बिहार विधानसभा चुनाव 2025: अरवल की राजनीति अस्थिर, पिछले चार विधानसभा चुनावों में चार अलग-अलग दलों ने दर्ज की जीत

डिजिटल डेस्क, पटना। 1951 में स्थापित अरवल विधानसभा क्षेत्र जहानाबाद लोकसभा के अंतर्गत आता है। यहां की राजनीति हमेशा अस्थिर रही है। पिछले चार विधानसभा चुनावों में चार अलग-अलग दलों ने जीत दर्ज की है। अरवल में अब तक 17 बार विधानसभा चुनाव हुए है, कांग्रेस की आखिरी जीत 1962 में हुई थी। भाकपा, लोक जनशक्ति पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल ने दो-दो बार जीत दर्ज की है, समाजवादी पार्टी, जनता पार्टी, जनता दल, बीजेपी और भाकपा (माले) (लिबरेशन) ने एक-एक बार जीत मिली है।
निर्दलीय उम्मीदवार कृष्णानंदन प्रसाद सिंह ने 1980 से 1990 तक लगातार तीन बार जीत हासिल की। 2020 के विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन में शामिल भाकपा (माले) (लिबरेशन), की जीत हुई।
अरवल बिहार का तीसरा सबसे कम आबादी वाला जिला है। अरवल कभी ‘रेड कॉरिडोर’ का हिस्सा रहा है, जहां नक्सल गतिविधियों से लेकर कई बाद दलित -सवर्ण, भूमिहार नरसंहार की हिंसक वारदातें हुई है। 1992 में 40 भूमिहारों की हत्या वाला 'बारा नरसंहार' और 1999 का 'सेनारी नरसंहार', जिसमें 34 भूमिहार मारे गए. , 1997 में लक्ष्मणपुर 'बाथे नरसंहार' को अंजाम दिया, जिसमें 58 दलितों को मौत के घाट उतार दिया था।
क्षेत्र में उद्योग की कमी के कारण कृषि ही लोगों की आजीविका का मुख्य स्रोत है। यहां की जमीन अत्यंत उपजाऊ है, अरवल की अर्थव्यवस्था पूर्णतः कृषि पर निर्भर है। 21 फीसदी एससी, 9.17 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता है। बिहार में दो चरणों में 6 नवंबर और 11 नवंबर को वोटिंग होगी, नतीजे 14 नवंबर को आएंगे। आज 17 नवंबर को पहले चरण के नामांकन की आखिरी तारीख है। दूसरे चरण के लिए नामांकन की अंतिम तारीख 20 अक्टूबर है।
Created On :   22 Oct 2025 1:30 PM IST












