फीचर्स: खाल के लिए शिकार और घटते जंगल... हिम तेंदुआ से बंगाल टाइगर तक, भारत में लुप्तप्राय हैं ये प्रजातियां

नई दिल्ली, 16 मई (आईएएनएस)। मानव की बढ़ती और घनी होती आबादी, तेजी से भूमि विकास, घटते जंगल, अवैध शिकार और जलवायु परिवर्तन के साथ विज्ञान का प्रकृति के बीच बढ़ता हस्तक्षेप कई समस्याओं का जन्मदाता है। परिणामस्वरूप कई जानवरों की प्रजातियां हैं जो विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रही हैं। भारत में हिम तेंदुआ, बंगाल टाइगर से लेकर और भी प्रजातियां हैं, जो लुप्तप्राय की सूची में शामिल हैं।
आज विलुप्तप्राय प्रजाति दिवस है। ऐसे में आइए जानते हैं उन प्रजातियों का हाल, जो संकटग्रस्त हैं। अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ने साल 2020 में रेड लिस्ट जारी कर बताया था कि भूमि पर रहने वाले जानवरों की 500 से अधिक प्रजातियां संकटग्रस्त हैं। इनमें से कई प्रजातियों को संघ ने विलुप्तप्राय घोषित कर दिया।
भारत में कई प्रजातियां हैं, जो विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रही हैं।
लुप्तप्राय प्रजातियों के बारे में जानकारी से पहले बता दें कि विलुप्तप्राय का अर्थ क्या है? यह वह प्रजाति है जो किसी समय किसी क्षेत्र में पाई जाती थी। लेकिन, अब इसकी जनसंख्या 50 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत से भी कम हो गई है। रेड डेटा बुक में इनका नाम शामिल है।
विलुप्तप्राय लिस्ट में एशियाई हाथी, गंगा नदी डॉल्फिन, एक सींग वाला गैंडा, हिम तेंदुआ और बंगाल टाइगर के साथ अन्य प्रजातियों के नाम शामिल हैं।
एशियाई हाथी- एशिया में पाए जाने वाले सबसे बड़े स्तनपायी में शामिल एशियाई हाथी महत्वपूर्ण सांस्कृतिक महत्व रखता है। भारत के साथ ही कई देशों में इनका धार्मिक महत्व भी है। यह जंगलों और घास के मैदानों के पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कभी यह भारत के पंजाब और गुजरात जैसे क्षेत्रों में बड़ी संख्या में पाए जाते थे। हालांकि, दांतों के लिए उनका बड़ी संख्या में शिकार होता है, जिस वजह से वे खतरे का सामना कर रहे हैं।
गंगा नदी डॉल्फिन- दुनिया में मानव जनसंख्या के हिसाब से सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्र में रहने वाली गंगा नदी की डॉल्फिन भी अपने अस्तित्व के लिए खतरे का सामना कर रही है। जल प्रदूषण, नदियों में रासायनिक तत्वों की अधिकता के साथ ही यह कई बार मछली पकड़ने के जाल में उलझ जाती हैं और इन्हीं चीजों ने इन्हें खतरे में डाल दिया है। डॉल्फिन भारत के साथ ही नेपाल और बांग्लादेश में गंगा-ब्रह्मपुत्र और कर्णफुली-सांगू नदी में पाई जाती है।
एक सींग वाला गैंडा- भारतीय एक सिंग वाले गैंडे भारत और हिमालय की तलहटी में पाए जाते हैं। अपनी कीमती चमड़ी और सिंग की वजह से यह प्रजाति हमेशा से शिकारियों के निशाने पर रही है। फलस्वरूप ये भी विलुप्तप्राय की सूची में शामिल हो चुके हैं। यही नहीं, नदियों में बाढ़ आने की वजह से भी गैंडों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
हिम तेंदुआ- दुखद, लेकिन सत्य है कि भारत में हिम तेंदुओं की संख्या मात्र 500 रह गई है। यह प्रजाति भारत के साथ चीन, नेपाल, भूटान, रूस, पाकिस्तान, अफगानिस्तान के साथ ही मंगोलिया में भी पाई जातीहै। गैंडों की तरह हिम तेंदुओं को भी अपनी खाल, हड्डियों और शरीर के अन्य अंगों की वजह से संकट का सामना करना पड़ रहा है। अवैध व्यापार या शिकार इनके लिए और भी खतरनाक है।
बंगाल टाइगर को भी अपनी खाल और शरीर के अन्य अंगों के लिए अवैध शिकार का सामना करना पड़ा है। शहरी विस्तार और तेजी से घटते जंगल इनके लिए और भी नुकसानदायी साबित हुए हैं। खतरों की वजह से इन प्रजातियों के जानवारों पर अस्तित्व का खतरा मंडरा रहा है।
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Created On :   16 May 2025 3:17 PM IST