त्रिपुरा विधानसभा में पहली बार बजा राष्ट्रगान, देवधर बोले- देशद्रोहियों ने भी गाया

National Anthem played for the first time in the Tripura Assembly
त्रिपुरा विधानसभा में पहली बार बजा राष्ट्रगान, देवधर बोले- देशद्रोहियों ने भी गाया
त्रिपुरा विधानसभा में पहली बार बजा राष्ट्रगान, देवधर बोले- देशद्रोहियों ने भी गाया

डिजिटल डेस्क, अगरतला। त्रिपुरा में सरकार बदलते ही अब बहुत कुछ भी बदलता जा रहा है। त्रिपुरा विधानसभा में शुक्रवार को पहली बार "राष्ट्रगान" गाया गया। दरअसल, शुक्रवार को विधानसभा का पहले सेशन में विधानसभा स्पीकर का चुनाव होना था, जिसमें रेबती मोहन दास को नया स्पीकर चुना गया। सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले 11 बजे विधानसभा में राष्ट्रगान चलाया गया। इस दौरान विधानसभा के सेक्रेटरी बामदेब मजूमदार ने कहा कि वो कोशिश करेंगे कि हर रोज सदन में राष्ट्रगान बजाया जाए। वहीं बीजेपी नेता सुनील देवधर ने ट्वीट कर कहा कि ये पहली बार था जब देशद्रोहियों ने जन-गण-मन गाया।

पहली बार बजा राष्ट्रगान

ये पहली बार था जब त्रिपुरा विधानसभा में राष्ट्रगान गाया। विधानसभा सेक्रेटरी बामदेब मजूमदार ने कहा कि "वो इस बात की पूरी कोशिश करेंगे कि सदन में हर दिन राष्ट्रगान चलाया जाए।" उन्होंने कहा कि "हालांकि मुझे नहीं पता कि किसी और सदन में राष्ट्रगान चलता है या नहीं, लेकिन त्रिपुरा में हम कोशिश करेंगे।" वहीं सीपीएम विधायक बादल चौधरी ने कहा कि सदन में राष्ट्रगान बजाए जाने से पहले विपक्ष के साथ बात भी नहीं की गई थी।

 

 



देवधर बोले- देशद्रोहियों ने गाया जन-गण-मन

 

वहीं बीजेपी नेता सुनील देवधर ने इसके बाद ट्वीट कर सीपीएम सरकार पर हमला बोला। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि "आज 25 सालों बाद त्रिपुरा की विधानसभा तब धन्य हुआ, जब 12वीं विधानसभा के पहले दिन की शुरुआत में सभी विधायकों ने राष्ट्रगीत गाया। जिन देशद्रोहियों ने सत्ता में रहते इसे गाने नहीं दिया था। वो कॉमरेड भी आज "जन-मन-गण" गाने पर मजबूर हो गए।" हालांकि इस ट्वीट मे सुनील देवधर ने राष्ट्रगान की बजाय "राष्ट्रगीत" लिख दिया, जिसके बाद ट्वीटर पर उनका काफी मजाक भी उड़ा।

25 सालों बाद ढहा लेफ्ट का किला

 

त्रिपुरा में इन चुनावों में बीजेपी ने 25 सालों से सत्ता में काबिज लेफ्ट के किले को ढहा दिया। त्रिपुरा में 1978 के बाद से सिर्फ लेफ्ट सिर्फ एक बार 1988-93 के दौरान सत्ता से दूर रहा है। 1993 के बाद से 25 सालों से यहां CPI-M का कब्जा है और 1998 से लगातारा त्रिपुरा में 3 बार माणिक सरकार मुख्यमंत्री थे। 2013 के विधानसभा चुनावों में लेफ्ट ने यहां की 60 सीटों में 50 सीटों पर कब्जा किया था और कांग्रेस को 10 सीटें मिली थी। जबकि बीजेपी अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी। वहीं 2018 में बीजेपी ने 35 सीटों पर कब्जा किया है।

क्या रहे त्रिपुरा के नतीजे? 

 

त्रिपुरा की 59 विधानसभा सीटों के लिए 17 फरवरी को वोटिंग हुई थी, जबकि नतीजे 3 मार्च को घोषित किए गए। इन चुनावों में बीजेपी ने इंडीजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। जिसमें बीजेपी ने 51 सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारे थे और 35 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं IPFT ने 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे और 8 पर जीत हासिल की। इन चुनावों में लेफ्ट को सिर्फ 16 सीटें ही मिल पाई। जबकि कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल सकी।  

Created On :   24 March 2018 5:31 AM GMT

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