शहडोल यूनिवर्सिटी के अतिथि विद्वानों को हटाने पर रोक

Stop the removal of guest faculty teacher of shahdol university
शहडोल यूनिवर्सिटी के अतिथि विद्वानों को हटाने पर रोक
शहडोल यूनिवर्सिटी के अतिथि विद्वानों को हटाने पर रोक

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने पंडित एसएन शुक्ला विश्वविद्यालय शहडोल के अतिथि विद्वानों को हटाने पर रोक लगा दी है। एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा और जस्टिस विजय शुक्ला की युगल पीठ ने राज्य शासन, उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और पंडित एसएन शुक्ला विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब-तलब किया है। 
 

अतिथि विद्वानों को तीन साल तक निरंतर काम करने देना होगा

शहडोल निवासी प्रकाश हिंदुजा, योगेश कुमार तिवारी और वर्षा तिवारी की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि वर्ष 2018-19 में उनकी नियुक्ति पंडित एसएन शुक्ला विश्वविद्यालय में अतिथि विद्वान के पद पर हुई थी। नियुक्ति के लिए नियमों के अनुसार विज्ञापन निकाला गया और साक्षात्कार लिए गए। हाल ही में विश्वविद्यालय की ओर से फिर से अतिथि विद्वानों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी कर दिया गया है। अधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने तर्क दिया कि नए सर्कुलर के अनुसार अतिथि विद्वानों को तीन साल तक निरंतर काम करने देना होगा। प्रांरभिक सुनवाई के बाद युगल पीठ ने अतिथि विद्वानों को हटाने पर रोक लगाते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।

सुनवाई का अवसर दिए बगैर किया जिलाबदर, हाईकोर्ट ने निरस्त किया आदेश 

हाईकोर्ट ने अधारताल निवासी अमित तिवारी को एक साल के लिए जिलाबदर करने का आदेश निरस्त कर दिया है। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि जिलाबदर का आदेश जारी करने के पहले सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए, लेकिन याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर दिए बगैर जिलाबदर कर दिया गया। 
अधारताल निवासी अमित तिवारी की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि जबलपुर कलेक्टर ने उसे 12 नवंबर 2018 को राज्य सुरक्षा अधिनियम के तहत नोटिस जारी किया। उसे एक दिन बाद 13 नवंबर 2018 को हाजिर होने के लिए कहा गया। जब वह कलेक्टर कोर्ट में हाजिर हुआ तो उसे सुनवाई का अवसर दिए बगैर प्रकरण आदेश के लिए नियत कर दिया गया। 22 नवंबर 2018 को कलेक्टर ने उसे एक साल के लिए जिला बदर कर दिया। कलेक्टर के आदेश को संभागीय आयुक्त के समक्ष चुनौती दी गई। संभागीय आयुक्त ने भी कलेक्टर के आदेश को बरकरार रखा। अधिवक्ता ओमशंकर विनय पांडेय और अंचन पांडे ने तर्क दिया कि राज्य सुरक्षा अधिनियम की धारा 8 के तहत यदि किसी के खिलाफ कार्रवाई की जाती है तो उसे सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए। कलेक्टर जबलपुर ने याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर दिए बगैर आदेश किया है, जो अधिनियम का उल्लंघन है। संभागायुक्त को भी यह बताया गया कि याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया, इसके बाद भी उन्होंने कलेक्टर का आदेश बरकरार रखा। सुनवाई के बाद एकल पीठ ने जिलाबदर का आदेश निरस्त कर दिया है।
 

Created On :   4 July 2019 7:50 AM GMT

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