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Jabalpur News: सगड़ा फ्लाईओवर, 4 साल से अटके प्रोजेक्ट का भूमिपूजन करके छोड़ा, 4 माह में कोई प्रोग्रेस नहीं

- अब 4 विभाग आपस में समन्वय बनाएं तभी बन सकता है समय पर
- फिलहाल मौके पर निर्माण की साॅइल टेस्टिंग होनी है वह भी नहीं हो पाई
Jabalpur News: सगड़ा रेलवे लाइन, लम्हेटा चौराहा को क्राॅस करते हुये लम्हेटा सड़क पर 1200 मीटर का फ्लाईओवर बनना है। इसके लिए बड़े तामझाम से भूमिपूजन किया गया और दावा किया गया कि यह अगले 24 माह में बनकर तैयार हो जाएगा। इसके निर्माण की मौके पर लेकिन इतने दिनों में कोई प्रोग्रेस ही नहीं हो सकी। 4 माह में यह स्थिति है कि इसके पिलरों के लिए जो साॅइल टेस्टिंग होनी है वह भी अब तक पूरी नहीं हो सकी है।
बता दें कि यह प्रोजेक्ट वैसे भी 4 साल से उलझा हुआ था, कुछ माह पहले इसके बनने की प्रक्रिया शुरू हुई लेकिन लग रहा है कि इसका निर्माण समय पर पूरा होना मुश्किल हो सकता है। रेल ओवर ब्रिज के साथ बन रहे इस फ्लाईओवर की कुल लंबाई सवा किलोमीटर के करीब है। इसमें लोक निर्माण सेतु मुख्य निर्माण एजेंसी है।
लोक निर्माण सेतु जब नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इण्डिया, रेलवे, सिंचाई विभाग के बीच बेहतर समन्वय बनाएगी तभी काम गति पकड़ सकता है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस फ्लाईओवर के लिए अभी संरचना पर काम चल रहा है।
फ्लाईओवर की कुल निर्माण लागत 89 करोड़
इसकी कुल लंबाई 1200 मीटर, चौड़ाई 36 फीट
समय सीमा 24 माह, 4 माह का वक्त निकल गया
आगे मानसून सीजन है जिसमें काम करना मुश्किल होगा
सगड़ा रेल लाइन को क्राॅस कर लम्हेटा रोड तक निर्माण होना है
इन विभागों को करना होगा अपना-अपना काम
जानकारों कहना है कि इस सेतु के निर्माण में 4 विभागों की भूमिका है। रेलवे सगड़ा रेलवे लाइन के ऊपर ब्रिज बनाएगा। एनएचएआई हाईवे के लम्हेटा चौराहे पर निर्माण में मदद करेगा। यहां ट्रैफिक को एक हिस्से में डायवर्ट करना होगा। इसके बाद लम्हेटा रोड पर जो बरगी से आने वाली नहर है उसमें वर्क सिंचाई विभाग को करना होगा। इस तरह 4 विभागों के बीच समन्वय होने पर ही यह फ्लाईओवर समय पर बन सकता है, नहीं तो काम लटकता रहेगा।
ऐसे लेट होते हैं निर्माण
सॉइल टेस्टिंग हो नहीं पाई और आगे अब मानसून सीजन है जिसमें काम हो पाना संभव नहीं है। भूमि परीक्षण, स्ट्रक्चरल डिजाइन तैयार करने में 3 से 4 माह का वक्त निकाल दिया। समय पर काम लगाने पर जैसे-तैसे काम शुरू होगा उसके बाद इसके लागत को बढ़ाकर उसका मंत्रालय से अतिरिक्त बजट मांगा जाता है जिससे फिर काम शुरू होकर आगे बंद हो जाता है।
इस तरह दो साल के प्रोजेक्ट में बनते-बनते 4 साल से ज्यादा वक्त खर्च हो जाता है। इसमें ज्यादा लागत के साथ समय भी ज्यादा लगता है। अभी भी अगर ध्यान नहीं दिया गया तो प्रोजेक्ट में और लेट-लतीफी होगी।
Created On : 16 May 2025 6:13 PM IST