरंतर अभ्यास करने वालों को बाहर की सर्दी प्रभावित नहीं कर पाती।

प्राणायाम- अस्थमा कई तरह के होते हैं। कुछ एलर्जिक होते हैं, कुछ ब्रोंकाइल होते हैं और कुछ साइकोसोमैटिक या मन:कायिक होते हैं। अगर मामला मन:कायिक है तो ईशा योग करने से ये ठीक हो सकता है। ईशा योग करने से इंसान मानसिक तौर से शांत और सतर्क हो जाता है और उसका दमा ठीक हो जाता है। अगर यह एलर्जी की वजह से है तो प्राणायाम करने से यह निश्चित तौर पर ठीक हो सकता है। ईशा योग में जो प्राणायाम सिखाया जाता है, उससे ब्रोंकाइल संबंधी दिक्कत कम हो जाती हैं। अगर एक से दो हफ्तों तक प्राणायाम का रोजाना सही तरीके से अभ्यास कर लिया जाए तो दमा के मरीजों को 75 फीसदी तक का फायदा महसूस होगा।
 

Created On :   17 Sep 2017 8:28 AM GMT

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