आखिरी भाषण देते वक्त इंदिरा को हो गया था मौत का एहसास !

Indira Gandhi 33rd death anniversary know about her last moments
आखिरी भाषण देते वक्त इंदिरा को हो गया था मौत का एहसास !
आखिरी भाषण देते वक्त इंदिरा को हो गया था मौत का एहसास !

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। "मैं आज यहां हूं। कल शायद यहां न रहूं। मुझे चिंता नहीं मैं रहूं या न रहूं। मेरा जीवन लंबा रहा है और मुझे इस बात का गर्व है कि मैंने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा में बिताया है। मैं अपनी आखिरी सांस तक ऐसा करती रहूंगी और जब मैं मरूंगी तो मेरे खून का एक-एक कतरा भारत को मजबूत करने में लगेगा।" ये भाषण भारत की पूर्व प्रधानमंत्री और आयरन लेडी के नाम से मशहूर इंदिरा गांधी का आखिरी भाषण था, जो उन्होंने ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में दिया था। कभी-कभी हम अपने भविष्य को अपने शब्दों में बयां कर जाते हैं और इंदिरा गांधी के साथ भी यही हुआ। जब उन्होंने ये बात कही, तब उन्हें भी नहीं पता होगा कि ये उनका भाषण हो सकता है, लेकिन ये उनके जीवन का आखिरी भाषण साबित हुआ। इंदिरा गांधी के इस भाषण ने उनके करीबियों को हिलाकर रख दिया था, क्योंकि इंदिरा ने इसमें अपनी "मौत" का जिक्र किया था। वो दिन 30 अक्टूबर 1984 था और उसी शाम इंदिरा भुवनेश्वर से दिल्ली पहुंची थी। अगले दिन यानी 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी कई लोगों के साथ मीटिंग करनी वाली थी।

 

 

कुछ ऐसा था इंदिरा का आखिरी दिन

 

सुबह के 7:30 बज रहे थे। इंदिरा रोज की तरह तैयार हो चुकीं थीं। उस दिन उन्होंने केसरिया रंग की ब्लैक बॉर्डर वाली साड़ी पहनी हुई थी। इस दिन इंदिरा का पहला अप्वॉइंटमेंट पीटर उस्तीनोव के साथ था, जो उन पर एक डॉक्यूमेंट्री बना रहे थे। इसके बाद दोपहर में इंदिरा को ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री जेम्स कैलेघन और बाद में मिजोरम के एक नेता से मिलना था। इसके बाद शाम को वो ब्रिटेन की प्रिंसेस ऐन को डिनर देने वालीं थीं। उस दिन भी नाश्ते के बाद इंदिरा के डॉक्टर केपी माथुर उन्हें देखने पहुंचे। दोनों ने काफी देर तक बात की।

 

 

इसके बाद इंदिरा बाहर आईं, उस समय सुबह के 9:10 बज रहे थे और धूप खिली हुई थी। उन्हें धूप से बचाने के लिए सिपाही नारायण सिंह छाता लिए उनके बगल में चल रहे थे। साथ ही आरके धवन और उनके प्राइवेट सर्वेंट नाथू राम चल रहे थे। इसके बाद जब इंदिरा गांधी 1 अकबर रोड को जोड़ने वाले गेट पर पहुंची तो धवन से उन्होंने बातचीत की। उसी दिन तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह यमन दौरे से लौट रहे थे और इंदिरा ने धवन को कहा था कि वो राष्ट्रपति को संदेश पहुंचा दें कि शाम के 7 बजे तक वो दिल्ली पहुंच जाएं, ताकि शाम को ब्रिटेन की प्रिंसेस ऐन को दिए जाने वाले डिनर में वो शामिल हो सकें। इसी बात की जानकारी धवन इंदिरा गांधी को दे रहे थे। तभी उनकी सिक्योरिटी में तैनात बेअंत सिंह ने अपनी रिवॉल्वर निकाली और इंदिरा गांधी पर फायर किया। पहली गोली इंदिरा के पेट पर लगी। इसके बाद बेअंत ने दो और फायर किए, जो उनकी बगल, सीने और कमर में जा लगी। 

 

 

बेअंत सिंह ने सतवंत को कहा- गोली चलाओ

 

कुछ ही फुट दूरी पर एक और सतवंत सिंह अपनी टॉमसन ऑटोमैटिक कारबाइन के साथ खड़ा था। इंदिरा गांधी को गोली लगते देख सतवंत डर गया। इसके बाद बेअंत ने सतवंत को चिल्लाकर कहा, "गोली चलाओ"। इसके बाद तुरंत सतवंत ने अपनी कारबाइन की सभी 25 गोलियां इंदिरा गांधी पर दाग दी। 30 गोलियां लगने से इंदिरा का शरीर क्षत-विक्षत हो गया। अकबर रोड पर शोर मच गया। इंदिरा को गोली मारने के बाद बेअंत सिंह ने कहा, "हमें जो करना था कर दिया, अब तुम्हें जो करना है, करो।" 

 

 

80 बोतल खून चढ़ाया गया

 

इसके बाद वहीं पर मौजूद जवानों ने बेअंत सिंह और सतवंत सिंह को पकड़ लिया। प्रधानमंत्री आवास में हर वक्त एक एंबुलेंस मौजूद रहती है, लेकिन उस दिन एंबुलेंस तो थी, लेकिन उसका ड्राइवर वहां नहीं था। इसके बाद इंदिरा के सलाहकार और कांग्रेस नेता माखनलाल फोतेदार ने चिल्लाकर कार निकालने को कहा। आरके धवन और एसीपी दिनेश भट्ट ने इंदिरा को कार में रखा। शोर सुनकर सोनिया गांधी भी नंगे पैर दौड़ी चली आई और कार की पिछली सीट पर इंदिरा के सिर को अपनी गोद में रखकर बैठ गई। कार बहुत स्पीड में AIIMS की तरफ जा रही थी, लेकिन जल्दबाजी में AIIMS को फोन कर बताया भी नहीं गया कि इंदिरा गांधी वहां आ रहीं हैं। इंदिरा को इस हालत में देखकर डॉक्टर भी घबरा गए और उसके बाद किसी तरह से इंदिरा को ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया। इंदिरा जब अस्पताल पहुंची, तब तक उनका सारा खून बह चुका था और उनके बचने की उम्मीद खत्म सी हो गई थी। इसके बाद अस्पताल में इंदिरा को 80 बोतल खून चढ़ाया गया। इसके बाद भी इंदिरा को बचाया नहीं जा सका। इंदिरा गांधी की मौत हो चुकी थी, लेकिन उसके बाद भी हेल्थ मिनिस्टर शंकरदयाल के कहने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित नहीं किया। धीरे-धीरे इंदिरा की बॉडी ठंडी होती जा रही थी। आखिरकार उनको गोली लगने के 4 घंटे बाद 2 बजकर 23 मिनट पर इंदिरा को मृत घोषित किया गया। 

 

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सिक्योरिटी एजेंसी ने किया था अलर्ट

 

इंदिरा गांधी के "ऑपरेशन ब्लू स्टार" चलाए जाने के बाद से सिखों में गहरी नाराजगी थी। बताया जाता है कि सिक्योरिटी एजेंसियों ने भी इंदिरा पर हमला होने की आशंका जताई थी और सिफारिश की थी कि उनके आसपास किसी भी सिख सिक्योरिटी गार्ड को तैनात न किया जाए। इसके बाद भी इंदिरा ने इस अलर्ट को नजरअंदाज किया, लेकिन उसके बाद ये तय किया गया कि एकसाथ दो सिख सिक्योरिटी गार्ड को तैनात नहीं किया जाएगा। 

 

31 अक्टूबर के दिन सतवंत सिंह ने पेट दर्द का बहाना किया और टॉयलेट के पास जहां बेअंत सिंह तैनात था, वहां पर उसके पास तैनाती कराई। इसके बाद जैसे ही उन्हें मौका मिला, दोनों ने इंदिरा को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। इंदिरा की मौत के बाद उनके बेटे राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बनाया गया। 

 

 

पुण्यतिथि पर देश कर रहा याद 

 

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 33वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी जी रही है। इंदिरा जी की समाधि शक्ति स्थल पर सुबह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने श्रद्धांजलि दी। 

 

पीएम ने ट्वीट कर किया नमन 

 

इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी।

Created On :   31 Oct 2017 3:55 AM GMT

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