आखिर कैसे सीएम बनने की रेस में डीके शिवकुमार से आगे निकल गए सिद्धारमैया? जानें वजह

आखिर कैसे सीएम बनने की रेस में डीके शिवकुमार से आगे निकल गए सिद्धारमैया? जानें  वजह
  • डीके शिवकुमार पर सिद्धारमैया का पलड़ा भारी
  • अहिंदा वोट बैंक सबसे बड़ी वजह
  • आलाकमान ने 2024 को देखते हुए लिया फैसला

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने ऐतिहासिक जीत हासिल करते हुए बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर दिया। इसके बाद सीएम पद को लेकर पार्टी में करीब 4 दिनों तक मंथन चलता रहा। अब सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि पार्टी आलाकमान ने सीएम पद के दो प्रबल दावेदार डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया में से सिद्धारमैया के नाम पर मुहर लगा दी है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर ऐसी कौन सी वजह रही कि कांग्रेस आलाकमान को पार्टी के संकटमोचक कहे जाने वाले और कर्नाटक की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले डीके शिवकुमार को दरकिनार कर सिद्धारमैया को सीएम पद के लिए चुनना पड़ा।

अगर डीके शिवकुमार को सीएम पद न देने के पार्टी आलाकमान के फैसले पर नजर डालें तो सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने यह फैसला उनके खिलाफ चल रहे सीबीआई और ईडी के मामलों को देखते हुए लिया है। कहा जा रहा है कि आलाकमान को डर था कि कहीं केंद्रीय जांच एजेंसियां डीके शिवकुमार को उनके खिलाफ चल रहे मामलों में गिरफ्तार न कर लें और राज्य में सरकार अस्थिर होने का खतरा बन जाए। इससे पहले खुद डीके शिवकुमार भी यह कह चुके हैं कि वो सीएम बनना चाहते हैं लेकिन उनके खिलाफ चल रहे मामलों के कारण उन्हें सीएम बनाना पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।

इसके अलावा डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच सीएम पद हासिल करने के मुकाबले में सिद्धारमैया का पलड़ा इसलिए भी भारी रहा क्योंकि एक नेता के तौर पर उनकी पहुंच राज्य के हर तबके पर है। खासतौर पर पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक समुदायों पर। कांग्रेस आलाकमान को डर था कि अगर उन्हें सीएम पद नहीं दिया गया तो यह तबके उनसे नाराज हो जाते जिससे आगामी लोकसभा चुनाव में एक बड़ा वोट बैंक उनके हाथ से निकल जाता। वहीं ओबीसी जाति से आने वाले सिद्धारमैया का अपने 'अहिन्दा फॉर्मुला' के चलते भी राज्य में व्यापक जनाधार रहा है।

क्या है अहिन्दा फॉर्मूला?

साल 2006 में जेडीएस छोड़ कांग्रेस का दामन थामने वाले सिद्धारमैया अपने अहिन्दा फॉर्मूले के साथ आए थे। वह जेडीएस में रहते हुए काफी लंबे समय से इस पर काम कर रहे थे। बता दें कि अहिन्दा का मतलब राज्य के अल्पसंख्यातारु (अल्पसंख्यक), हिंदूलिद्वारू (पिछड़ा वर्ग) और दलितारु (दलित वर्ग) से है, जो कि राज्य की कुल आबादी का 61 फीसदी हैं। सिद्धारमैया ने इसी 61 फीसदी आबादी पर फोकस किया और इन्हें अपनी ओर करने का काम किया। उनके इस फॉर्मूले से आने वाले सभी चुनाव में फायदा हुआ। 2013 विधानसभा चुनाव में इसी फॉर्मूले के चलते राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी। यहां तक की 2018 विधानसभा चुनाव में बीजेपी से कम आने सीटें आने के बाद भी इसी अहिन्दा फॉर्मूले के चलते कांग्रेस का वोट प्रतिशत उससे ज्यादा रहा, क्योंकि बीजेपी के लिंगायत-ब्राह्मण और जेडीएस के वोक्कालिगा वोट बैंक के मुकाबले अहिन्दा की आबादी राज्य में ज्यादा है। इसी फॉर्मूले को भुनाकर सिद्धारमैया 2013 में सीएम भी बने, साथ ही कांग्रेस में बड़े पदों पर भी रहे। इस बार भी सीएम बनने की रेस में डीके शिवकुमार से उनके आगे निकलने की वजह यही अहिन्दा फॉर्मूला है, क्योंकि सिद्धारमैया को नाराज कर आलाकमान अहिन्दा वोटबैंक से हाथ नहीं धोना चाहता।

सियासी सफर

75 साल के सिद्धारमैया का जन्म 12 अगस्त 1948 को कर्नाटक के मैसूर जिले में हुआ था। उन्होंने मैसूर यूनिवर्सिटी से बीएससी की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने वकालत की पढ़ाई की और एक वकील के रूप में अपने करियर की शुरूआत की। कर्नाटक के तीसरे सबसे बड़े समुदाय कुरबा से आने वाले सिद्धारमैया ने 1978 में एक्टिव पॉलीटिक्स में कदम रखा था। पहला चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीता। इसके बाद जनता दल में चले गए। 1999 में जनता दल में टूट के बाद एचडी देवेगौड़ा के द्वारा बनाया गए जनता दल सेक्यूलर में चले गए। उन्हें 1999 के विधानसभा चुनाव में जनता दल सेक्यूलर की कमान सौंपी गई। उनके नेतृत्व में पार्टी ने अपने पहले ही चुनाव में 10 सीटें जीतीं। इसके बाद हुए 2004 में हुए अगले विधानसभा चुनाव में जेडीएस 58 सीटें जीतने में सफल रही। इस चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला, जिसके बाद जेडीएस और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई। इस गठबंधन वाली सरकार में सिद्धारमैया उपमुख्यमंत्री बने। एक साल के भीतर ही गठबंधन को लेकर जेडीएस में एचडी देवेगौड़ा के कुमार स्वामी और सिद्धारमैया के बीच अनबन हो गई। जिसके बाद सिद्धारमैया ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। अपने अहिन्दा फॉर्मूले के साथ कांग्रेस में आए सिद्धारमैया ने इस पर काम करना शुरू किया। जिसके चलते 2013 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई। सिद्धारमैया पहली बार कर्नाटक के सीएम बने।

Created On :   17 May 2023 11:29 AM GMT

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